विदर्भ आज भी देश की विविधता को दर्शाता है; गांधी, विनोबा भावे की दिलाता है यादः विजय दर्डा की पुस्तक विमोचन पर संजय बारु

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 3, 2023 03:58 PM2023-06-03T15:58:59+5:302023-06-03T15:58:59+5:30

मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि हम दोनों देश के एक ही हिस्से से आते हैं। जिस समय तेलंगाना राज्य बना, तब अपने एक कॉलम में उन्होंने इस बात पर खेद जताते हुए लिखा था कि जब तेलंगाना अलग राज्य बन सकता है, तो विदर्भ क्यों नहीं।

Vidarbha still reflects the diversity of the country Sanjay Baru at book launch of Vijay Darda | विदर्भ आज भी देश की विविधता को दर्शाता है; गांधी, विनोबा भावे की दिलाता है यादः विजय दर्डा की पुस्तक विमोचन पर संजय बारु

विदर्भ आज भी देश की विविधता को दर्शाता है; गांधी, विनोबा भावे की दिलाता है यादः विजय दर्डा की पुस्तक विमोचन पर संजय बारु


मुझे 1970 में नागपुर में इंदिरा गांधी से मिलने का पहला अवसर मिला। तब आप यूथ कांग्रेस से जुड़े थे और आपके पिता कांग्रेस पार्टी में थे। हम में से कई लोगों को याद होगा कि उस समय इंदिरा गांधी देश में भूमि सुधार की अगुवाई कर रही थीं। 70, 71और 72 इन तीन सालों तक कांग्रेस पार्टी का मुख्य एजेंडा भूमि सुधार ही था। आपने नागपुर में भूमि सुधार पर एक सम्मेलन आयोजित किया था। उस समय मैं हैदराबाद के निजाम कॉलेज का युवा छात्र नेता था। मुझे याद है कि मैंने इसमें भाग लिया था और हममें से कुछ लोगों को इंदिरा जी से बातचीत करने का अवसर मिला था। तो, इस तरह आपके परिवार के साथ मेरा जुड़ाव बहुत पुराना है। आपके परिवार के साथ मेरे पेशेवर संबंध पिछले 20 साल से हैं। मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे कई वर्षों से ई-मेल पर आपका कॉलम लगातार पढ़ने को मिलता है। मैं आपका नियमित पाठक हूं।

मैं विजय दर्डा जैसी शख्सियतों और उनकी विचारों के महत्व पर जोर देना चाहता हूं। ऐसे लोग अभी भी मौजूद हैं। ऐसे समय में भी, जब हम देश के कई हिस्सों में, विशेष रूप से दिल्ली में मीडिया की अक्षमता और खुशामद भरे रवैये से बेहद निराश हैं आप उनके निष्पक्ष आलेखों को पढ़ पाते हैं। मैं उनके विचारों को वर्षों से पढ़ता आ रहा हूं, वही परिपक्वता और संतुलन आज भी बरकरार है। वह पक्षपात नहीं करते। उनके लेखन में पेशेवर निष्पक्षता है, भले ही उनका परिवार कांग्रेस पार्टी से जुड़ा रहा है। उनके कॉलम में विभिन्न समस्याओं को जिस पेशेवराना अंदाज में उठाया जाता है, वह हमें यह याद दिलाता है कि आज भी हमारे मीडिया में श्री दर्डा जैसे निष्पक्ष पेशेवर लोग मौजूद हैं। इसीलिए मैं यहां आकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मैं इस परिवार के प्रति अपना आदर जताना चाहता हूं

मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि हम दोनों देश के एक ही हिस्से से आते हैं। जिस समय तेलंगाना राज्य बना, तब अपने एक कॉलम में उन्होंने इस बात पर खेद जताते हुए लिखा था कि जब तेलंगाना अलग राज्य बन सकता है, तो विदर्भ क्यों नहीं। अतः भारत का यह हिस्सा हमें गांधीजी की, विनोबा भावे जी की याद दिलाता है। देश का दिल आज भी देश की विविधता को दर्शाता है, महाराष्ट्र अपनी राजनीति में पिछड़ा भी और अग्रसर भी है। विदर्भ क्षेत्र अभी भी बहुसंख्य लोगों की झलक मिलती है।

मैं क्षेत्रीय मीडिया के महत्व के बारे में भी कुछ कहना चाहता हूं। जब मैं दैनिक समाचार पत्रों और उनके प्रतिनिधियों का मैनेजमेंट देखता था तब मैंने हमेशा क्षेत्रीय समाचार पत्रों को अधिक महत्व देने की कोशिश की। जब मैं प्रधानमंत्री कार्यालय में मीडिया मैनेजमेंट देख रहा था, तब मैं लोकमत के एक पत्रकार से भी मिला था। मैं प्रादेशिक मीडिया के पत्रकारों से मिलता रहता हूं। पेशेवर पत्रकारिता का परचम ऊंचा रखने के लिए मैं लोकमत समूह को बधाई देता हूं।

Web Title: Vidarbha still reflects the diversity of the country Sanjay Baru at book launch of Vijay Darda

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