सारंग थत्ते का ब्लॉग: ऊंची उड़ान की ओर बढ़ता तेजस विमान

By सारंग थत्ते | Published: September 20, 2019 05:47 AM2019-09-20T05:47:58+5:302019-09-20T05:47:58+5:30

उम्मीद की जा रही है कि तेजस की शक्ल में कुछ बदलाव देखने को मिलेगा, विशेष रूप से पंखों की बनावट, अधिक ईंधन ले जाने का प्रबंध और बेहतर रडार व इंजन के साथ तेजस मार्क2 आने वाले समय में भारतीय आकाश में नजर आएगा.

Tejas aircraft moving towards high flying | सारंग थत्ते का ब्लॉग: ऊंची उड़ान की ओर बढ़ता तेजस विमान

प्रतीकात्मक फोटो

Highlightsसितंबर 2011 में तेजस ने राजस्थान के रेतीले इलाके में बम बरसाने के परीक्षण को पूरा किया.1000 पौंड के लेजर गाइडेड बम और अनगाइडेड बमों को सटीक निशाने पर दागने में तेजस को सफलता मिली.2012 के मध्य में तेजस की उड़ान पर तीन महीने की रोक लग गई.

ऐतिहासिक कहलाएगा गुरुवार का दिन, जब स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस ने अपने देश के रक्षा मंत्नी राजनाथ सिंह को आकाश में तीस मिनट तक घुमाया. 1984 में तेजस की संकल्पना की गई थी. आज 35 सालों बाद तेजस के अनेक वैज्ञानिक, प्रणोता और कार्मिक जोश से लबरेज हैं - देश ने उनके कार्य को पहचान दी है. 1990 में इस लड़ाकू जहाज के डिजाइन पर मुहर लगी लेकिन बहुत कुछ बाकी था - विशेष रूप से इंजन, प्रोजेक्ट के लिए धन का आवंटन और विमान के विकास का रोड मैप.  धीरे-धीरे वैज्ञानिक अपनी मंजिल की ओर अग्रसर हो रहे थे. तेजस प्रोजेक्ट के प्रणोता, डिजाइनर और प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे पद्मश्री कोटा हरिनारायण.

प्रौद्योगिकी प्रदर्शन के अनुरूप टीडी-1 (टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर) से तेजस का सपना 17 नवंबर 1995 को पूरा हुआ, लेकिन तकनीकी कमियों से उड़ान लेने में काबिलियत नहीं थी. कठिन दौर से गुजर रहा था तेजस - आगे बढ़ने में रुकावटें काफी थीं लेकिन टीम तेजस तथा डीआरडीओ के अंतर्गत वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान - ए डी ई के वैज्ञानिकों ने हार नहीं मानी. अथक परिश्रम के बाद 4 जनवरी 2001 की पहली सफल उड़ान साकार हो सकी एवं तत्कालीन प्रधानमंत्नी अटल बिहारी वाजपेयी ने इसका नामकरण करते हुए कहा - तेजस का उदय हुआ. तब से अब तक तेजस को कई आयामों से गुजरना पड़ा है.

सितंबर 2011 में तेजस ने राजस्थान के रेतीले इलाके में बम बरसाने के परीक्षण को पूरा किया. 1000 पौंड के लेजर गाइडेड बम और अनगाइडेड बमों को सटीक निशाने पर दागने में तेजस को सफलता मिली. 2012 के मध्य में तेजस की उड़ान पर तीन महीने की रोक लग गई - पायलट की नई हेलमेट इजेक्शन सीट से ऊपर जा रही थी, जो आकस्मिक निकासी में कॉकपिट के कांच से टकरा सकती थी. इसे सुधारा गया. 20 फरवरी 2019 को एयरो इंडिया-2019 में तेजस को फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस मिला. अभी भी तेजस के मार्क 1 ए और मार्क 2 संस्करण के लिए कई प्रौद्योगिकी और सुविधाओं में बदलाव लाना है.

उम्मीद की जा रही है कि तेजस की शक्ल में कुछ बदलाव देखने को मिलेगा, विशेष रूप से पंखों की बनावट, अधिक ईंधन ले जाने का प्रबंध और बेहतर रडार व इंजन के साथ तेजस मार्क2 आने वाले समय में भारतीय आकाश में नजर आएगा. पिछले कुछ वषोर्र् में देश और विदेश के एयरो शो में तेजस को अपनी काबिलियत दिखाने का मौका मिला है. सबसे अहम बात है कि 2001 की पहली उड़ान से अब तक कोई भी तेजस दुर्घटना का शिकार नहीं हुआ है - यह भारतीय वैज्ञानिकों की काबिलियत को दर्शाता है.

Web Title: Tejas aircraft moving towards high flying

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