विजय दर्डा का ब्लॉग: इस कठिन वक्त का मुकाबला रचनात्मकता से करें
By विजय दर्डा | Published: April 13, 2020 06:30 AM2020-04-13T06:30:14+5:302020-04-13T06:30:14+5:30
जब कोरोना वायरस प्रजाति के कोविड-19 के कारण मुझे भी घर में सिमटना पड़ा तो कुछ वक्त मिला और एक पेंटिंग मेरी कूची से सृजित हो गई. इस पेंटिंग को मैंने नाम दिया है ‘कोरोना’. इन दिनों मैं कुछ अच्छी किताबें भी पढ़ रहा हूं. कुछ नज्में लिख रहा हूं. कभी अपनी पसंद के पुराने गीतों और गजलों में खो जाता हूं तो कभी शास्त्रीय संगीत की स्वरलहरियों से खुद में ऊर्जा समाहित करने की कोशिश करता हूं. कला की खासियत यही तो है कि वह आपके भीतर सकारात्मकता पैदा करती है. आपके भीतर धैर्य का सृजन करती है.
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का यह निर्णय अत्यंत जरूरी और साहसिक है कि 30 अप्रैल तक राज्य में लॉकडाउन रहे. जिस तरह से राज्य के विभिन्न हिस्सों में कोरोना का कहर जारी है, उस स्थिति में हमारे पास खुद बचने का और दूसरों को बचाने का एक ही विकल्प है कि खुद घरों में सिमटे रहें. हम सबके उज्जवल भविष्य के लिए यह बहुत जरूरी है.
लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि जो व्यक्ति सुबह होते ही काम पर जाता था और शाम ढले घर लौटता था उसके लिए घर पर समय बिताना बहुत मुश्किल भरा है. जो बच्चे दिन भर पढ़ाई और खेलकूद में मशगूल रहते थे उनके लिए घर के भीतर सिमट जाना कोई आसान काम नहीं है. आखिर दिन भर आप कितना टीवी देखेंगे, मोबाइल पर कितना वक्त खर्च करेंगे? निश्चय ही वक्त गुजारना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है लेकिन इससे हमें निपटना तो पड़ेगा! हिम्मत हारेंगे तो कोरोना के खिलाफ जंग कैसे जीतेंगे?
मैंने इसी कॉलम में लिखा था कि इस जंग में हर व्यक्ति एक सैनिक की भूमिका में है. इस जंग में बंदूक या तलवार चलाने की जरूरत नहीं है. इस जंग में परीक्षा हमारे धैर्य की है, हमारी समझ की है. यदि हमने धैर्य बनाए रखा, कुछ दिन और बाहर नहीं निकले तो कोरोना का चक्र टूट जाएगा और विजयी भाव से हम फिर अपनी पुरानी जिंदगी में लौट जाएंगे, नई ऊर्जा और नए संकल्प के साथ!
तो चलिए थोड़ी गुफ्तगू करते हैं कि वक्त के इस स्याह पन्ने पर उमंग के रंग कैसे बिखेरे जाएं! मैं खुद का ही एक उदाहरण देता हूं. बचपन और उसके बाद जवानी के दिनों में भी पेंटिंग मेरा शौक रहा लेकिन वक्त की व्यस्तताओं में मेरा ये शौक कहीं दरकिनार हो गया. कोई पच्चीस साल बाद यह मेरी जिंदगी में पिछले साल फिर वापस आया जब ताड़ोबा में मैंने देश के बहुत से ख्यातिप्राप्त कलाकारों को एकत्रित किया. उस कला शिविर में मैंने भी पेंटिंग्स बनाईं. उसके बाद फिर वही हुआ. व्यस्तताओं के कारण पेंटिंग पर ध्यान ही नहीं दिया.
जब कोरोना वायरस प्रजाति के कोविड-19 के कारण मुझे भी घर में सिमटना पड़ा तो कुछ वक्त मिला और एक पेंटिंग मेरी कूची से सृजित हो गई. इस पेंटिंग को मैंने नाम दिया है ‘कोरोना’. इन दिनों मैं कुछ अच्छी किताबें भी पढ़ रहा हूं. कुछ नज्में लिख रहा हूं. कभी अपनी पसंद के पुराने गीतों और गजलों में खो जाता हूं तो कभी शास्त्रीय संगीत की स्वरलहरियों से खुद में ऊर्जा समाहित करने की कोशिश करता हूं. कला की खासियत यही तो है कि वह आपके भीतर सकारात्मकता पैदा करती है. आपके भीतर धैर्य का सृजन करती है.
दरअसल इस कठिन वक्त से मुकाबला अपनी रचनात्मकता से ही किया जा सकता है. कुदरत ने ये वक्त आपको अपने शौक पूरे करने, परिवार के साथ रहने और एक दूसरे को समझने के लिए दिया है. आपसे कोई पूछे कि आपकी पत्नी को कौन सा फूल पसंद है तो आप में से बहुत से लोग जवाब नहीं दे पाएंगे. ये वक्त रिश्तों को नई ताजगी देने का है. पिछले पच्चीस-तीस साल में जिन लोगों से बात करने का मुझे मौका नहीं मिला मैं उन सभी से बात कर रहा हूं. अभी मैं अपनी बहन से बात कर रहा था. वे आर्किटेक्ट हैं. मैंने पूछा कि वक्त कैसा गुजर रहा है. उनका जवाब था कि इन दिनों चिंतन के लिए अच्छा समय मिल रहा है तो घरों की अच्छी डिजाइन बना रही हूं.
जिंदगी की आपाधापी में अमूमन लोग अपने बच्चों को वक्त नहीं दे पाते हैं. बच्चों को ठीक से समझ नहीं पाते हैं. ये वक्त उस कमी को पूरा करने का है. उनके साथ वक्त गुजारिए. उन्हें भारत का इतिहास बताइए. उन्हें बताइए कि इस दुनिया ने प्लेग और हैजा जैसी महामारी से कैसे निजात पाई है. हमने कैसे इस राष्ट्र को मजबूत बनाया है. इससे उनमें सकारात्मकता आएगी. उनका जज्बा मजबूत होगा.
कुदरत ने ये वक्त हम सबको आत्ममंथन के लिए दिया है. अपने अतीत में जाइए, विचार कीजिए और फिर भविष्य के लिए योजनाएं बनाइए. और हां, प्रकृति के बारे में जरूर सोचिए. हम प्रकृति को नष्ट करेंगे तो खुद का ही नाश करेंगे. संकल्प लीजिए कि प्रकृति को बेहतरीन तरीके से सहेजने के लिए खुद के स्तर पर जो भी कर सकते हैं जरूर करेंगे. और अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि भयमुक्त रहिए, चिंतामुक्त रहिए, दोषमुक्त रहिए. अपने भीतर सृजन का नया संसार बसाइए. मुझे विश्वास है कि हम सभी इस संकट से ज्यादा मजबूत और बेहतर इंसान बनकर निकलेंगे. अपने भविष्य को उज्जवल और इस दुनिया को और खूबसूरत बनाएंगे.