वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: सीबीआई चीफ ऋषि कुमार शुक्ला की नियुक्ति पर कांग्रेस बेवजह कर रही है विवाद

By Prakash Biyani | Published: February 4, 2019 07:38 AM2019-02-04T07:38:51+5:302019-02-04T16:16:06+5:30

कांग्रेस ने लगभग दो साल पहले सीबीआई निदेशक के पद पर आलोक वर्मा की नियुक्ति का भी जमकर विरोध किया था लेकिन जब वर्मा और केंद्र सरकार में टकराव हुआ तो कांग्रेस वर्मा की तारीफों के पुल बांधने लगी.

Ved Pratap Vaidik's blog: Nirbhay controversy on CBI chief Pratap pratap के अनुवाद इतनी बार इस्तेमाल हुआ प्रताप pratap, prataap | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: सीबीआई चीफ ऋषि कुमार शुक्ला की नियुक्ति पर कांग्रेस बेवजह कर रही है विवाद

सीबीआई के नव नियुक्त प्रमुख ऋषि कुमार शुक्ला मध्य प्रदेश के डीजीपी पुलिस रह चुके हैं।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक के पद पर ऋषि कुमार शुक्ला की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस ने जो विवाद खड़ा किया है, वह अनावश्यक लगता है. यह ठीक है कि शुक्ला पहले कभी इस ब्यूरो के अफसर नहीं रहे लेकिन वे मध्य प्रदेश के वरिष्ठतम पुलिस अफसर रह चुके हैं और उन्हें लगभग दस वर्ष का गुप्तचरी का अनुभव भी है. 

कांग्रेस ने लगभग दो साल पहले सीबीआई निदेशक के पद पर आलोक वर्मा की नियुक्ति का भी जमकर विरोध किया था लेकिन जब वर्मा और केंद्र सरकार में टकराव हुआ तो कांग्रेस वर्मा की तारीफों के पुल बांधने लगी. इसका अर्थ क्या हुआ? क्या यह नहीं कि मोदी-सरकार का दुश्मन कांग्रेस का मित्न, अपने आप बन जाएगा? यानी शत्नु का शत्नु, मित्न कहलाएगा? क्या यह नीति किसी भी देश को ठीक राह पर चलने देगी?

सीबीआई निदेशक की नियुक्ति करने वाले पैनल में प्रधानमंत्नी, प्रधान न्यायाधीश और संसद में विपक्ष का नेता होता है. इन तीनों में से  कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने विरोध किया.

उनके विरोध का मुख्य तर्क यह था कि शुक्ला को भ्रष्टाचार के मामले की जांच का अनुभव नहीं है, जो कि इस पद पर नियुक्ति की एक शर्त है. यह ठीक है लेकिन इस पद के लिए अन्य जितनी भी शर्ते हैं, उन सब में शुक्ला किसी से कम नहीं हैं बल्कि ज्यादा ही हैं. म.प्र. में पुलिस महानिदेशक के तौर पर शुक्ला ने कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं और वे वरिष्ठता में अन्य उम्मीदवारों से आगे हैं.

उनकी ईमानदारी और कर्मठता की भी सराहना होती रही है. उन्होंने कई भ्रष्ट पुलिस अफसरों को बर्खास्त किया है और कई के खिलाफ जांच भी बिठाई है. उन्होंने 2005 में अबू सलेम और मोनिका बेदी जैसे अपराधियों को विदेश से पकड़ कर भारत में लाने में भी अग्रणी भूमिका निभाई है. जहां तक भ्रष्टाचार की जांच के अनुभव का सवाल है, कौन-सा ऐसा एक भी पुलिस वाला देश में है, जिसका भ्रष्टाचार से पाला नहीं पड़ा है? क्या ही अच्छा होता कि यह नियुक्ति सर्वसम्मति से होती.

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