ब्लॉग: भाजपा ने ऐसे ही नहीं बनाया जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार, ये है इसकी वजह
By वेद प्रताप वैदिक | Published: July 18, 2022 10:48 AM2022-07-18T10:48:27+5:302022-07-18T10:51:56+5:30
माना जा रहा है कि जगदीप धनखड़ के नाम से भाजपा को राजस्थान, उत्तरप्रदेश और हरियाणा में लाभ मिल सकता है. यह शायद पहली बार होगा जब लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला और राज्यसभा के सभापति धनखड़ एक ही राज्य राजस्थान के होंगे.
भाजपा सरकार ने राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया और अब उपराष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ का नाम घोषित हुआ है. दोनों उम्मीदवारों को मंत्री और राज्यपाल रहने का अनुभव है लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि इन दोनों को इन सर्वोच्च पदों के लिए चुनते हुए भाजपा नेताओं ने किस बात का ध्यान रखा है?
वह बात है वंचितों के सम्मान और वोट बैंक की. एक उम्मीदवार देश के समस्त आदिवासियों को भाजपा से जोड़ेगा और दूसरा समस्त पिछड़ों को. यह देश के आदिवासियों और पिछड़ी जातियों में यह भाव भी भरेगा कि वे लोग चाहे सदियों से दबे-पिसे रहे लेकिन यदि उनके दो व्यक्ति भारत के सर्वोच्च पदों पर पहुंच सकते हैं तो वे भी जीवन में आगे क्यों नहीं बढ़ सकते?
किसान-पुत्र धनखड़ के उप-राष्ट्रपति बनने की घटना देश के किसानों में नई उमंग जगाए बिना नहीं रहेगी. इसके अलावा पं. बंगाल, झारखंड और ओडिशा के आदिवासियों को भाजपा की तरफ खींचने में और ममता बनर्जी के वोट बैंक में सेंध लगाने में ये दोनों पद कोई न कोई भूमिका जरूर निभाएंगे.
जगदीप धनखड़ की उपस्थिति का लाभ भाजपा को राजस्थान, उत्तरप्रदेश और हरियाणा में भी मिलेगा. धनखड़ उपराष्ट्रपति के रूप में राज्यसभा के सभापति होंगे. यह शायद पहला संयोग होगा कि लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला और राज्यसभा के सभापति धनखड़ एक ही राज्य राजस्थान के होंगे.
धनखड़ को विधायक, सांसद और केंद्रीय मंत्री रहने का अनुभव भी है. वे जनता पार्टी और कांग्रेस में भी रह चुके हैं. उन्हें उपराष्ट्रपति पद पर भाजपा बिठा रही है, इससे यह सिद्ध होता है कि भाजपा अपने दरवाजे बड़े कर रही है. वे यदि अपनी विनम्रता के लिए जाने जाते हैं तो उनकी स्पष्टवादिता भी सर्वज्ञात है.