केंद्रीय विद्यालय और मदरसों में धर्म प्रचार हो या पढ़ाई?

By भारती द्विवेदी | Published: January 11, 2018 05:49 PM2018-01-11T17:49:49+5:302018-01-11T19:34:12+5:30

वसीम रिजवी के आरोप में कितनी सच्चाई है ये तो नहीं पता लेकिन उन्होंने एक जो मुद्दा उठाया है सामान शिक्षा को लेकर वो बेहद जायज मांग है।

Should there be education or religious teaching at KVs and Madarsas | केंद्रीय विद्यालय और मदरसों में धर्म प्रचार हो या पढ़ाई?

केंद्रीय विद्यालय और मदरसों में धर्म प्रचार हो या पढ़ाई?

इस हफ्ते खबर आई कि यूपी शिया वक्फ बोर्ड के चैयरमैन वसीम रिजवी ने मदरसों को खत्म कर देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा- 'मदरसा आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। इसमें पढ़ने वाले बच्चे राष्ट्र के मुख्यधारा से कट जाते हैं।' उन्होंने पीएम मोदी के अलावा यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र भी लिखा है।

इसी के साथ न्यूज एजेंसी एएनआई ने एक ट्वीट किया था। उस ट्वीट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दायर की गई है। पीआईएल में कहा गया है कि केवी में प्रार्थना के नाम पर हिंदुत्व का एजेंडा फैलाया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार से इस पर उसकी राय मांगी है।

ये दोनों ही खबरें चिंता बढ़ाने वाली हैं। मदरसा, सरस्वती शिशु मंदिर पर ये आरोप काफी समय से लगते रहे हैं, अब केवी भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है। इन दोनों ही खबरों को लेकर सोशल मीडिया में काफी हलचल रही। लेकिन कोई भी समाधान की बात नहीं कर रहा था। बस आरोप-प्रत्यारोप से खेले जा रहे थे।

वसीम रिजवी के आरोप में कितनी सच्चाई है ये तो नहीं पता लेकिन उन्होंने एक जो मुद्दा उठाया है सामान शिक्षा को लेकर वो बेहद जायज मांग है। कब तक एक-दूसरे से लड़ेंगे, कभी तो साथ होकर देखें कोई कहता है मदरसे में बच्चे इस्लामिक कट्टरपंथी बनते तो कोई कहता सरस्वती शिशु मन्दिर में आरएसएस अपने हिंदुत्तव का एजेंडा लागू करता।

इसके बाद सोशल मीडिया में हम लोग एक-दूसरे के धर्म को गलियाते-गलियाते मां-बहन तक पहुंच जाते। और होता जाता कुछ नहीं; वही झगड़ा,वही मां-बहन नतीजा जीरो बट्टा सन्नाटा। तो क्यों ना एक बार सामान शिक्षा प्रणाली के लिए लड़ें।

कितना अच्छा होता अगर आपस में लड़ने के बजाय हम मिलकर इस सिस्टम के खिलाफ लड़ें या जिस भी पार्टी की सरकार हो उससे लड़े और बोले की पूरे देश में सामान शिक्षा लागू हो। तब तक लड़े जब तक की सरकार इस बारे में सोचना शुरू ना करे दे। मुझे क्या आप सबको पता है ये बहुत मुश्किल होगा लेकिन नामुमकिन नहीं है। हमारे लिए मुश्किल नहीं भी होगी मुश्किल तो इन निक्कमी सरकारों के लिए होंगी, जिन्हें वोट बैंक की राजनीति करनी है। अगर ये ऐसा कर दें फिर तो हमारे बीच की जात-पात, धर्म लड़ाई-झगड़े सब खत्म हो जाएगी ना और ये कभी होने नहीं देंगे। लेकिन अगर हम सब अपने मतभेद खत्म करके ठान ले फिर इन नेताओं को भी झुकना होगा।

सामान शिक्षा प्रणाली अगर हो जाएं देश में तो सोचिए कितना कुछ बदल सकता...

*ना गांव के स्कूल के बच्चे इंग्लिश में कमजोर होंगे और ना अंग्रेजी मीडियम वालों को हिंदी हीन लगेगी।

*ना कोई हिन्दू सिर्फ़ हिन्दुतत्व का पाठ पढ़ेगा और ना किसी मुस्लिम पर आतंकवादी का टैग लगेगा।

*ना आरक्षण जरूरी होगी और ना कोई अंकित श्रीवास्तव अच्छे अंक लाने के बाद अपनी किस्मत पे रोएगा।

*ना कोई गरीब का बच्चा पढ़ाई से वंचित होगा और ना कोई अमीर का बच्चा अपने क्लास पर इतराएगा।

जब हम हर छोटी-छोटी बात पर सड़क पर उतर जाते हैं आंदोलन के लिए तो क्या इसके लिए हम साथ नहीं आ सकते। सोशल मीडिया की तू-तू मैं-मैं से बहुत अच्छी और कारगर होगी साथ मिलकर ये लड़ाई। तो क्यों ना कुछ अच्छा करें।

Web Title: Should there be education or religious teaching at KVs and Madarsas

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