ब्लॉग: शिक्षा के मंदिरों पर न पड़ने पाए नशे का साया

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: March 16, 2024 10:45 AM2024-03-16T10:45:42+5:302024-03-16T10:47:39+5:30

यह राहत की बात है कि महाराष्ट्र के पनवेल, कल्याण, डोंबिवली शहरों में कुछ जगहों पर स्कूल परिसर में बार और शराब बेचे जाने की खबर ‘लोकमत समाचार’ में प्रकाशित होने के बाद सरकार नींद से जाग गई और राज्य के उत्पाद शुल्क मंत्री शंभूराज देसाई ने गुरुवार को बार और शराब बिक्री के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

The shadow of intoxication should not fall on the temples of education | ब्लॉग: शिक्षा के मंदिरों पर न पड़ने पाए नशे का साया

फाइल फोटो

Highlightsशराब दुकानों से सरकारों को भले ही भारी-भरकम राजस्व मिलता हो, लेकिन उन्हें देश के भविष्य को बर्बाद करने की अनुमति हर्गिज नहीं दी जा सकतीलेकिन सवाल यह है कि नियमों के होते हुए भी स्कूल परिसरों में बार कैसे चलाए जा रहे थेऐसे मामलों में इतनी सख्त कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए जो भविष्य के लिए मिसाल बने

यह राहत की बात है कि महाराष्ट्र के पनवेल, कल्याण, डोंबिवली शहरों में कुछ जगहों पर स्कूल परिसर में बार और शराब बेचे जाने की खबर ‘लोकमत समाचार’ में प्रकाशित होने के बाद सरकार नींद से जाग गई और राज्य के उत्पाद शुल्क मंत्री शंभूराज देसाई ने गुरुवार को बार और शराब बिक्री के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

देसाई ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों, धार्मिक स्थानों, बस स्टेशनों, राष्ट्रीय राजमार्गों के 75 मीटर के दायरे में होटलों या रेस्तरां में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध का नियम है और उन्होंने निर्देश दिए कि इन नियमों का सख्ती से पालन किया जाए। लेकिन सवाल यह है कि नियमों के होते हुए भी स्कूल परिसरों में बार कैसे चलाए जा रहे थे और शराब बेची जा रही थी। क्या ऐसे मामलों में इतनी सख्त कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए जो भविष्य के लिए मिसाल बने।

शिक्षा के मंदिरों में इस तरह का मजाक किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। बच्चे ही किसी भी देश का भविष्य होते हैं और बच्चों को नशे की जद में लाने की किसी भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष कोशिश को अक्षम्य अपराध माना जाना चाहिए। लेकिन विडंबना यह है कि राज्य के स्कूल परिसरों में शराब बेचे जाने की ये घटनाएं कोई अपवाद नहीं हैं। देश के कई हिस्सों से इस तरह की खबरें सामने आती रही हैं।

उत्तरप्रदेश में कुछ साल पहले कई जगह ऐसी शिकायतें सामने आ रही थीं कि शराब के ठेके स्कूल के नजदीक खुले हुए हैं, लेकिन शिकायत के बाद भी संबंधित विभाग स्कूल गेट से दूरी का हवाला देते हुए कोई भी कार्रवाई करने से इंकार कर देता था। इस अजीबोगरीब नियम को कुछ सामाजिक संगठनों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी, तब जाकर हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद शराब के ठेके की दूरी को स्कूल गेट के बजाय स्कूल की हर तरह की बाउंड्री से तय करने के आदेश जारी किए।

कानपुर में अभी पिछले महीने ही पांच वर्षीय एक बच्चे को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहना पड़ा कि स्कूल के पास शराब दुकान में लोग शराब पीकर हुड़दंग करते हैं, जिसके बाद हाईकोर्ट ने आबकारी विभाग से जवाब तलब किया कि स्कूल से 30 मीटर के दायरे में शराब दुकान कैसे चल रही है। शराब दुकानों से सरकारों को भले ही भारी-भरकम राजस्व मिलता हो, लेकिन उन्हें देश के भविष्य को बर्बाद करने की अनुमति हर्गिज नहीं दी जा सकती।

Web Title: The shadow of intoxication should not fall on the temples of education

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे