राजिंदर सिंह महाराज का ब्लॉग: होली का आध्यात्मिक पहलू

By राजिंदर सिंह महाराज | Published: March 10, 2020 06:01 AM2020-03-10T06:01:10+5:302020-03-10T06:01:10+5:30

होली का दिन प्रतीक है कि आखिर सच की विजय और झूठ की हमेशा हार होती है. पूर्ण संतों के अनुसार होली जलाने का आध्यात्मिक महत्व यह है कि हम अपने अंदर की बुराइयों को जलाकर सदाचारी जीवन व्यतीत करें..

spiritual aspect of Holi | राजिंदर सिंह महाराज का ब्लॉग: होली का आध्यात्मिक पहलू

प्रतीकात्मक फोटो

Highlightsजिस प्रकार होली में विभिन्न रंग हमारे कपड़ों पर बहुरंगी आकृति बनाते हैं और हम आकृतियों को बदलने की कोशिश नहीं करते, उसी प्रकार हमें अपने जीवन में एक-दूसरे को प्रेमपूर्वक स्वीकार करना चाहिए. अगर हम एक देश या समुदाय के सदस्य हैं तो हमें दूसरों को उसी तरह स्वीकार करना चाहिए जिस तरह पिता-परमेश्वर सबको स्वीकार  करते हैं.

फागुन मास में हर तरफ फूल खिल आते हैं तथा रंग-बिरंगी बहार होती है. होली का त्यौहार इसी फागुन मास में हर्षोल्लास व उत्साह के साथ मनाया जाता है जिसमें लोग एक-दूसरे से गले लगकर होली की शुभकामनाएं देते हैं. जिस प्रकार होली के त्यौहार का बाहरी पहलू है कि एक दिन होलिका जलाई जाती है तथा अगले दिन एक-दूसरे पर रंग व गुलाल डालकर इस त्यौहार को पारंपरिक रूप से मनाया जाता है, उसी तरह इसका एक रूहानी महत्व भी है. 

दुनिया में सच और झूठ की हमेशा लड़ाई होती है. सच को दबाने के लिए झूठ बड़ी कोशिश करता है कि वह किसी न किसी तरह से छुप जाए, मगर सच एक ऐसी चीज है जो कभी भी छुप नहीं सकता क्योंकि पिता-परमेश्वर सृष्टि की शुरुआत में सच थे, आज भी सच हैं और सृष्टि के अंत तक भी सच रहेंगे. 

होली का दिन प्रतीक है कि आखिर सच की विजय और झूठ की हमेशा हार होती है. पूर्ण संतों के अनुसार होली जलाने का आध्यात्मिक महत्व यह है कि हम अपने अंदर की बुराइयों को जलाकर सदाचारी जीवन व्यतीत करें तथा जिस प्रकार हम बाहर एक-दूसरे पर रंग व गुलाल डालकर इस त्यौहार को मनाते हैं, उसी प्रकार हम पूर्ण गुरु की सहायता से ध्यान-अभ्यास द्वारा अपने अंतर में प्रभु के विभिन्न रंगों को देखकर सच्ची होली अपने अंतर में खेलें. 

इस त्यौहार का एक अन्य पहलू एक-दूसरे पर रंग लगाना भी है. इस त्यौहार पर लोग सफेद कपड़े पहनते हैं और इसमें भी एक आध्यात्मिक पहलू है. सफेद रंग में अन्य सभी रंग शामिल हैं. इसी तरह, परमेश्वर हम सबके भीतर है. जिस प्रकार सफेद रंग सभी रंगों का स्नेत है उसी प्रकार परमेश्वर सारी सृष्टि का स्नेत है. 

जिस प्रकार होली में विभिन्न रंग हमारे कपड़ों पर बहुरंगी आकृति बनाते हैं और हम आकृतियों को बदलने की कोशिश नहीं करते, उसी प्रकार हमें अपने जीवन में एक-दूसरे को प्रेमपूर्वक स्वीकार करना चाहिए. 

अगर हम एक देश या समुदाय के सदस्य हैं तो हमें दूसरों को उसी तरह स्वीकार करना चाहिए जिस तरह पिता-परमेश्वर सबको स्वीकार  करते हैं. आओ होली के इस त्यौहार पर हम सब अपने अंदर फैली बुराइयों को जलाकर व एक-दूसरे पर प्रेम व भाईचारे का रंग डालते हुए मनुष्य जीवन के मुख्य उद्देश्य को प्राप्त करें.

Web Title: spiritual aspect of Holi

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