ब्लॉग: हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के लिए वर्तमान परिदृश्य में जरूरी है ऊर्जा संरक्षण, कोरोना काल के बाद बदली है परिस्थियां
By शशांक द्विवेदी | Published: December 14, 2022 08:50 AM2022-12-14T08:50:29+5:302022-12-14T08:56:12+5:30
आपको बता दें कि किसी भी देश के आधारभूत विकास के लिए ऊर्जा का सतत और निर्बाध प्रवाह बहुत जरूरी है। देश में प्रति व्यक्ति औसत ऊर्जा खपत वहां के जीवन स्तर की सूचक होती है। इस दृष्टि से दुनिया के देशों में भारत का स्थान काफी नीचे है।
नई दिल्ली: पिछले दस महीनों से यूक्रेन–रूस युद्ध चल रहा है। इस दरम्यान दुनियाभर में क्रूड ऑयल के दामों में तेजी की वजह से ईंधन की कीमतें बढ़ीं है। इस युद्ध की वजह से अभी भी यूरोप बिजली, प्राकृतिक गैस और ऊर्जा संकट से जूझ रहा है।
भारत 90 फीसदी क्रूड ऑयल दूसरे देशों से करता है आयात
पूरी दुनिया महंगाई और ऊर्जा संकट का सामना कर रही है। भारत तो अपनी जरूरत का 90 फीसदी क्रूड ऑयल दूसरे देशों से आयात करता है, ऐसे में हम अपनी ईंधन और ऊर्जा जरूरतों के लिए अभी भी दूसरे देशों पर निर्भर हैं।
किसी भी देश के आधारभूत विकास के लिए ऊर्जा का सतत और निर्बाध प्रवाह बहुत जरूरी है। देश में प्रति व्यक्ति औसत ऊर्जा खपत वहां के जीवन स्तर की सूचक होती है। इस दृष्टि से दुनिया के देशों में भारत का स्थान काफी नीचे है।
हमारी प्राकृतिक संसाधन बहुत ही सीमित है
देश की आबादी बढ़ रही है। बढ़ती आबादी के उपयोग के लिए और विकास को गति देने के लिए हमारी ऊर्जा की मांग भी बढ़ रही है। द्रुतगति से देश के विकास के लिए औद्योगीकरण, परिवहन और कृषि के विकास पर ध्यान देना होगा। इसके लिए ऊर्जा की आवश्यकता है।
दुर्भाग्यवश ऊर्जा के हमारे प्राकृतिक संसाधन बहुत ही सीमित हैं। खनिज तेल, पेट्रोलियम, गैस, उत्तम गुणवत्ता के कोयले के हमारे प्राकृतिक संसाधन बहुत ही सीमित हैं। हमें बहुत सा पेट्रोलियम आयात करना पड़ता है। हमारी विद्युत की मांग उपलब्धता से कहीं बहुत ज्यादा है। आवश्यकता के अनुरूप विद्युत का उत्पादन नहीं हो पा रहा है। देश में बिजली की आपूर्ति कम पड़ रही है।
ऊर्जा बचत के लिए हम सबको आगे आना चाहिए
ऊर्जा बचत में हम सबका सहयोग अत्यंत आवश्यक है। यदि ऊर्जा का उपयोग सोच-समझ कर नहीं किया गया तो इसका भंडार जल्द ही समाप्त हो सकता है। कोरोना महामारी के बाद वैश्विक परिदृश्य बदल गया है, अब हमें हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना होगा। ऊर्जा क्षेत्र में आयात को कम करते हुए ऊर्जा संरक्षण पर ध्यान देना होगा।