ब्लॉग: मादक पदार्थों के जाल को तोड़ने में समाज की भूमिका महत्वपूर्ण

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: August 27, 2024 10:48 AM2024-08-27T10:48:51+5:302024-08-27T10:55:51+5:30

वर्ष 2004 से 2013 तक देश में डेढ़ लाख किलो मादक पदार्थ जब्त किए गए थे। अगले दस वर्षों अर्थात 2013 से 2023 की अवधि में यह मात्रा बढ़कर लगभग साढ़े पांच लाख किलो हो गई। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद यह खुलासा हुआ था कि फिल्म उद्योग भी नशे की चपेट में है। 

Society plays an important role in breaking the drug trap | ब्लॉग: मादक पदार्थों के जाल को तोड़ने में समाज की भूमिका महत्वपूर्ण

फोटो क्रेडिट- (एक्स)

Highlightsनशे के कारोबार के सरगनाओं ने कई देशों में सत्ता के गलियारों तक अपनी पहुंच बना ली हैमैक्सिको, वेनेजुएला, इक्वाडोर, युगांडा, रवांडा, कांगो समेत दुनिया के 75 से अधिक देश प्रभावित यही नहीं, इन देशों का सामाजिक-सांस्कृतिक ताना-बाना चरमरा गया है

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मादक पदार्थों के कारोबार को पूरी दुनिया के लिए चुनौती बताया है। शनिवार को रायपुर में मादक पदार्थों के बढ़ते जाल पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गृह मंत्री ने इस बात पर भी चिंता जताई थी कि देश के आर्थिक-सामाजिक ढांचे को ध्वस्त करने तथा नई पीढ़ी का भविष्य चौपट करने की क्षमता रखने वाले नशीले पदार्थों की चपेट में भारत की युवा पीढ़ी आती जा रही है। लेकिन उन्होंने यह संकल्प भी दोहराया कि 2047 तक देश को नशामुक्त बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में हम सफल हो जाएंगे। नशे का कारोबार विश्वव्यापी है।दुनिया का कोई भी देश यह दावा नहीं कर सकता कि वह नशे के कारोबार से पूरी तरह मुक्त है। 

नशे के कारोबार के सरगनाओं ने कई देशों में सत्ता के गलियारों तक अपनी पहुंच बना ली है। मैक्सिको, वेनेजुएला, इक्वाडोर, युगांडा, रवांडा, कांगो, दक्षिण अफ्रीका, केन्या समेत दुनिया के 75 से अधिक देशों में मादक पदार्थों के कारोबार ने वहां की नई पीढ़ी के भविष्य को खतरे में डाल दिया है। यही नहीं, इन देशों का सामाजिक-सांस्कृतिक ताना-बाना चरमरा गया है और अर्थव्यवस्था पर भी उसका विपरीत असर पड़ रहा है। 

भारत के सामने चुनौती यह है कि नशे के तगड़े जाल को तोड़ा कैसे जाए। हमारी सरकार इस समस्या को जड़ से नष्ट करने के लिए कृतसंकल्प है। हाल के वर्षों में मादक पदार्थों की तस्करी के विरुद्ध जिस तरह से युद्धस्तर पर अभियान  चलाया जा रहा है, उससे स्पष्ट है कि हमारी सरकार देश तथा युवा पीढ़ी के लिए खतरा बनी इस समस्या की जड़ पर चोट कर रही है। पंजाब, पूर्वोत्तर क्षेत्रों से लेकर राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश तथा तेलंगाना जैसे राज्यों में मादक पदार्थों का कारोबार तेजी से फैला है। 

वर्ष 2004 से 2013 तक देश में डेढ़ लाख किलो मादक पदार्थ जब्त किए गए थे। अगले दस वर्षों अर्थात 2013 से 2023 की अवधि में यह मात्रा बढ़कर लगभग साढ़े पांच लाख किलो हो गई। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद यह खुलासा हुआ था कि फिल्म उद्योग भी नशे की चपेट में है। 

बॉलीवुड में जांच के बाद ज्यादा कुछ हाथ तो नहीं लगा लेकिन दक्षिण भारत की फिल्म इंडस्ट्री में कुछ अभिनेत्रियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई थी। पूछताछ में कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिलने का दावा किया गया था, मगर बाद में कुछ ठोस कार्रवाई होती नजर नहीं आई। इस वर्ष जुलाई तक देश के विभिन्न राज्यों में 50 हजार किलो से ज्यादा मादक पदार्थ जब्त किए जा चुके हैं।भारत में तीन वर्षों में नशे का कारोबार चार गुना से ज्यादा बढ़ गया है।

अफगानिस्तान, म्यांमार, पाकिस्तान, श्रीलंका, मॉरीशस तथा मालदीव के रास्ते भारत में नशे के सौदागर मादक पदार्थ पहुंचाते हैं।भारत में मादक पदार्थों की तस्करी में पकड़े गए 80 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को सजा हुई है लेकिन अब तक एक भी बड़ी मछली हाथ नहीं लगी है। जो लोग पकड़े गए या जिन्हें सजा हुई उनके पास से एक से दस-बीस ग्राम तक के मादक पदार्थ मिले थे। इस तथ्य से इंकार नहीं है कि इस वैश्विक कारोबार के संचालक किसी और देश में बैठे हैं लेकिन यह भी सत्य है कि भारत में उनके कारोबार को संभालने वाले तत्व देश में ही छुपे हुए हैं। 

ऐसे लोग अक्सर सफेदपोश होते हैं जिन्हें पहचानना बड़ा कठिन होता है। इसके अलावा जिस बड़े पैमाने पर यह कारोबार फल-फूल रहा है, उससे स्पष्ट है कि देश और समाज के दुश्मनों को राजनीतिक रूप से प्रभावशाली कुछ लोगों का वरदहस्त हासिल है। एक अध्ययन के मुताबिक देश में दो प्रतिशत से अधिक लोग नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। 

पूर्वोत्तर राज्यों की युवा पीढ़ी नशे का सेवन सबसे ज्यादा करती है। उसके बाद पंजाब, देश की राजधानी दिल्ली, फिर मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और उसके बाद गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि राज्यों का नंबर आता है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में अकेले गांजे का कारोबार 10 लाख करोड़ रुपए का है। 

हेरोइन, चरस, एमडी तथा अन्य नशीले पदार्थों का भारत में होनेवाला कारोबार 25 से 28 लाख करोड़ का आंका गया है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में दो लाख से ज्यादा लोग मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त हैं।इन लोगों के जरिये छोटी-छोटी मात्रा में मादक पदार्थों की तस्करी करवाई जाती है। इन लोगों को भी पता नहीं चलता कि उनका सरगना कौन है।

मादक पदार्थों का जाल तोड़ना अकेले सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। समाज और परिवार को भी इस कारोबार के खिलाफ अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करना होगा। उसे युवा पीढ़ी को मादक पदार्थों के खतरनाक दुष्परिणामों की जानकारी देने के साथ-साथ उसके सेवन से भी दूर रखना होगा।

Web Title: Society plays an important role in breaking the drug trap

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