संतोष देसाई का ब्लॉग: आम : यूं ही नहीं है फलों में खास
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: May 22, 2019 07:07 AM2019-05-22T07:07:36+5:302019-05-22T07:07:36+5:30
कहा जा सकता है कि आम धरती पर अमृत फल के समान है. प्रकृति उदार होकर हम पर फलों की बरसात करती है. क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आदि मानव ने जब पहली बार आम का स्वाद चखा होगा तो उसे कैसा लगा होगा?
राजनीति के बाद, देश में इस मौसम में अगर सबसे चर्चित कोई चीज है तो वह है आम. आम के विभिन्न प्रकार उपलब्ध हैं और सभी किस्मों का अपना-अपना प्रशंसक वर्ग है जो उनकी विशेषताओं का बखान करता है. लेकिन मेरा उद्देश्य आम की किसी खास किस्म का बयान करना नहीं, बल्कि यह बताना है कि उसका हमारे जीवन में कितना प्रमुख स्थान है.
किसी वस्तु विशेष की जब कभी कमी हो जाती है तो उसकी राशनिंग करनी पड़ती है, लेकिन कुछ वस्तुएं इतनी प्रचुर मात्र में उपलब्ध होती हैं कि उनके लिए ऐसी कोई जरूरत नहीं पड़ती. उदाहरण के लिए आप जितना चाहे नमकीन खा सकते हैं और कोई भी आपकी ओर नजरें टेढ़ी करके नहीं देखेगा. केला भी ऐसी ही चीजों में शामिल है. इसी तरह गर्मी का मौसम आते ही आम मिलने शुरू हो जाते हैं. कच्चे आम कई बार घर में रखे-रखे ही पक जाते हैं और पके आमों को खाने या चूसने का तो जो मजा होता है उसे शब्दों में बयां किया ही नहीं जा सकता. पके आम की मिठास की तुलना किसी अन्य मिठास से की ही नहीं जा सकती.
कच्चे आमों को काट कर, उसमें मसाले डालकर जो अचार बनाया जाता है वह खाने के स्वाद को द्विगुणित कर देता है. विभिन्न राज्यों में आम के अचार के अलग-अलग प्रकार देखने को मिलते हैं. यही नहीं कच्चे आम का पना अपने स्वाद में अनूठा होने के साथ ही गर्मी को सहनीय बनाने और खाना पचाने में मददगार होता है. आम पापड़ की खुमारी भी अलग ही होती है.
गुजराती परिवार में जन्म लेने से मैं जानता हूं कि आमरस प्रत्येक गुजराती के भोजन का अभिन्न अंग होता है. अन्य संस्कृतियों में आमरस भोजन के अंत में परोसा जाता है, लेकिन गुजराती भोजन का यह केंद्रीय स्थान होता है. आम का मौसम आते ही यह भोजन का अविभाज्य अंग बन जाता है.
कहा जा सकता है कि आम धरती पर अमृत फल के समान है. प्रकृति उदार होकर हम पर फलों की बरसात करती है. क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आदि मानव ने जब पहली बार आम का स्वाद चखा होगा तो उसे कैसा लगा होगा? उस समय जब कृत्रिम रूप से बनाई जाने वाली शक्कर उपलब्ध नहीं थी, और मनुष्य मीठे को परिभाषित करना जानता नहीं था, पहले पहल उसे आम का स्वाद कैसा लगा होगा!