शोभना जैन का ब्लॉग: भारत-पाक रिश्तों में क्या वाकई बदल रहा माहौल?
By शोभना जैन | Updated: March 26, 2021 10:08 IST2021-03-26T10:02:47+5:302021-03-26T10:08:42+5:30
हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तानी पीएम इमरान खान को पाकिस्तान के 70वें राष्ट्रीय दिवस पर शुभकामनाएं दी। वहीं, जनरल बाजवा की ओर से भी सकारात्मक बातें सामने आई हैं।

भारत-पाकिस्तान के बीच रिश्तों में आ रही है नरमी! (फाइल फोटो)
14 फरवरी 2019 के पुलवामा आतंकी हमले के बाद से भारत-पाक रिश्तों में आई तल्खी और कड़वाहट के बाद हाल में ‘रिश्तों में सहजता लाने के लिए’ शुरू हुए प्रयासों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो दिन पूर्व पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को पाकिस्तान के 70वें राष्ट्रीय दिवस पर एक शुभकामना संदेश भेजा.
इसमें उन्होंने उन्हें पाकिस्तान दिवस की मुबारकबाद देते हुए कहा, ‘एक पड़ोसी देश के तौर पर भारत पाकिस्तान के लोगों के साथ ख़ुशगवार रिश्ते चाहता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि माहौल विश्वास और भरोसे से भरा हो, आतंकवाद और शत्नुता से मुक्त हो.’
ऐसे वक्त इस संदेश की खास अहमियत इसलिए है क्योंकि ऐसी कुछ मीडिया रिपोर्ट आई हैं जिनमें कहा गया है कि भारत-पाक रिश्तों में कड़वाहट कम करने के लिए दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारी पिछले कुछ माह से ‘बैक चैनल डिप्लोमेसी’ के जरिये संपर्क में हैं और संयुक्त अरब अमीरात दोनों देशों के बीच कुछ माह से इन शांति प्रयासों में सहयोग दे रहा है.
भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार की उम्मीद
पिछले माह 25 फरवरी को दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों ने जम्मू-कश्मीर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 2003 के संघर्ष विराम का पूरी कड़ाई और गंभीरता से पालन करने के बारे में अचानक एक संयुक्त बयान जारी कर सभी को चौंका दिया था. कहा गया कि वह भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच काफी समय से चल रही ‘बैक चैनल डिप्लोमेसी’ का परिणाम थी जिसके लिए संयुक्त अरब अमीरात ने सहयोग दिया.
हालांकि भारत सरकार ने दोनों देशों के अधिकारियों के बीच हुई इस तरह की किसी ‘बैक चैनल डिप्लोमेसी’ में किसी तीसरे देश के सहयोग की मीडिया रिपोर्टो पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है. लेकिन यह भी जाहिर है कि पिछले कुछ माह से दोनों देशों के बीच रिश्तों में ऐसे सकारात्मक मोड़/बयान आ रहे हैं.
खास कर कहें तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान और सेनाध्यक्ष जनरल बाजवा के दोस्ती का हाथ बढ़ाने के ऐसे सकारात्मक बयान आए हैं, जिससे घटनाक्रम उसी दिशा में जोड़ा जा रहा है, जैसा कि मीडिया रिपोर्टो में कहा गया है कि यह शांति प्रयास व्यापक हो सकते हैं.
भारत को हमेशा टेढ़ी नजर से देखने वाले जनरल बाजवा ने तो यहां तक कहा कि हमें पुरानी बातें भूल कर अब आगे देखना चाहिए. तो क्या दोनों देशों के बीच रिश्तों में फिजा वाकई बदल रही है, क्या इसे एक नई उम्मीद माना जा सकता है?
आतंक को लेकर पाकिस्तान को समझनी होगी भारत की बात
पाकिस्तान क्या अब भारत के इस रुख को समझेगा कि आतंक और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते हैं, सार्थक बातचीत के लिए क्या वह सौहाद्र्रपूर्ण माहौल बनाएगा?
हाल की इन घटनाओं को देख बरबस याद आता है, 19 फरवरी 1999, स्थान भारत-पाक सीमा का वाघा बॉर्डर, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तान के साथ पिछली तमाम रंजिशें दरकिनार कर दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए बस यात्रा कर लाहौर जा रहे थे.
सरहद के इस पार और उस पार खड़े आम आदमी के चेहरे पर उम्मीद नजर आ रही थी. एक पत्रकार के नाते मैं भी इस ऐतिहासिक यात्रा के सामाचार संकलन के लिए यात्रा में शामिल पत्रकारों के साथ लाहौर जा रही थी. इस दौरान रिश्तों को सहज सामान्य बनाने के लिए कुछ आपसी सहमति भी बनी लेकिन कुछ ही महीनों बाद पाकिस्तान ने भारत पर कारगिल युद्ध थोप दिया.
दुनिया तब से काफी बदल चुकी है, देशों की राजनीति बदली है, विश्व में शक्ति संतुलन के नए समीकरण बने हैं, लेकिन पाकिस्तान की बदनीयती और बेभरोसे वाला रवैया कमोबेश बना रहा. सीमा पार आतंकवाद इसका बर्बर चेहरा बन गया.
भारत हालांकि लगातार किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से साफ इंकार करता रहा है, लेकिन कई देश इस तरह के मध्यस्थता प्रयासों की पेशकश कर चुके हैं. हाल ही की बात करें तो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बालाकोट स्ट्राइक के बाद और उसके बाद भी कई मर्तबा दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए मध्यस्थता की पेशकश की थी, जिसे भारत ने साफ तौर पर खारिज कर दिया था.
भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की होगी मुलाकात?
अगर हाल के घटनाक्रम को लेकर मीडिया रिपोर्टो को देखें तो दोनों देशों के सैन्य कमांडरों द्वारा संघर्ष विराम को लागू करने संबंधी संयुक्त बयान के फौरन बाद यानी अगले ही दिन अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद भारत आए और उन्होंने विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के साथ शांति प्रयासों की प्रगति पर चर्चा की.
यह खबर सबसे पहले देने वाली एक वेबसाइट के अनुसार इन शांति प्रयासों के फलस्वरूप ‘चार सूत्री रोडमैप’ को लागू करने के अंतर्गत दोनों देशों की सरकारें धीरे-धीरे अपने-अपने उच्चायुक्तों को एक दूसरे के यहां तैनात करेंगी, जिन्हें दोनों देशों ने कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद वापस बुला लिया था.
इस रोडमैप के तहत बाद में व्यापारिक और आर्थिक संबंधों की बहाली होगी. इस रिपोर्ट के अनुसार शाह जायद ने इमरान खान से भी बातचीत की है. वैसे इसी सप्ताह के प्रारंभ में सिंधु नदी जल वार्ता के लिए पाकिस्तान के एक आठ सदस्यीय दल ने दिल्ली में भारतीय अधिकारियों से बैठक की. ये बातचीत दो साल बाद हुई.
अगले हफ्ते 30 मार्च को ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में हार्ट ऑफ एशिया कॉन्फ्रेंस होने वाली हैं जहां भारत के विदेश मंत्री और पाकिस्तान के विदेश मंत्री दोनों मौजूद रहेंगे. अगर पाकिस्तान सकारात्मकता बरतना जारी रखता है तो दोनों के बीच बातचीत की संभावना भी बन सकती है.