संपादकीयः किसान आत्महत्या से मुक्त महाराष्ट्र का वादा कब होगा पूरा, 7 महीने के भीतर 1875 किसानों ने की आत्महत्या!

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: November 4, 2022 04:31 PM2022-11-04T16:31:32+5:302022-11-04T16:32:29+5:30

एकनाथ शिंदे ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कमान संभालने के बाद महाराष्ट्र को किसान आत्महत्यामुक्त प्रदेश बनाने की शपथ ली थी। इसी क्रम में अब सरकार राज्य के किसानों की आत्महत्याएं रोकने और खेतीबाड़ी को आसान करने के लिए दिसंबर में प्रस्तावित नागपुर अधिवेशन में इस पैकेज की घोषणा कर सकती है।

When will Maharashtra's farmer suicide-free promise be fulfilled | संपादकीयः किसान आत्महत्या से मुक्त महाराष्ट्र का वादा कब होगा पूरा, 7 महीने के भीतर 1875 किसानों ने की आत्महत्या!

संपादकीयः किसान आत्महत्या से मुक्त महाराष्ट्र का वादा कब होगा पूरा, 7 महीने के भीतर 1875 किसानों ने की आत्महत्या!

तमाम योजनाओं के बावजूद महाराष्ट्र में किसान आत्महत्या के मामले थम नहीं रहे हैं। सरकार और प्रशासन के तमाम दावे और वादे खोखले साबित हो रहे हैं। आंकड़े खुद इस भयावह परिस्थिति की तस्वीर पेश कर रहे हैं। महाराष्ट्र सहायता एवं पुनर्वास विभाग द्वारा इकट्ठा किए गए डाटा के अनुसार, जनवरी से अगस्त 2022 के बीच प्रदेश में 1875 किसान सुसाइड कर चुके थे। यानी हर महीने 234 से ज्यादा किसानों ने जान दी। एकनाथ शिंदे ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कमान संभालने के बाद महाराष्ट्र को किसान आत्महत्यामुक्त प्रदेश बनाने की शपथ ली थी। इसी क्रम में अब सरकार राज्य के किसानों की आत्महत्याएं रोकने और खेतीबाड़ी को आसान करने के लिए दिसंबर में प्रस्तावित नागपुर अधिवेशन में इस पैकेज की घोषणा कर सकती है। इस पैकेज में बुआई का खर्च कम करने, मौसम के बदलाव के अनुसार फसल का पैटर्न तय करने के अलावा सरकारी, सहकारी और व्यावसायिक बैंकों से कर्ज वितरण की जिम्मेदारी को कानूनसम्मत बनाने जैसे पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा।

 किसान या उसके परिवार के सदस्यों की बड़ी बीमारी का उपचार नि:शुल्क करने पर भी विचार किया जा रहा है। यदि वास्तव में ऐसा होता है तो किसानों के लिए यह एक बहुत बड़ी राहत होगी। महाराष्ट्र और खासतौर पर विदर्भ के किसानों की माली हालत ऐसी है कि 50 हजार या एक लाख रुपए नहीं चुका पाने के कारण किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं। हालात अब बहुत मुश्किल भरे हो गए हैं। किसान तो आत्महत्या का रास्ता अपना लेते हैं पर अपने बाद वो अपने परिवार को कभी नहीं भूल पाने वाला दर्द दे जाते हैं। यहां किसानों को बीज या खाद खरीदने के लिए अक्सर लोन लेना पड़ता है। इतना करने के बाद अगर किसान खेती करते हैं तो कई बार मौसम या बीमारी की मार से फसलों को नुकसान हो जाता है। इसके कारण किसान कर्ज नहीं चुका पाते हैं। इसके कारण वो लगातार कर्ज में फंसते चले जाते हैं। इसके अलावा खेती में लागत अब बढ़ती जा रही है, इस अनुपात में सरकार की तरफ से लाभ नहीं मिल पाता है। 
राज्य सरकार खुदकुशी करने वाले किसानों के परिवारों को आर्थिक मदद देती है। पर सभी किसानों को यह लाभ भी नहीं मिल पाता है। पिछले कुछ सालों से प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसान आर्थिक संकट में हैं। देखा जाए तो महाराष्ट्र में सरकार द्वारा दो बार कर्जमाफी का ऐलान किया गया। पहली बार 2017 में और दूसरी बार 2020 में। इसके बावजूद आत्महत्याएं थमने का नाम नहीं ले रहीं। हर सरकार किसानों को लेकर बड़े-बड़े वादे तो करती है लेकिन ये वादे कागजी ही रह जाते हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ‘किसान आत्महत्यामुक्त महाराष्ट्र’की घोषणा की थी तो उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार का यह पैकेज उनकी इस घोषणा को मूर्तरूप दे सकेगा।

Web Title: When will Maharashtra's farmer suicide-free promise be fulfilled

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