विवेक शुक्ला का ब्लॉग: 12 विलिंगडन क्रिसेंट- इंदिरा गांधी के दुख-सुख वाला घर

By विवेक शुक्ला | Published: November 19, 2020 12:42 PM2020-11-19T12:42:11+5:302020-11-19T12:50:37+5:30

भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का 12 विलिंगडन क्रिसेंट के बंगले से खास कनेक्शन है। यहां वे उस समय रही थीं, जब उन्हें जिंदगी के कुछ बेहद मुश्किल पलों का सामना करना पड़ा था।

Vivek Shukla blog: 12 Willingdon Crescent Indira Gandhi home and politics | विवेक शुक्ला का ब्लॉग: 12 विलिंगडन क्रिसेंट- इंदिरा गांधी के दुख-सुख वाला घर

इंदिरा गांधी और 12 विलिंगडन क्रिसेंट के बंगले का खास कनेक्शन (फाइल फोटो)

Highlights12 विलिंगडन क्रिसेंट के बंगले में 1977 में आई थीं इंदिरा गांधीइंदिरा गांधी ने 12 विलिंगडन क्रिसेंट में बहुत कष्ट भरे दिन भी देखे

इंदिरा गांधी 12 विलिंगडन क्रिसेंट (अब मदर टेरेसा मार्ग) के अति सामान्य से बंगले में 1977 में शिफ्ट हुई थीं. कांग्रेस को लोकसभा चुनावों में पराजय मिली. वे प्रधानमंत्री नहीं रहीं.

तब उन्हें 12 विलिंगडन क्रिसेंट का सरकारी बंगला मिला था. कहने वाले कहते हैं कि कायदे से उन्हें जनपथ, कृष्ण मेनन मार्ग या राजाजी मार्ग में सरकारी आवास मिलना चाहिए था. 12 विलिंगडन क्रिसेंट का बंगला निश्चय ही पूर्व प्रधानमंत्नी के कद के इंसान को नहीं मिलना चाहिए था. 

तवलीन सिंह ने अपनी किताब ‘दरबार’ में लिखा है कि श्रीमती गांधी के साथ 12 विलिंगडन क्रिसेंट में उनके पुत्र राजीव गांधी, उनकी पत्नी सोनिया गांधी और बच्चों राहुल और प्रियंका के साथ-साथ संजय गांधी अपनी पत्नी मेनका गांधी के साथ शिफ्ट हुए थे. प्रधानमंत्री बनने से पहले ही इंदिरा गांधी 1, सफदरजंग रोड के बंगले में रहा करती थीं. 

उन्हें 1, सफदरजंग रोड का सरकारी आवास तब अलॉट हो गया था जब वे लालबहादुर शास्त्नी की कैबिनेट में आई थीं. हालांकि प्रधानमंत्नी बनने के बाद उन्हें 11 अकबर रोड भी मिल गया था ताकि वहां पर उनका दफ्तर बन सके. 

जब सियासत से दूर होने के बारे में सोचने लगी थीं इंदिरा गांधी 

इंदिरा गांधी ने 12 विलिंगडन क्रिसेंट में बहुत कष्ट भरे दिन देखे. इधर उन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार किया. यहां पर रहते हुए वह निराश रहने लगी थीं. उनके मन में कहीं न कहीं सियासत से दूरी बनाने के भी विचार आते थे. हालांकि कहने वाले कहते हैं कि उन्हें संजय गांधी से बहुत ताकत मिलती थी. 

संजय गांधी अपनी मां को राजनीति में बने रहने के लिए कहा करते थे. सत्ता से दूर जाने के बाद इंदिरा गांधी राजधानी के सप्रू हाउस और विभिन्न दूतावासों में होने वाले अति सामान्य सामाजिक कार्यक्रमों में भी भाग लेने चली जाती थीं. उस दौर में उनका जीवन किसी आम इंसान की तरह से गुजर रहा था.

बहरहाल, जनता पार्टी में कलह और टूट के बाद देश में फिर से 1980 में लोकसभा चुनाव हुए. इस बार कांग्रेस को विजय मिली और वे फिर से देश की प्रधानमंत्री बनीं. इसके साथ ही इंदिरा गांधी 1, सफदरजंग रोड में वापस लौट गईं. 12 विलिंगडन क्रिसेंट आगे चलकर डॉ. एम.ए गिल को भी मिला जब वे खेल और युवा मामलों के मंत्नी बने. वे कहा करते थे कि वे जब भी अपने बंगले के बगीचे में टहलते हैं तो उनके जेहन में इंदिरा गांधी की छवि आ जाती है.

इंदिरा गांधी की हत्या का वो मनहूस दिन

इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को हत्या हो जाती है. उसके बाद 1, सफदरजंग रोड को स्मारक में तब्दील कर दिया जाता है. इधर इंदिरा गांधी के वे खून से सने कपड़े भी रखे हैं, जो उन्होंने अपनी हत्या के वक्त पहने हुए थे. यहां पर इंदिरा गांधी के जीवन से जुड़े दुर्लभ चित्र भी देखने को मिलते हैं.

यहां पर आपको कोई 31 अक्टूबर 1984 के घटनाक्रम की विस्तार से जानकारी देने वाला मिल जाएगा.  वह बताएगा कि उस मनहूस दिन तुगलक रोड थाना प्रभारी राजेंद्र प्रसाद को वायरलेस से सुबह करीब साढ़े 9 बजे पता चला कि इंदिराजी को उनके सुरक्षाकर्मियों ने ही गोली मार दी है. ये सूचना मिलते ही वे घटनास्थल पर भागे. उन्होंने हादसे के चश्मदीद गवाह और दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल नारायण सिंह के बयान के आधार पर दिन में 11.30 बजे के बाद एफआईआर लिखी. 

एफआईआर को लिखा गया एम्स में जहां पर इंदिरा गांधी को गोली लगने के बाद इलाज के लिए लेकर जाया गया था. मूल रूप से चमोली के रहने वाले नारायण सिंह 1, सफदरजंग रोड में 1980 से ड्यूटी कर रहे थे. उन्होंने ही बताया था कि किस तरह से बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने इंदिराजी पर गोलियों की बौछार की थी.

Web Title: Vivek Shukla blog: 12 Willingdon Crescent Indira Gandhi home and politics

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