ब्लॉग: दूसरे देश का युद्ध लड़ने के लिए झोंके गए भारतीयों की त्रासदी

By शोभना जैन | Published: March 15, 2024 11:26 AM2024-03-15T11:26:27+5:302024-03-15T11:29:23+5:30

हाल ही में इस आशय की खबरें सुर्खियां बनीं कि रूस-यूक्रेन युद्ध में अनेक भारतीय युवा अनजाने में ही रूस की तरफ से युद्ध लड़ने के दुष्चक्र में फंस गए हैं।

The tragedy of Indians thrown to fight another country war | ब्लॉग: दूसरे देश का युद्ध लड़ने के लिए झोंके गए भारतीयों की त्रासदी

फाइल फोटो

Highlightsविदेश मंत्रालय ने सूरत और हैदराबाद से वहां गए दो ऐसे भारतीयों के मारे जाने की पुष्टि भी कीविदेश मंत्रालय ने कहा है कि सरकार रूस में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए प्रयास कर रही हैपंजाब और हरियाणा से वहां जाकर इस दुष्चक्र में फंस गए सात युवाओं ने बिलखते हुए भारत सरकार से उन्हें वापस बुलाने की गुहार की

हाल ही में इस आशय की खबरें सुर्खियां बनीं कि रूस-यूक्रेन युद्ध में अनेक भारतीय युवा अनजाने में ही रूस की तरफ से युद्ध लड़ने के दुष्चक्र में फंस गए हैं। ये वो युवा हैं जो जान जोखिम में डाल कर एक ऐसे देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे रहे हैं जिसके वे न तो नागरिक हैं और न ही उनका उस देश से कोई भावनात्मक रिश्ता है।

वे वहां कुछ वीजा एजेंटों के जाल में फंस कर भारत में अपने घर, खेत, खलिहान गिरवी रखकर बिछोह से बिलखते परिवारजनों को एक बेहतर जिंदगी देने के झांसे में आकर खून जमा देने वाली बर्फ से ढके देश में बेहतर रोजगार के लालच में गए थे। इन खबरों के प्रकाश में आने पर विदेश मंत्रालय ने सूरत और हैदराबाद से वहां गए दो ऐसे भारतीयों के मारे जाने की पुष्टि भी की। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सरकार रूस में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए प्रयास कर रही है।

दरअसल हाल ही में ऐसे वीडियो सोशल मीडिया में आए जिनमें पंजाब और हरियाणा से वहां जाकर इस दुष्चक्र में फंस गए सात युवाओं ने बिलखते हुए भारत सरकार से उन्हें वापस बुलाने की गुहार की। ये सभी युवा रूस की सैन्य वर्दी में थे। इजराइल-हमास युद्ध में कामगारों की किल्लत झेल रहे इजराइल में कुछ राज्य सरकारों द्वारा भारतीय कामगारों की आधिकारिक भर्ती करने की खबरों के बीच अब रूस में भारतीय युवाओं के युद्ध में झोंक दिए जाने की खबरों से फिर से एक बार ये सवाल और गहरे हो गए हैं।

वैसे बड़ी तादाद में भारतीय युवा इंजीनियरिंग, डॉक्टरी की पढ़ाई करने वहां जाते रहे हैं तथा अन्य रोजगारों में भी लगे रहे हैं। अगर युद्ध क्षेत्र में भेजे जा रहे नागरिकों की बात करें तो उन्हें अच्छी नौकरियां, प्रोत्साहन राशि वगैरह देने की बात कही गई थी लेकिन बताया जाता है कि इनमें से तीन को तो सीधा ही युद्ध क्षेत्र में भेज दिया गया।

खबरों के अनुसार रूसी सेना ने पिछले वर्ष भारत से लगभग 100 युवाओं को सहायक बतौर रोजगार पर रखा था, जिनके सेना को साजो-सामान लाने और खंदकें वगैरह खोदने जैसे काम करने की बात कही गई थी। इन खबरों के सार्वजनिक होने पर सीबीआई ने इन्हें भेजने वाले एजेंटों की धरपकड़ शुरू कर दी और सरकार ने भी ऐसे एजेंटों के झांसे में न आने की एडवाइजरी जारी की।

फौरी जरूरत है कि वहां फंसे भारतीय युवाओं को जल्द से जल्द वापस देश लाया जाए, खास कर ऐसे में जबकि रूस के साथ भारत के खासे दोस्ताना रिश्ते हैं। साथ ही ऐसे एजेंटों के खिलाफ समय रहते कड़ी कार्रवाई की जाए। सरकार की भी जिम्मेदारी है कि ऐसा पारदर्शी, मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाए जिससे भारतीय युवा एक बेहतर जिंदगी की आस में किसी अन्य देश का युद्ध लड़ते हुए वहां के युद्ध मोर्चे में शहीद न होने पाएं।

Web Title: The tragedy of Indians thrown to fight another country war

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