वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः विदेशी पैसा और हमारी संस्थाएं

By वेद प्रताप वैदिक | Published: January 3, 2022 01:49 PM2022-01-03T13:49:24+5:302022-01-03T13:51:37+5:30

जब यह मामला संसद में उठेगा तो सरकार को यह बताना पड़ेगा कि इन संस्थाओं पर रोक लगाने के ठोस कारण क्या हैं?

Vedpratap Vaidik's blog Foreign money and our institutions | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः विदेशी पैसा और हमारी संस्थाएं

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः विदेशी पैसा और हमारी संस्थाएं

भारत की हजारों संस्थाओं को मिलने वाले विदेशी पैसे पर कड़ी निगरानी अब शुरू हो गई है। विदेशों की मोटी मदद के दम पर चलने वाली संस्थाओं की संख्या भारत में 22762 है। ये संस्थाएं समाज-सेवा का दावा करती हैं। विदेशी पैसे से चलने वाली इन संस्थाओं में कई शिक्षा-संस्थाओं, अस्पतालों, अनाथालयों, विधवा आश्रमों आदि के अलावा ऐसे संगठन भी चलते हैं जो या तो कुछ नहीं करते या सेवा के नाम पर धर्म-परिवर्तन और छद्म राजनीति करते हैं। पिछले कई वर्षो से यह आवाज उठ रही थी कि इन सब संस्थाओं की जांच की जाए।

इन संस्थाओं का सरकार के साथ पंजीकरण अनिवार्य बना दिया गया था और इन्हें विदेशी पैसा लेने के पहले सरकार से अनुमति लेना जरूरी था। गृह मंत्रालय से इन्हें लाइसेंस लेना अनिवार्य है लेकिन इस साल लगभग 6 हजार संस्थाओं का पंजीकरण स्थगित कर दिया गया है। 18 हजार से ज्यादा संस्थाएं अभी पंजीकरण के लिए आवेदन करनेवाली हैं। ऐसी 179 संस्थाओं का पंजीकरण रद्द हो गया है, जिनके हिसाब में गड़बड़ी पाई गई है या जो निष्क्रि य हैं या जिनकी गतिविधियां आपत्तिजनक मानी गई हैं। कई संस्थाओं के बैंक खाते भी बंद कर दिए गए हैं।

जब यह मामला संसद में उठेगा तो सरकार को यह बताना पड़ेगा कि इन संस्थाओं पर रोक लगाने के ठोस कारण क्या हैं? ये संस्थाएं सिर्फइस कारण विदेशी पैसे का दुरुपयोग नहीं कर सकतीं कि इनके साथ देश के बड़े-बड़े लोगों के नाम जुड़े हुए हैं।

सरकार ने विदेशी पैसे से चलनेवाली इन संस्थाओं के कामकाज पर कड़ी निगरानी शुरू कर दी है, यह तो ठीक है लेकिन यह देखना भी उसका कर्तव्य है कि मरीजों, अनाथों, छात्रों और गरीबों का जीना दूभर न हो जाए। उनकी वैकल्पिक व्यवस्था भी जरूरी है। कोई राष्ट्र या उसके नागरिक किसी पराए देश के लिए अपनी तिजोरियां प्राय: तभी खोलते हैं, जब उन्हें अपना कोई स्थूल या सूक्ष्म स्वार्थ सिद्ध करना होता है। क्या वह दिन भी कभी आएगा, जब हमारी सरकार की तरह हमारी सामाजिक संस्थाएं विदेशी पैसा लेना बंद कर देंगी?

Web Title: Vedpratap Vaidik's blog Foreign money and our institutions

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