ब्लॉग: भारत-नेपाल के बीच विवाद और चीन की भूमिका
By शक्तिनन्दन भारती | Published: November 19, 2021 04:05 PM2021-11-19T16:05:41+5:302021-11-19T16:07:03+5:30
भारत तथा नेपाल के बीच तनाव के कई बिंदु हैं जिनमें से कुछ प्रमुख हैं मधेसी विवाद, राजनीतिक प्रतिबद्धता और सीमा विवाद। चीन द्वारा नेपाल की अंदरूनी राजनीति में हस्तक्षेप भी एक समस्या है।
भारत नेपाल के साथ अपनी सीमा का एक बड़ा भाग साझा करता है। भारत तथा नेपाल के बीच अत्यंत प्राचीन काल से ही धार्मिक सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार वाणिज्य भी अच्छी स्थिति में है। भारत की विदेश नीति तथा रक्षा नीति दोनों के नीति निर्माण में भारत ने कभी भी नेपाल को नजरअंदाज नहीं किया है।
आंग्ल नेपाल युद्ध जो 1815-16 ईसवी में हुआ था, उसके बाद हुई सुगौली की संधि के पक्ष में कुछ विवाद की स्थिति दोनों देशों के बीच जरूर बनती है लेकिन भारत की इस क्षेत्र में अग्रज की भूमिका के कारण भारत-नेपाल संबंधों में सीमा विवाद कटुता के स्तर पर कभी नहीं पहुंचा।
भारत तथा नेपाल के बीच तनाव के कई बिंदु हैं जिनमें से कुछ प्रमुख हैं मधेसी विवाद, राजनीतिक प्रतिबद्धता और सीमा विवाद। सुगौली की संधि जो 1815 में हुई थी उसको नेपाल वर्तमान में नहीं मानता तथा उसने एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किया है जिसमें सुगौली की संधि से पूर्व के क्षेत्रों को भारतीय क्षेत्र मानने से मना किया है तथा इन क्षेत्रों को नेपाल का भाग माना गया है।
भारत के कूटनीतिक प्रयासों से इस समस्या को वर्तमान में फ्रीज कर दिया गया है। भारत के लिए वर्तमान समय में दूसरी सबसे बड़ी समस्या चीन द्वारा नेपाल की अंदरूनी राजनीति में हस्तक्षेप की है। चीनी हस्तक्षेप के कारण नेपाल पिछले कई दशकों से राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है।
भारत तथा नेपाल के बीच सीमा विवाद के पीछे मूल रूप से नेपाल में सक्रिय वामपंथी राजनीति तथा पूर्व में हुई सुगौली की संधि है। भारत को इन दोनों बिंदुओं पर त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भारत नेपाल संबंध और सुदृढ़ हो सके।