ब्लॉग: पुस्तक संस्कृति से ही उन्नत जीवन संभव
By ललित गर्ग | Published: April 24, 2023 03:41 PM2023-04-24T15:41:42+5:302023-04-24T15:46:27+5:30
किताबें न केवल हमारा ज्ञान बढ़ाती हैं बल्कि अकेलेपन में सच्ची मित्र भी होती हैं। दुनिया को एक समय से दूसरे समय में पहुंचाने के लिए किताबों की सबसे अहम भूमिका रही है।
हर साल 23 अप्रैल को दुनियाभर में पुस्तक पढ़ने की प्रेरणा देने एवं पुस्तक संस्कृति को जीवंत बनाए रखने के लिए विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसे कॉपीराइट डे भी कहा जाता है।
इस दिवस को किताबें पढ़ने, प्रकाशन और कॉपीराइट के लाभ को पहचानने और बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। इस दिन कई विश्व प्रसिद्ध लेखकों का जन्मदिवस या पुण्यतिथि होती है।
विलियम शेक्सपियर, मिगुएल डे सर्वेंट्स और जोसेप प्लाया का इसी दिन निधन हुआ था, जबकि मैनुएल मेजिया वल्लेजो और मौरिस ड्रून इसी दिन पैदा हुए थे।
यूनेस्को ने 23 अप्रैल 1995 को इस दिवस को मनाने की शुरुआत की थी। पेरिस में यूनेस्को की एक आमसभा में फैसला लिया गया था कि दुनियाभर के लेखकों का सम्मान करने, उनको श्रद्धांजलि देने और किताबों के प्रति रुचि जागृत करने के लिए इस दिवस को मनाया जाएगा।
समस्याओं एवं परेशानी के दौर में पुस्तक दोस्ती का पूरा फर्ज निभाती है. यही कारण है कि हर मुश्किल घड़ी में कई पुस्तक प्रेमी पुस्तकों के साथ ही ज्यादा से ज्यादा समय बिताते हैं।
कोरोना महासंकट में यह बात विशेष रूप से देखने को मिली थी। विश्व पुस्तक दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों में पुस्तकों के प्रति रुचि विकसित करना है। इस दिवस के द्वारा दुनियाभर में साक्षरता और शिक्षा को बढ़ावा देना भी एक मकसद है।
किताबें न केवल हमारा ज्ञान बढ़ाती हैं बल्कि अकेलेपन में सच्ची मित्र भी होती हैं। दुनिया को एक समय से दूसरे समय में पहुंचाने के लिए किताबों की सबसे अहम भूमिका रही है।
किताबें हम सभी के जीवन की कहानियां अपने गर्भ में छुपाए रहती हैं, जिसमें होता है जीवन का रहस्यमय एवं रोमांचक संसार इसलिए पुस्तक संस्कृति को प्रोत्साहन देकर ही हम उन्नत संस्कार, संसार एवं सृष्टि का निर्माण कर सकेंगे।