वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः भारत को बनाए रखनी होगी तटस्थता

By वेद प्रताप वैदिक | Published: September 22, 2021 10:25 AM2021-09-22T10:25:43+5:302021-09-22T10:29:30+5:30

भारत के लिए चिंता का विषय यह है कि अभी पिछले हफ्ते ही अमेरिका ने एक नया संगठन खड़ा कर दिया है। उसका नाम है ऑकुस यानी ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और यूएस।

Vedpratap Vaidik blog India will have to maintain neutrality | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः भारत को बनाए रखनी होगी तटस्थता

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः भारत को बनाए रखनी होगी तटस्थता

Highlightsप्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी काफी दिनों बाद इस हफ्ते विदेश यात्ना करनेवाले हैंवे वाशिंगटन और न्यूयॉर्क में कई महत्वपूर्ण मुलाकातें करनेवाले हैंभारत और अमेरिका के आपसी संबंधों में घनिष्ठता बढ़े, यह दोनों देशों के हित में है

प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी काफी दिनों बाद इस हफ्ते विदेश यात्ना करनेवाले हैं। वे वाशिंगटन और न्यूयॉर्क में कई महत्वपूर्ण मुलाकातें करनेवाले हैं। सबसे पहले तो वे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से मिलेंगे और फिर चौगुटे (क्वाड) के नेताओं से मिलेंगे यानी जापान के प्रधानमंत्नी योशिहिदे सुगा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्नी स्कॉट मॉरिसन से भी मिलेंगे। इस दौरान वे अमेरिका की कई बड़ी कंपनियों के मालिकों से भी भेंट करेंगे। संयुक्त राष्ट्र में उनके भाषण के अलावा उनका सबसे महत्वपूर्ण काम होगा चौगुटे के सम्मेलन में भाग लेना। यह चौगुटा बना है अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया को मिलाकर। इसका अघोषित लक्ष्य है चीनी प्रभाव को एशिया में घटाना लेकिन चीन ने इसका नया नामकरण कर दिया है। वह कहता है कि यह ‘एशियाई नाटो’ है। यूरोपीय नाटो बनाया गया था सोवियत संघ का मुकाबला करने के लिए और यह बना है चीन का मुकाबला करने के लिए। 

भारत के लिए चिंता का विषय यह है कि अभी पिछले हफ्ते ही अमेरिका ने एक नया संगठन खड़ा कर दिया है। उसका नाम है ऑकुस यानी ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और यूएस। इसमें भारत और जापान छूट गए हैं और ब्रिटेन जुड़ गया है। अमेरिका ने यह नए ढंग का गुट क्यों बनाया है, समझ में नहीं आता। अब चौगुटे का महत्व घटेगा या उसका दर्जा दोयम हो जाएगा। इस नए गुट में अमेरिका अब ऑस्ट्रेलिया को कई परमाणु-पनडुब्बियां देगा। क्या वह भारत को भी देगा? परमाणु पनडुब्बियों का सौदा पहले ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस से किया हुआ था। वह रद्द हो गया। फ्रांस बौखलाया हुआ है। यदि मोदी-बाइडेन भेंट और चौगुटे की बैठक में अफगानिस्तान, प्रदूषण और कोविड जैसे ज्वलंत प्रश्नों पर भी वैसी ही घिसी-पिटी बातें होती हैं, जैसी कि सुरक्षा परिषद, शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स की बैठकों में हुई हैं तो भारत को क्या लाभ होना है?

भारत और अमेरिका के आपसी संबंधों में घनिष्ठता बढ़े, यह दोनों देशों के हित में है लेकिन हम यह न भूलें कि पिछले 74 साल में भारत किसी भी महाशक्ति का पिछलग्गू नहीं बना है। सोवियत संघ के साथ भारत के संबंध अत्यंत घनिष्ठ रहे लेकिन शीतयुद्ध के दौरान भारत अपनी तटस्थता के आसन पर टिका रहा। अब भी वह अपनी गुट-निरपेक्षता या असंलग्नता को अक्षुण्ण बनाए रखना चाहता है। वह रूस, चीन, फ्रांस या अफगानिस्तान से अपने रिश्ते अमेरिका के मन मुताबिक क्यों बनाए? मोदी को अपनी इस अमेरिका यात्ना के दौरान भारतीय विदेश नीति के इस मूल मंत्न को याद रखना है।

Web Title: Vedpratap Vaidik blog India will have to maintain neutrality

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे