उत्तर और दक्षिण भारत के मध्य एकता के सेतु सुब्रमण्यम भारती

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 11, 2025 05:18 IST2025-12-11T05:18:51+5:302025-12-11T05:18:51+5:30

समाज सुधारक एवं पत्रकार का दायित्व संभालकर उत्तर भारत व दक्षिण भारत के मध्य एकता का सेतु निर्मित किया था.

Subramania Bharati Birth Anniversary 11 dec bridge unity North and South India Celebrating revolutionary poet impact Tamil literature blog Dr Vishala Sharma | उत्तर और दक्षिण भारत के मध्य एकता के सेतु सुब्रमण्यम भारती

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Highlightsकवि होने के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय योगदान दिया था.भाषा और साहित्य को अपनी सांस्कृतिक विरासत के रूप में स्वीकार किया था.शिक्षा हमें दूसरों की स्वतंत्रता का सम्मान करना सिखाए.

डॉ. विशाला शर्मा

भारत की पावन धरती पर समय-समय पर ऐसे महान पुरुषों का जन्म हुआ, जिन्होंने न केवल भारत में ही बल्कि विदेशों में भी भारतीय साहित्य और संस्कृति से जनमानस को लाभान्वित किया. ऐसे महान भारतीय साहित्यकारों में तमिल भूमि पर जन्मे कवि सुब्रह्मण्यम भारती का नाम अग्रणी है. उन्होंने तमिल साहित्य के लिए नए शब्द गढ़े, नया रस उत्पन्न किया तमिल को सहज-सरल-सरस जनप्रिय और लोकप्रिय बनाया, जिससे उनकी रचनाएं लोकप्रिय और अमर बन गईं. कवि होने के साथ-साथ उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय योगदान दिया था.

उन्होंने समाज सुधारक एवं पत्रकार का दायित्व संभालकर उत्तर भारत व दक्षिण भारत के मध्य एकता का सेतु निर्मित किया था. उन्होंने गद्य और पद्य की लगभग चार सौ रचनाओं का सृजन किया. उन्होंने तमिल भाषा और साहित्य को अपनी सांस्कृतिक विरासत के रूप में स्वीकार किया था.

अपनी कविताओं के द्वारा उन्होंने राष्ट्र के निवासियों को एकता के सूत्र में संबद्ध करने एवं देशप्रेम को व्याप्त करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है. भारती जी का मानना था कि भारत की शिक्षा व्यवस्था मनुष्य को सामाजिक रूप से जागरूक और आत्मनिर्भर बनाने वाली होनी चाहिए. शिक्षा हमें दूसरों की स्वतंत्रता का सम्मान करना सिखाए.

शिक्षा हमें यह समझने में सहायक हो कि कोई भी व्यक्ति हीन या श्रेष्ठ नहीं है. उनका दृढ़ विश्वास था कि समाज को सुचारु रूप से कार्य करने के लिए प्रत्येक नागरिक का सहयोग अत्यंत आवश्यक है.  शिक्षा के माध्यम से यह अवसर सभी को उपलब्ध होना चाहिए.  उनका कहना था कि राष्ट्रीय शिक्षा भारतीय संस्कृति और अवधारणा पर आधारित होनी चाहिए.

पाठ्यक्रमों में हमारे देश के महान व्यक्तियों के जीवन और विरासत को स्थान मिलना चाहिए. भारती जी के लिए स्वतंत्रता का अभिप्राय प्रत्येक व्यक्ति को उसका न्यायोचित भाग प्रदान करना है. उनके लिए स्वतंत्रता का अर्थ था कि सभी के लिए भोजन, सभी के लिए समान अवसर उपलब्ध हो. नागरिकों को मातृभूमि के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए;

सभी के साथ मित्रतापूर्ण भाव और अन्य व्यक्तियों के विचार सुनने की इच्छा होनी चाहिए. उनकी दृढ़ आस्था थी कि इन सबको प्राप्त करने का एकमात्र साधन शिक्षा है. उन्होंने कहा, ‘इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए तीन चीजें आवश्यक हैं- पहली तो शिक्षा है; दूसरी भी शिक्षा; और तीसरी भी शिक्षा है.

इसका मतलब यह है कि शिक्षा के अतिरिक्त किसी अन्य साधन से हम अपने राष्ट्र के लिए आवश्यक लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकते. मैं इसमें दृढ़ विश्वास करता हूं.’ भारती जी ने भारत देश के प्राचीन  गौरव, गरिमा एवं उसकी चिर प्रवाहित संस्कृति की विशेषताओं की प्रशंसा में गीत रचे हैं, वहीं वे आज की जनता की लघुता, अंधविश्वास, दोष आदि की कटु आलोचना करने से भी नहीं चूके.

उनके कई गीतों में हमारी गलतियों और भूलों की ओर स्पष्ट संकेत मिलते हैं. ‘नोण्डिचिंदु’ नामक लोकगीत शैली को अपनाकर उन्होंने गीत रचे. दोषों से भरे पुराने समाज को ‘जा-जा’ कह कर निष्कासित करते हैं और दोष रहित नए समाज का ‘आ-आ-आ’ कह कर स्वागत करते हैं.

अपने संपूर्ण भारत देश को एक इकाई के रूप में देखकर उसकी स्तुति के गीत गए हैं.  स्वतंत्रता संग्राम में उनके नवगीतों ने अत्याचारों के विरुद्ध आवाज बुलंद की. उनकी निडरता अद्भुत थी. वे एक देशभक्त, साहित्यकार, राजनीतिज्ञ, पत्रकार और कुशल वक्ता भी थे.  

Web Title: Subramania Bharati Birth Anniversary 11 dec bridge unity North and South India Celebrating revolutionary poet impact Tamil literature blog Dr Vishala Sharma

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