विजय दर्डा का ब्लॉग: मोदीजी की धुन पर सारा देश मगन है!
By विजय दर्डा | Published: May 27, 2019 11:38 AM2019-05-27T11:38:51+5:302019-05-27T11:38:51+5:30
भाजपा ने अकेले अपने दम पर न केवल 303 का आंकड़ा छुआ बल्कि पश्चिम बंगाल जैसी जगह में भी शानदार प्रदर्शन किया. कुछ माह पहले जिन राज्यों में कांग्रेस ने सरकार बनाई थी वहां भी गजब की वापसी की! कुछ माह पहले की पराजय को जय में बदल देना आसान नहीं था. हालांकि मोदी के पहले कार्यकाल में कई निगेटिव मुद्दे भी थे.
सबसे पहले तो इस प्रचंड जीत के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तहेदिल से बधाई देना चाहता हूं. मैं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भी बधाई देना चाहता हूं क्योंकि कांग्रेस के विचारों को लेकर उन्होंने एक तूफान खड़ा किया. इसके बावजूद कांग्रेस की पराजय क्यों हुई, इसकी चर्चा फिर कभी. फिलहाल तो मैं मोदीजी की चर्चा कर रहा हूं. इस चुनाव परिणाम का सीधा संदेश है कि वे पूरे देश के लिए उम्मीदों के कद्दावर प्रतिमान हैं. वे आशा की किरण हैं.
हमें यह आशा करनी चाहिए कि वे देश की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे. वैसे ऐतिहासिक जीत के बाद अपने पहले संदेश में उन्होंने निश्चय ही पॉजिटिव संदेश दिया है. वास्तव में जो विनम्रता उन्होंने दर्शाई है वह भाजपा के निचले कैडर तक पहुंच पाई तो इस देश में सामाजिक समरसता, समन्वय और विकास की नई इबारत लिखी जाएगी!
इसमें कोई संदेह नहीं कि इस चुनाव परिणाम ने राजनीतिक पंडितों को भी चौंका दिया है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को छोड़ दें तो ऐसे परिणाम की उम्मीद शायद ही किसी को रही हो! देवेंद्र फडणवीस ने बातचीत के दौरान परिणाम के बारे में मुझसे जो कहा था, वह पूरी तरह सच साबित हुआ.
फडणवीस की रणनीति, लगन और आम आदमी के प्रति समर्पण ने महाराष्ट्र में भाजपा का परचम लहरा दिया. चुनाव से पहले जाति और धर्म के इर्दगिर्द घूमती भारतीय राजनीति का लेखा-जोखा तो यही संकेत दे रहा था कि बहुमत शायद ही किसी को मिले. प्रचंड बहुमत की उम्मीद तो किसी के लिए भी नहीं थी, न भाजपा, न कांग्रेस और न महागठबंधन, लेकिन नरेंद्र मोदी की लहर ने सारे गणित को उल्टा-पुल्टा साबित कर दिया.
भाजपा ने अकेले अपने दम पर न केवल 303 का आंकड़ा छुआ बल्कि पश्चिम बंगाल जैसी जगह में भी शानदार प्रदर्शन किया. कुछ माह पहले जिन राज्यों में कांग्रेस ने सरकार बनाई थी वहां भी गजब की वापसी की! कुछ माह पहले की पराजय को जय में बदल देना आसान नहीं था. हालांकि मोदी के पहले कार्यकाल में कई निगेटिव मुद्दे भी थे.
बढ़ती बेरोजगारी, घटती जीडीपी, महंगाई का उफान जैसे कई मसले थे. इसके बावजूद लोगों ने कांग्रेस को नकार दिया. मोदीजी की झोली में भर-भर कर दिया! 35 साल से नीचे की उम्र वाले 65 प्रतिशत युवाओं ने मोदी में विश्वास जताया. विपक्षी दलों के लिए विचारणीय मुद्दा है कि ऐसा क्यों हुआ.
इस चुनाव पर गहरी नजर रखने वाले लोगों को पता है कि यह चुनाव मोदी के लिए जनमत संग्रह के रूप में लड़ा गया. पूरी पार्टी उनके साथ थी लेकिन पार्टी कहीं भी आगे नहीं दिखी. हर जगह केवल मोदी थे. मोदी के भाषणों में मोदी थे, उम्मीदवारों के भाषण में मोदी थे, पार्टी नेताओं की जुबान पर मोदी थे. वोट मोदी के नाम पर मांगे जा रहे थे. जीते हुए उम्मीदवारों ने जीत का सेहरा भी मोदी के सिर ही बांधा. ..और लोकतंत्र के इस महापर्व में मोदीजी ने वाकई यह साबित किया कि मोदी है तो मुमकिन है! यह मोदीजी का चमत्कार ही है कि भारतीय चुनाव व्यवस्था में पहली बार जाति रेस से बाहर हो गई. पहली बार ऐसा हुआ कि एक दल को 50 प्रतिशत से अधिक मत मिले.
अब मोदीजी पर जिम्मेदारी है कि देश की समस्याओं के संदर्भ में भी वे साबित कर पाएं कि मोदी है तो मुमकिन है. अपने पहले संदेश में उन्होंने बड़ी अच्छी बात कही है कि ‘देश में अब दो ही जातियां होंगी- एक जो गरीब है और दूसरा जो उनकी गरीबी दूर करने में योगदान देगा. ये दोनों जातियां मिलकर देश से गरीबी का कलंक मिटा देंगी.’ मुङो मोदीजी का यह संकल्प अच्छा लग रहा है क्योंकि हमारी तरक्की में सबसे बड़ी बाधा यह गरीबी ही है.
हम देश से गरीबी मिटा पाएं, इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है. मुङो लगता है कि गरीबी को व्यापक संदर्भ में देखने की जरूरत है. आर्थिक गरीबी तो बड़ा मसला है ही, वैचारिक गरीबी, शैक्षणिक गरीबी, रोजगार में गरीबी और स्वास्थ्य की गरीबी को भी दूर करना जरूरी है.
शनिवार की शाम सेंट्रल हॉल में एनडीए के नवनिर्वाचित सांसदों और वरिष्ठ सदस्यों के बीच उन्होंने जो संदेश दिया है, वह मोदी की नई छवि गढ़ने वाला है. उन्होंने संदेश दिया कि अल्पसंख्यकों को लगातार छला गया है. उनका विकास नहीं हुआ. अब वे अल्पसंख्यकों के मन में एक नया विश्वास पैदा करेंगे. यह वाकई बहुत बड़ा संदेश है. मोदीजी ने अपने इस संदेश को हकीकत में बदल दिया तो यह देश अमन के आंगन के रूप में पहचाना जाएगा.
निश्चय ही मोदीजी के समक्ष उम्मीदों का बड़ा पहाड़ खड़ा है. प्रचंड विजय ने उम्मीदों को भी प्रचंड कर दिया है, लेकिन अच्छी बात है कि वे चुनौतियों का सामना करते हैं. साहसिक निर्णय लेते हैं और अपनी दिशा खुद तय करते हैं. यह भी अच्छी बात है कि उनके साथ चाणक्य की भूमिका में अमित शाह जैसी शानदार शख्सियत है जिनकी पहचान असंभव के खिलाफ खड़े शख्स की है.
भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाने में उन्होंने जिस जबर्दस्त क्षमता का परिचय दिया है, वैसी ही क्षमता का प्रदर्शन वे देश को आगे ले जाने में भी करेंगे. संक्षेप में कहें तो यह देश चाहता है कि हर व्यक्ति को स्वास्थ्य के अनुकूल भोजन मिले, रहने को छत मिले, हर हाथ में रोजगार हो, हर शख्स को बेहतर इलाज मिले, समाज में सुख और शांति हो, पड़ोसियों से हमारे रिश्ते अच्छे हों! दुनिया में हमें विकासशील नहीं बल्कि विकसित देश के रूप में जाना जाए. फिर हम कहेंगे, मोदी हैं इसलिए मुमकिन हुआ!