ब्लॉग: सैन्य वर्दी में एकरूपता लाने की पहल...क्या है इसका मकसद?
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 15, 2023 01:42 PM2023-05-15T13:42:38+5:302023-05-15T13:44:52+5:30
भारतीय सेना के सच्चे लोकाचार को दर्शाते हुए एक मानक वर्दी सभी वरिष्ठ रैंक के अधिकारियों के लिए एक सामान्य पहचान सुनिश्चित करेगी. इससे सभी वरिष्ठ रैंक के अधिकारियों में एकरूपता आएगी तथा भारतीय सेना में भावनात्मक तालमेल बिठाने में भी मदद मिलेगी.
रंजना मिश्रा
हाल ही में सेना ने एक नया फैसला लिया है, जिसमें ब्रिगेडियर रैंक और उससे ऊपर के अफसरों की यूनिफार्म के अंतर को अब आगामी एक अगस्त से खत्म कर दिया जाएगा. कर्नल और नीचे के रैंक के अधिकारियों की वर्दी में कोई बदलाव नहीं होगा. ब्रिगेडियर, मेजर जनरल, लेफ्टिनेंट जनरल और जनरल रैंक के सभी अधिकारी अब एक ही रंग के बेरेट (टोपी), रैंक के सामान्य बैज, एक सामान्य बेल्ट बकल और एक जैसे जूते पहनेंगे, उनकी नियुक्ति का तरीका और कैडर भले ही अलग-अलग रहा हो.
ब्रिगेडियर और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी बड़े पैमाने पर मुख्यालय में तैनात होते हैं, जहां पर सभी सेवाओं के अधिकारी एक साथ काम करते हैं. जानकारों के अनुसार, यह फैसला भारतीय सेना द्वारा रेजिमेंट की सीमाओं से परे जाकर, सेना के वरिष्ठ नेतृत्व के बीच सेवा मामलों में सामान्य पहचान और दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है. इस फैसले से भारतीय सेना की निष्पक्षता व न्यायसंगत संगठन में और अधिक मजबूती आएगी.
भारतीय सेना के सच्चे लोकाचार को दर्शाते हुए एक मानक वर्दी सभी वरिष्ठ रैंक के अधिकारियों के लिए एक सामान्य पहचान सुनिश्चित करेगी. इससे सभी वरिष्ठ रैंक के अधिकारियों में एकरूपता आएगी तथा भारतीय सेना में भावनात्मक तालमेल बिठाने में भी मदद मिलेगी. एक जैसी यूनिफॉर्म से एक मकसद और एक सोच वाली भावना को भी बढ़ावा मिलेगा.
उच्च रैंक के सभी अधिकारियों द्वारा वर्दी के एक ही पैटर्न का उपयोग किए जाने से उनकी वर्दी देखकर अब किसी भी रेजिमेंट या कोर की पहचान नहीं की जा सकेगी.