डॉक्टर सरवन सिंह बघेल का ब्लॉग: देश को आज कट्टरपंथी सोच से बचाने की आवश्यकता है

By डॉ. सरवन सिंह बघेल | Published: April 6, 2022 11:40 PM2022-04-06T23:40:53+5:302022-04-06T23:55:36+5:30

हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका का चीन की तरफ झुकाव था और जब वहां संकट का समय है तो भारत ने मदद का हाथ बढ़ाकर उसे संबल दिया है। नेपाल भी लिपुलेख सीमा विवाद की कड़वाहट पीछे छोड़ चुका है और यही कारण है कि अभी हाल ही में नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने तीन दिवसीय भारत की यात्रा की।

The country today needs to be saved from radical thinking | डॉक्टर सरवन सिंह बघेल का ब्लॉग: देश को आज कट्टरपंथी सोच से बचाने की आवश्यकता है

डॉक्टर सरवन सिंह बघेल का ब्लॉग: देश को आज कट्टरपंथी सोच से बचाने की आवश्यकता है

Highlightsभारत सरकार की मजबूत विदेश नीति के बूते यूक्रेन में फंसे भारतीयों की सकुशल वापसी हुई यूक्रेन मसले पर यूरोप, एशिया, अमेरिका से लेकर सम्पूर्ण जगत की निगाहें भारत की तरफ थीयुद्धग्रस्त रूस और यूक्रेन लगातार भारत से हस्तक्षेप की उम्मीद कर रहे हैं

आज विज्ञान के इस काल्पनिक और वास्तविक युग में जहां “समानांतर विश्व” या “वैकल्पिक वास्तविकता” की बात होती है। वैकल्पिक वास्तविकता का वैज्ञानिक सिद्धांत कहता है कि एक ही समय में हमारी दुनिया की कई प्रतिरूप ब्रह्मांड के अलग-अलग आयामों में फल-फूल रही हैं। इसके लिए भारतीय फिल्मों से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेकों फिल्मों और सीरीजों का निर्माण हो चुका है।

यह सोचकर ही हमें कितना रोमांचक लगता हैं कि काश कहीं किसी आयाम में एक ऐसी दुनिया होगी, जहां सब कुछ यहां जैसा ही होगा। हम यहां साइंस फिक्शन की बात इसीलिए भी कर रहे हैं क्योंकि हमें भी समझ नहीं आ रहा कि हम कौन से भारत में हैं। ऐसा मालूम होता है कि जैसे अन्तरिक्ष के अन्य आयामों में विभिन्न भारत हैं।

हम रोजाना निद्रा में जाते हैं और हर सुबह एक नए आयाम में अपनी आंखें को खोलते है। अभी हाल ही में हम भारत की सफल विदेश नीति के बारे में बात कर रहे थे कि किस प्रकार से भारत सरकार ने अपने मजबूत नेतृत्व और मजबूत विदेश नीति के बलबूते पर यूक्रेन और रूस के युद्ध से भारतीय की लगभग सकुशल वापसी सुनिश्चित की।

यूरोप, एशिया, अमेरिका से लेकर सम्पूर्ण जगत की निगाहें भारत की तरफ थी। रूस और यूक्रेन दोनों ही युद्धग्रस्त देश भारत से हस्तक्षेप की उम्मीद कर रहे थे। भारत ने कुटनीतिक प्रयासों से दोनों देशों के साथ सामंजस्य दिखाते हुए अपनी कुशल विदेश नीति का परिचय दिया।

हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका का चीन की तरफ झुकाव था और जब आज वहां संकट का समय है तो भारत ने मदद का हाथ बढ़ाकर उसे संबल दिया है। नेपाल भी लिपुलेख सीमा विवाद की कड़वाहट पीछे छोड़ चुका है और यही कारण है कि अभी हाल ही में नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने तीन दिवसीय भारत की यात्रा की। नेपाली पीएम की यात्रा के दौरान नेपाल सरकार और भारत सरकार ने बिहार के जयनगर से नेपाल के जनकपुर के बीच रेल लाइन का भी उद्घाटन किया।

भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया ने आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौता पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। पिछले एक दशक में यह पहली बार हुआ है कि भारत ने किसी विकसित देश के साथ व्यापारिक समझौता किया है। इस समझौते से भारतीय बाजार और ऑस्ट्रेलिया के बाजार की लगभग सभी मुश्किलें समाप्त होती दिखाई दे रही हैं।

आज भारत सरकार सिर्फ कूटनीति की दुनिया में सफलतम काम कर रही है, ऐसा नहीं है। भारत सरकार इसके साथ ही नागरिक हितों के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय काम कर रही है। अगर हम सरकार की उपलब्धियों पर बात करें तो 3 अप्रैल को खेल और युवा मंत्री अनुराग ठाकुर ने राष्ट्रीय डोप परीक्षण प्रयोगशाला द्वारा विकसित छह रेफरेंस मैटेरियल को लॉन्च किया।

रेफरेंस मैटेरियल के लिए रसायनों के सबसे शुद्ध प्रकार की आवश्यकता होती है, जो अत्यंत दुर्लभ होता है। इनका इस्तेमाल डोपिंग की जांच करने के लिए होता है। पहले हम ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों से इन्हें मंगाते थे। भारत के रसायन वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत से आज हम इसे बनाने में आत्मनिर्भर हो गए है।

पूर्व रेलमंत्री पीयूष गोयल ने मंत्री रहते हुए देश से वादा किया था कि दिसंबर 2023 तक भारतीय रेल के पूरे नेटवर्क को विद्युतिकृत कर दिया जाएगा। उस वक्त लगता था वह लक्ष्य कुछ ज़्यादा ही बड़ा है। लेकिन हाल ही में 3 अप्रैल को जारी रेल मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारतीय रेल का 80 फीसदी नेटवर्क विद्युतिकृत हो गया है, बस 13 हज़ार किलोमीटर का काम बाकी रह गया है। भारतीय रेल ने पूरे वर्ष में 6 हज़ार किलोमीटर से ज़्यादा रेलवे ट्रैक को विद्युतिकृत किया है। इसका अर्थ है कि 2023 वाली डेडलाइन तक इसका निर्माण पूरा हो चुका होगा।

'राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन' के तहत केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाइड्रोजन आधारित ईंधन बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (एफसीईवी) को देश को समर्पित किया है। इससे भारत की निकट भविष्य में प्राकृतिक ऊर्जा पर निर्भरता कम होगी। आदिवासी क्षेत्रों में भी शिक्षा के प्रसार के लिए केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने 2024 तक आदिवासी छात्रों को समर्पित 740 एकलव्य विद्यालय देने का संकल्प दिया है।

अभी हाल ही में हमारे देश में भी कुछ अप्रिय घटनाएं भी हुईं। जिसे कानून-व्यवस्था के लिहाज से से देश की एकता के अनुकूल नहीं माना जा सकता है। हमारा देश सम्प्रुभुता और राष्ट्रीयता के सिद्धांत को मानने वाला है। हमने भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखने और भारत की सम्प्रुभुता एवं अखंडता को अक्षुण रखने का संकल्प लिया है।

हेट स्पीच या किसी विशेष धर्म, समुदाय या जाति के प्रति घृणा को उकसाने के लिए किए गए संभाषण की घटनाएं देश में बहुत बढ़ती जा रही हैं। इस मुद्दे से जुड़ी ब्रिटिश संहिता में सुधारों का सुझाव देने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित आपराधिक कानूनों पर सुधार समिति प्रयास कर रही है। भारत के विधि आयोग ने अपनी 267 वीं रिपोर्ट में हेट स्पीच की बढ़ती समस्या को परिभाषित करने का प्रयास किया है।

इसके अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और 153बी के अंतर्गत दो समूहों के बीच दुश्मनी तथा नफरत उत्पन्न करने वाले कृत्यों को दंडनीय माना गया है। धारा 295ए के अंतर्गत जानबूझकर या दुर्भावनापूर्ण इरादे से किसी एक समूह की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले कृत्यों को दंडित करने का प्रावधान है। धारा 505 (1) और 505 (2) के अंतर्गत विभिन्न समूहों के बीच द्वेष या घृणा उत्पन्न करने वाली प्रकाशन सामग्री या उसके प्रसार को दंडनीय माना जाता है।

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम या रिप्रेन्सेनटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट, 1951 की धारा 8 में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरूपयोग के दोषी व्यक्ति को चुनाव लड़ने से रोकने का प्रावधान है। धारा 123 (3ए) और 125 के अंतर्गत चुनावों के दौरान जाति, धर्म, समुदाय या भाषा के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देने पर दंड का प्रावधान है। इस मामले में वर्ष 2014 की बेजबरूआ समिति और 2019 की विश्वनाथन समिति ने आईपीसी की धाराओं में संशोधन करके कुछ अन्य प्रावधान जोड़ने का प्रस्ताव रखा था।

तीन अप्रैल को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मठ पर एक आईआईटी बॉम्बे से पास आउट कैमिकल इंजीनियर अहमद मुर्तज़ा ने धारदार हथियार से तैनात पुलिस जवान पर हमला कर दिया। इस दौरान उसने धार्मिक नारे भी लगाए। पुलिस के जवानों ने तत्काल कार्रवाई करते हुए हमलावर को पकड़ लिया। उस युवक ने पुलिस जांच में कबूल किया कि उसने हेट स्पीच से प्रभावित होकर इस घटना को अंजाम दिया है। मेरठ में तथाकथित संगीत सोम सेना के कार्यकर्ताओं ने बिरयानी का ठेला पलट दिया। उनका कहना था कि नवरात्री का पर्व चल रहा है। इसलिए हम मेरठ में मांस की बिक्री नहीं होने देंगे।

ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि हम जिस देश में रहते है, वो विविधताओं से भरा है। ऐसे में हम किसी के रहन-सहन और खान-पान पर कोई सवाल किस तरह से उठा सकते हैं। इस बवाल के बाद मामले की जांच चल रही है। अभी हाल ही में राजौरी के मौलाना ने बयान दिया है उनकी कौम ने 800 साल भारत पर राज किया है। मौलाना बयान देते समय यह भूल गए कि फिलहाल भारत में जनता का राज है और यहां लोकतंत्र कायम है, न कि किसी धर्म का। ऐसे में चुनौती देने का तुक क्या है, क्या इससे देश का सामाजिक माहौल नहीं बिगड़ रहा है?

महाराष्ट्र के महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने हाल ही में बयान दिया है कि अगर मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं हटाये गए तो वो मस्जिदों के सामने हिंदू धार्मिक गाने बजायेंगे। राजस्थान के करौली जिलें में हिन्दू नववर्ष के मौके पर मोटर साइकिल रैली निकली। रैली में बाइक सवारों ने भगवा झंडे को हाथों में ले रखा था। भगवा ध्वज हिंदू धर्म का शाश्वत प्रतीक है। मुस्लिम बहुल इलाके में जैसे ही यह मोटर साइकिल यात्रा पहुंची वहां मौजूद कुछ उपद्रवी तत्वों ने उस पर पथराव कर दिया। उस घटना ने दंगे का रूप ले लिया।

हेट स्पीच के मामले में स्वामी यति नरसिम्हानंद एक अनोखा उदाहरण है। अभी कुछ दिनों पहले ही हेट स्पीच के एक मामले में उन्हें उत्तराखंड से बेल मिली है। जेल से बाहर आकर उन्होंने फिर से नफरती बयान दे डाला। इस बार वो हिंदुओं को हथियार उठाने की सलाह दे रहे हैं। हम देश को किस ओर ले जा रहे हैं। ये हमें सोचना पड़ेगा। कहीं कोई मंदिर टूटने की घटना होती है तो कहीं कुरान के अपमान की तो कहीं चर्च चर्चा में आ जाते हैं।

देश को आजाद हुए 72 साल पूरे हो चुके हैं। भारत को अब सांप्रदायिकता की बेड़ियों से बाहर आना होगा। देश को विकास की लम्बी छलांगे लगानी हैं। जब भारत का संविधान लिखा जा रहा था तो भारतीय नागरिकों के मूल कर्तव्यों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी जोड़ा गया था। विज्ञान में प्रयोगों के द्वारा अनुभव हासिल किया जाता है और प्रमाणित नतीजों को आधार मानकर ही सिद्धांत बनाया जाता है।

ठीक वैसे ही भारतीय नागरिक स्वयं के जीवन के निर्णय लें। नवीन विचारों को स्वीकृत करें और परिवर्तन से भागे नहीं। इन प्रयोगों से समाज में नई चेतना का सृजन होगा। देश खंडता की तरफ नहीं सदैव अखंडता की तरफ बढ़े। हमारे देश एकीकृत रहना चाहिए, विभाजित नहीं।

Web Title: The country today needs to be saved from radical thinking

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