पवन के. वर्मा का ब्लॉग: ऐसे करें पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई
By पवन के वर्मा | Published: February 26, 2019 07:02 AM2019-02-26T07:02:13+5:302019-02-26T07:03:16+5:30
पाकिस्तान की धूर्तता का एक ज्वलंत उदाहरण है, क्योंकि पाकिस्तान जानता है कि वह दोषी है. सवाल यह है कि भारत को क्या करना चाहिए.
संकट के क्षणों में राष्ट्रीय एकता के साथ ही राजनीतिक बुद्धिमत्ता की भी जरूरत होती है. सीआरपीएफ के काफिले पर हुआ आत्मघाती हमला, जिसने हमारे 40 बहादुर जवानों की जान ले ली, ऐसा ही क्षण है. पाकिस्तान के संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है. चूंकि जैश पाकिस्तान से निर्बाध रूप से चल रहा है, इसलिए पाकिस्तान का दोषी होना स्वयंसिद्ध है. लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का भाषण, जिसमें उन्होंने भारत से पाकिस्तान की मिलीभगत का सबूत मांगा है, पाकिस्तान की धूर्तता का एक ज्वलंत उदाहरण है, क्योंकि पाकिस्तान जानता है कि वह दोषी है. सवाल यह है कि भारत को क्या करना चाहिए.
सबसे पहले, भारत के लोगों में यह जोरदार भावना है कि पाकिस्तान को उसके किए की सजा मिलनी चाहिए. ऐसी भावना स्वाभाविक है. फिर भी हमारी प्रतिक्रिया आवेगपूर्ण या अविवेकी नहीं होनी चाहिए. यह पूर्व नियोजित और नपीतुली होनी चाहिए. विकल्पों को रणनीतिक रूप से तौला जाना चाहिए और संभावित परिणामों को भी ध्यान में रखना चाहिए. अंतत: तो यह दो परमाणु शक्तियों के बीच का मामला है.
दूसरा, हमें अपने सशस्त्र बलों की प्रभावशीलता को सुदृढ़ करने के लिए जो भी संभव हो, करना चाहिए. पाकिस्तान जो हमारे खिलाफ छद्म युद्ध चला रहा है वह जल्दी खत्म होने वाला नहीं है. सुसज्जित बल ही इसका मुकाबला कर सकता है. तीसरा, आतंकवादियों के साथ पाकिस्तान की सांठगांठ को उजागर करके अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उसे अलग-थलग करने के अपने प्रयासों को हमें दोगुना करने की आवश्यकता है. इस तरह के प्रयासों को ‘डोजियर डिप्लोमेसी’ से आगे बढ़ाने की जरूरत है, जिसमें हम पाकिस्तान को और सबूत देना जारी रखते हैं, जबकि दुनिया जानती है कि पाकिस्तान का इसमें हाथ है. आखिरकार ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में ही एक सुरक्षित पनाहगाह में पाया गया था.
चौथा, हमें इसका गहन विश्लेषण करने की जरूरत है कि पुलवामा में आखिर चूक कहां पर हुई. क्या वह खुफिया विफलता थी? क्या वहां समन्वय का अभाव था? क्या हम अपेक्षित पूर्वानुमान लगाने में विफल रहे? इस तरह के सवाल पूछना राष्ट्रविरोधी कृत्य नहीं है. वास्तव में यह देशभक्ति है जो गलतियों से सीखने के लिए प्रेरित करती है. पांचवां, भारत के अन्य हिस्सों में कश्मीरी छात्रों और घाटी के नागरिकों के खिलाफ हमले बंद होने चाहिए. यह समय राष्ट्रीय एकता का है. जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. उस राज्य के लोगों पर हमला करके हम सीमापार के आतंकियों के आकाओं के हाथ में ही खेल रहे हैं जो चाहते हैं कि भारत विभाजित हो.
किसी भी जीवंत लोकतंत्र में, जहां चुनाव नजदीक हों, शांत और दृढ़ सोच पर अक्सर बयानबाजी और तात्कालिक लाभ लेने की सोच भारी पड़ जाती है. हमें ऐसा नहीं होने देना चाहिए.