शशिधर खान का ब्लॉग: उत्तर-पूर्व में भाजपा के लिए राह नहीं होगी आसान

By शशिधर खान | Published: January 20, 2023 01:18 PM2023-01-20T13:18:32+5:302023-01-20T13:20:59+5:30

भाजपा के लिए असली चुनौती अभी त्रिपुरा है, जहां 20 वर्षों से कायम सीपीएम (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) सरकार को हटाने में भाजपा को कामयाबी मिली।

The road will not be easy for the BJP in the North-East | शशिधर खान का ब्लॉग: उत्तर-पूर्व में भाजपा के लिए राह नहीं होगी आसान

शशिधर खान का ब्लॉग: उत्तर-पूर्व में भाजपा के लिए राह नहीं होगी आसान

Highlightsभाजपा की नजर अभी इन्हीं तीनों राज्यों पर है, जहां विधानसभा चुनाव फरवरी-मार्च, 2023 में होने हैं।इन तीनों उत्तर पूर्वी राज्यों का राजनीतिक समीकरण और चुनावी मुद्दे अन्य राज्यों से भिन्न हैं।नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से भाजपा का पूर्वोत्तर में सत्ता फैलाव और दबाव बढ़ा है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नए वर्ष की शुरुआत पूर्वोत्तर के राजनीतिक दौरे से की। उनके जनवरी से आरंभ कार्यक्रमों का फोकस 9 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव पर है। 16-17 जनवरी को हुई भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अन्य राज्यों के अलावा 3 पूर्वोत्तर राज्यों-त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड पर विशेष चर्चा हुई। 

भाजपा की नजर अभी इन्हीं तीनों राज्यों पर है, जहां विधानसभा चुनाव फरवरी-मार्च, 2023 में होने हैं। इन तीनों उत्तर पूर्वी राज्यों का राजनीतिक समीकरण और चुनावी मुद्दे अन्य राज्यों से भिन्न हैं। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से भाजपा का पूर्वोत्तर में सत्ता फैलाव और दबाव बढ़ा है।
2021 में असम में भाजपा दूसरी बार सत्ता में आ चुकी है। मणिपुर में भी भाजपा 2022 में लगातार दूसरी बार सत्ता में आई। 

इन दोनों राज्यों में 15 साल से चली आ रही कांग्रेस सरकार को भाजपा ने अपदस्थ किया। भाजपा के लिए असली चुनौती अभी त्रिपुरा है, जहां 20 वर्षों से कायम सीपीएम (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) सरकार को हटाने में भाजपा को कामयाबी मिली। अमित शाह 2023 के शुरू में ही 5 जनवरी को सबसे पहले त्रिपुरा गए और राज्यव्यापी चुनावी यात्रा को झंडी दिखाकर रवाना किया। उसके बाद मणिपुर और फिर नगालैंड पहुंचे। 

त्रिपुरा में भाजपा ने 2018 में कुछ छोटे दलों को मिलाकर सीपीएम और कांग्रेस को पटखनी जरूर दी, मगर भाजपा की सरकार के अंदर उठापटक का सिलसिला पूरे पांच साल तक चलता रहा। त्रिपुरा में सीपीएम नीत वाम गठजोड़ की सरकार चल रही थी और कांग्रेस विपक्ष में होती थी। लेकिन इस चुनाव के करीब आते-आते भाजपा के अंदरूनी मतभेद ने वाम दलों और कांग्रेस को एक मंच पर लाकर मजबूत बना दिया है।
 
पूर्वोत्तर समेत जिन नौ राज्यों में 2023 में विधानसभा चुनाव होनेवाले हैं, उनमें सबसे ज्यादा अहम भाजपा के लिए त्रिपुरा है। इस राज्य में एक और कठिन चुनौती भाजपा के लिए अलग तिपरालैंड राज्य की मांग ने खड़ी की हुई है। मेघालय में भाजपा को असम-मेघालय सीमा विवाद के नवंबर 2022 में हिंसक रूप लेने का भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

असम की भाजपा सरकार और मेघालय सरकार दोनों ने सीमावर्ती गांव मकरोह में ग्रामीणों के खिलाफ पुलिस फायरिंग का एक-दूसरे पर आरोप लगाया। 6 लोग झड़प में मारे गए। केंद्र सरकार दोनों सरकारों के बीच समझौता नहीं करा पाई। विवाद सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। केंद्रीय गृह मंत्री के पूर्वोत्तर दौरे के पहले से ही सारे नगा जन संगठन चुनाव से पहले नगा झंझट का स्थायी समाधान निकालने की मांग कर रहे हैं।

Web Title: The road will not be easy for the BJP in the North-East

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