भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग : मुफ्त वितरण के प्रलोभनों पर रोक जरूरी

By भरत झुनझुनवाला | Published: September 4, 2021 12:20 PM2021-09-04T12:20:42+5:302021-09-04T12:34:25+5:30

इंग्लैंड के चुनाव में वहां की लेबर पार्टी ने जनता को मुफ्त ब्राडबैंड, मुफ्त बस यात्ना और मुफ्त कार पार्किग जैसी सुविधाओं का प्रलोभन दिया था लेकिन किसी को मुफ्त में चीजें देने के स्थान पर उसे रोजगार देना ज्यादा उत्तम है, तभी वह आजीवन अपनी आजीविका की व्यवस्था कर सकता है .

there is not a good way to give the temptation to janta in politics for votes | भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग : मुफ्त वितरण के प्रलोभनों पर रोक जरूरी

फोटो सोर्स - सोशल मीडिया

Highlightsकिसी को मुफ्त में चीजें देने के स्थान पर उसे रोजगार देना ज्यादा उत्तम देश में कांग्रेस ने 2009 में किसानों की ऋण माफी का वायदा कियाइंग्लैंड के चुनाव में वहां की लेबर पार्टी ने जनता को मुफ्त ब्राडबैंड, मुफ्त बस यात्ना और मुफ्त कार पार्किग

बीते समय में इंग्लैंड के चुनाव में वहां की लेबर पार्टी ने जनता को मुफ्त ब्राडबैंड, मुफ्त बस यात्ना और मुफ्त कार पार्किग जैसी सुविधाओं का प्रलोभन दिया था. हम भी क्यों पीछे रहते. उत्तर प्रदेश में कुछ वर्ष पूर्व छात्नों को मुफ्त लैपटॉप दिए गए, तमिलनाडु में चुनाव पूर्व किचन ग्राइंडर और साइकिल वितरित करने का आश्वासन दिया गया, दिल्ली में एक सीमा के अंतर्गत मुफ्त बिजली और पानी दिया जा रहा है और केंद्र सरकार द्वारा मुफ्त गैस सिलेंडर, एलईडी बल्ब और खाद्यान्न वितरित किए जा रहे हैं. निश्चित रूप से इस प्रकार के सीधे वितरण से जन कल्याण हासिल होता है. जिस छात्न को लैपटॉप मिल जाता है, वह उससे अपने कौशल को सुधार सकता है और जीवन में आगे बढ़ सकता है. लेकिन किसी को मुफ्त में चीजें देने के स्थान पर उसे रोजगार देना ज्यादा उत्तम है, तभी वह आजीवन अपनी आजीविका की व्यवस्था कर सकता है. इसलिए सरकार के लिए जरूरी है कि वह अपने सीमित राजस्व का उस स्थान पर निवेश करे जहां कि जनता का लंबे समय तक और अधिकाधिक कल्याण हो सके.

यहां एक विषय यह है कि अक्सर इस प्रकार के मुफ्त वितरण के वायदे चुनाव पूर्व किए जाते हैं जैसा कि इंग्लैंड में लेबर पार्टी ने चुनाव पूर्व किया. अपने देश में कांग्रेस ने 2009 में किसानों की ऋण माफी का वायदा किया और सत्ता हासिल की थी. तमिलनाडु में जैसा कि ऊपर बताया गया है, किचन ग्राइंडर आदि बांटने के आश्वासन चुनाव पूर्व दिए गए. इस प्रकार के वायदे किए जाने से सरकार के राजस्व का उपयोग पार्टी के हितों को साधने के लिए किया जाता है. जैसे यदि कांग्रेस सरकार ने 2009 में लोन माफी का वायदा किया अथवा वर्तमान में केंद्र सरकार एलपीजी गैस के सिलेंडर बांट रही है तो इसका लाभ पार्टी विशेष को मिलता है, जबकि इन मुफ्त सुविधाओं को वितरित करने का भार सरकार के राजस्व पर पड़ता है. अत: उच्चतम न्यायालय ने हाल में ही नोटिस जारी किया है कि चुनाव पूर्व इस प्रकार के वायदों पर रोक क्यों न लगाई जाए? सुप्रीम कोर्ट की यह सोच सही दिशा में है और केंद्र सरकार को इस दिशा में स्वयं पहल करके इस प्रकार के चुनाव पूर्व वायदों को प्रतिबंधित करने का राष्ट्रव्यापी कानून बनाना चाहिए.

चुनाव से आगे, सरकार द्वारा तीन प्रकार की सुविधाएं दी जाती हैं. पहली सुविधा सार्वजनिक जो केवल सरकार द्वारा दी जा सकती है, दूसरी सुविधा उत्कृष्ट जो व्यक्तिगत है लेकिन उसका समाज पर प्रभाव पड़ता है, और तीसरी व्यक्तिगत जो कि व्यक्ति विशेष मात्न को लाभ पहुंचाती है. सार्वजनिक सुविधाएं वे हैं जो सरकार ही उपलब्ध करा सकती है जैसे- रेलगाड़ी, गांव की सड़क अथवा कोविड से बचने के लिए क्या कदम उठए जाएं इसकी जानकारी. ये सुविधा केवल सरकार ही दे सकती है. इसलिए सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी इस प्रकार की सार्वजनिक सुविधाओं को उपलब्ध कराने की होनी चाहिए. इससे आगे कुछ सुविधाएं व्यक्तिगत लेकिन ‘उत्कृष्ट’ कही जा सकती हैं. जैसे किसी व्यक्ति द्वारा मास्क पहनना मूलत: व्यक्तिगत सेवा है. वह बाजार से 10 रुपए का मास्क खरीदकर पहन सकता है. इसमें सरकार के द्वारा वितरण करने की जरूरत नहीं है. लेकिन व्यक्ति के मास्क पहनने से दूसरों का संक्र मण से बचाव होता है. इसलिए सरकार मास्क बांटे और लोगों को उसे लगाने के लिए प्रेरित करे तो यह सुविधा व्यक्तिगत होने के बावजूद उत्कृष्ट कही जा सकती है क्योंकि इससे दूसरे तमाम लोगों को लाभ होता है. इसकी तुलना में कुछ सुविधाएं मुख्यत: व्यक्तिगत कही जा सकती हैं. जैसे मुफ्त बिजली-पानी, मुफ्त गैस सिलेंडर, मुफ्त साइकिल अथवा लैपटॉप. इस प्रकार की सेवाओं को वितरित करने से व्यक्ति विशेष मात्न को लाभ होता है और पूरे समाज को इसका लाभ नहीं होता है परंतु सरकार का राजस्व खप जाता है. अत: प्रश्न यह है कि सरकार को अपने सीमित राजस्व को किन सुविधाओं में लगाना चाहिए?

सरकार को चाहिए कि इन तीनों प्रकार की सुविधाओं का जनकल्याण की दृष्टि से आकलन कराए. गांव में सड़क बना दी जाए तो जनकल्याण पर सीधा और गहरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि बच्चे शिक्षा प्राप्त करने के लिए शहर जा सकते हैं और किसान अपनी सब्जी को शहर पहुंचा सकता है. सड़क बनाने से व्यक्ति अपनी आय को आगे तक अर्जित करने में सक्षम हो जाता है. उत्कृष्ट सेवाओं से भी लाभ होता है लेकिन सार्वजनिक सेवाओं की तुलना में कम. जैसे यदि मास्क बांटा जाए तो लाभ अवश्य होता है लेकिन सड़क की तुलना में इसका लाभ कम होगा चूंकि मास्क तो व्यक्ति स्वयं भी खरीद ही लेता है. तीसरी व्यक्तिगत सुविधाओं का लाभ न्यून ही होता है यद्यपि इनमें खर्च ज्यादा आता है. जैसे मुफ्त बिजली-पानी उपलब्ध कराने के लिए वर्ष दर वर्ष सरकार को भारी रकम चुकानी पड़ती है जबकि उसका सामाजिक लाभ नहीं होता है. यदि यही रकम दिल्ली की झुग्गियों में सड़क, बिजली और मुफ्त वाईफाई उपलब्ध कराने में लगाई जाए तो जनता को और आय अर्जित करने में सुविधा होगी और उसका जीवन स्तर उतरोत्तर सुधरता जाएगा.

इस दृष्टि से केंद्र सरकार को तमाम योजनाओं पर पुनर्विचार करना चाहिए. केंद्र सरकार द्वारा कुछ योजनाएं उत्कृष्ट श्रेणी की हैं जैसे किसान को पेंशन, ग्रामीण कौशल योजना, दीनदयाल उपाध्याय योजना, अन्त्योदय योजना, प्रधानमंत्नी कौशल विकास योजना, मातृत्व वंदना योजना और स्वामित्व योजना. इन योजनाओं से यद्यपि व्यक्ति सीधे लाभान्वित होता है लेकिन इनका समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ता है. लेकिन केंद्र सरकार द्वारा तमाम ऐसी योजनाएं चलाई जा रही हैं जो केवल व्यक्तिगत लाभ पहुंचाती हैं. इस प्रकार की योजनाओं से वोट अवश्य मिलते हैं लेकिन इससे जनता का दीर्घकालीन और स्थायी विकास नहीं होता है. इसलिए केंद्र सरकार को चाहिए कि व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं को समाप्त करे और उस रकम को रेल, सड़क और वाईफाई जैसी सामूहिक योजनाओं में लगाए जिससे कि जनता अपनी आय बढ़ाने में सक्षम हो और अपना जीवनस्तर सुधार सके.

Web Title: there is not a good way to give the temptation to janta in politics for votes

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