ब्लॉग: तेजी से बदल रहा है मौसम का मिजाज

By निरंकार सिंह | Published: September 23, 2023 09:08 AM2023-09-23T09:08:47+5:302023-09-23T09:08:54+5:30

नासा प्रमुख बिल नेल्सन कहते हैं कि 2023 की गर्मी के महीनों ने नया रिकॉर्ड बनाया है। ये सिर्फ नंबर्स नहीं हैं। ये दुनिया को बता रहे हैं कि हम लगातार बढ़ते तापमान की ओर जा रहे हैं। यह दुनिया जलती जा रही है।

Weather patterns are changing rapidly | ब्लॉग: तेजी से बदल रहा है मौसम का मिजाज

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो

दुनिया भर के लोग बदलते मौसम के कहर से परेशान हैं। ठंडे स्थान भी गर्म हो रहे हैं जबकि गर्म जगहें ज्यादा गर्म हो रही हैं। तूफान, बाढ़, सूखा और भूकंप की घटनाएं अब विकराल रूप में बार-बार कहर बरपा रही हैं।

हमने अपनी ही करतूतों से प्रकृति का संतुलन बिगाड़ दिया है। कुदरत का अंधाधुंध दोहन और शोषण करना अब हमारे लिए काल बनता जा रहा है। विकास के नाम पर प्रकृति के अत्यधिक दोहन ने मानव जाति सहित कई जीवों के जीवन और अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर दिया है।

उपग्रहों से मिली ताजी तस्वीरों से पता चला है कि अंटार्कटिक के चारों ओर बर्फ काफी कम हो गई है। कम होती समुद्री बर्फ ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। वैज्ञानिक इस घटना पर चिंता जता रहे हैं क्योंकि इसका असर सारी दुनिया पर पड़ेगा, पर भारत और बांग्लादेश जैसे उष्णकटिबंधीय देशों पर ज्यादा होगा। बर्फ के पिघलने का सबसे बड़ा कारण इस बार गर्मी का ज्यादा पड़ना है।

गर्मी ने पिछले 143 साल के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस स्टडीज के वैज्ञानिकों ने यह खुलासा किया है. साल 2023 के गर्मी के मौसम के तीन महीने जून, जुलाई और अगस्त सबसे ज्यादा गर्म रहे।

तीनों महीने संयुक्त तौर पर 0.23 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म रहे। नासा के रिकॉर्ड के मुताबिक 1951 से 1980 के बीच सबसे गर्म मौसम का औसत तापमान 1.2 डिग्री सेल्सियस है लेकिन इस साल का अगस्त महीना 1.2 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म था। धरती के उत्तरी गोलार्ध में जून से अगस्त महीने तक गर्मी रहती है।

इस गर्मी की वजह से कनाडा और हवाई के जंगलों में भयानक आग लगी। वहीं दक्षिणी अमेरिका, जापान और यूरोप में भयानक हीटवेव चली, जबकि इटली, ग्रीस और मध्य यूरोप में बेमौसम तेज बारिश हुई।

नासा प्रमुख बिल नेल्सन कहते हैं कि 2023 की गर्मी के महीनों ने नया रिकॉर्ड बनाया है। ये सिर्फ नंबर्स नहीं हैं। ये दुनिया को बता रहे हैं कि हम लगातार बढ़ते तापमान की ओर जा रहे हैं। यह दुनिया जलती जा रही है।

अगले कुछ सालों में गंगा और मेकॉन्ग के जो बाढ़ वाले मैदानी इलाके हैं, उनमें तेज तूफान आएंगे। ऐसे ट्रॉपिकल तूफानों की संख्या तो कम होगी लेकिन उनकी ताकत बहुत ज्यादा होगी।

हाल ही में यह स्टडी न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के पर्यावरणविदों ने की है. यानी तूफान कम होंगे लेकिन उनकी ताकत नहीं। गंगा की घाटी, मैदानी इलाकों और बाढ़ वाले क्षेत्रों में भविष्य में ज्यादा ताकत वाले तूफान आएंगे। यही हाल मेकॉन्ग के इलाकों का भी होने वाला है।

Web Title: Weather patterns are changing rapidly

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