शोभना जैन का ब्लॉग: भारत-ब्रिटेन रिश्तों को नई गति मिलने की उम्मीद

By शोभना जैन | Published: April 22, 2022 01:09 PM2022-04-22T13:09:36+5:302022-04-22T13:09:36+5:30

भारत को ब्रिटेन एक मजबूत सहयोगी के रूप में देख रहा है और निश्चय तौर पर यह रिश्ता दोनों के लिए परस्पर हितों और सरोकारों से जुड़ा है.

Shobhna Jain blog: India UK relations expected to gain new momentum with Boris Johnson India visit | शोभना जैन का ब्लॉग: भारत-ब्रिटेन रिश्तों को नई गति मिलने की उम्मीद

ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन का भारत दौरा (फोटो- ट्विटर)

चरखे पर हाथ से कते सूत की माला गले में पहने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन महात्मा गांधी के गुजरात के साबरमती आश्रम की भावनात्मक यात्रा के साथ-साथ व्यापारिक यात्रा के बाद शुक्रवार को अपनी दो दिवसीय यात्रा के अंतिम पड़ाव में राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ यूक्रेन रूस संघर्ष को लेकर दो ध्रुवों में बंटी दुनिया के बीच विषम अंतरराष्ट्रीय स्थिति में बातचीत कर रहे हैं. 

जटिल या यूं कहें त्रासद रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़े राजनयिक मसलों के अलावा दोनों शिखर नेताओं के बीच अहम रणनीतिक रक्षा, निवेश, आर्थिक साझेदारी, उच्च प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, स्वास्थ्य और भारत प्रशांत क्षेत्र सुरक्षा सहित क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने को लेकर अहम चर्चा होने की उम्मीद है और साथ ही उभय पक्षीय सहयोग बढ़ाने की दिशा में कुछ अहम फैसले लिए जाने की भी उम्मीद है. 

ब्रिटेन, अमेरिका सहित यूरोपीय नाटो देश यूक्रेन-रूस संघर्ष में भारत की ‘तटस्थता’ की नीति से सहमत नहीं हैं और चाहते हैं कि भारत रूस की भूमिका की आलोचना करे. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. साथ ही वे भारत पर इस बात के लिए भी जोर दे रहे हैं कि वह रूसी हथियारों पर अपनी निर्भरता कम करे और ब्रिटेन भी यही चाहता है.  

इस यात्रा को इन तमाम बातों के चलते इसलिए भी अहम माना जा रहा है कि ब्रिटिश पीएम जहां इस मुद्दे पर भारत के दृष्टिकोण को समझने के साथ ही उसे अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने के लिए कह सकते हैं, वहीं भारत भी ब्रिटिश पीएम के सम्मुख इस मुद्दे पर अपनी तटस्थता की नीति स्पष्ट रूप से रखेगा. यानी पीएम मोदी-जॉनसन के बीच वार्ता में ऐसा नहीं लगता है कि बोरिस जॉनसन रूस को लेकर भारत को कोई ‘नसीहत’ दें क्योंकि भारत इस मामले में अपना रुख पहले ही साफ कर चुका है. 

वैसे पश्चिमी देश लगातार भारत पर रूस से तेल न खरीदने पर जोर देते रहे हैं लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह शांति का पक्षधर है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह रूस से अपने संबंधों को तोड़ दे. पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ जब वोटिंग की बारी आई तो भारत ने इसमें भाग नहीं लिया. फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि यह यात्रा एक अवसर है जबकि दोनों ही देश इस ज्वलंत अंतरराष्ट्रीय मुद्दे पर एक दूसरे के पक्ष को और बेहतर ढंग से समझने का प्रयास करेंगे.

संकेत हैं कि जॉनसन भारतीयों को ब्रिटेन में वीजा नियमों में ढील दिए जाने की पेशकश के साथ ही मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत में प्रगति पर जोर देंगे. ब्रिटेन ब्रेग्जिट के बाद की आर्थिक परिस्थिति का सामना करने के लिए अपनी कार्ययोजना के हिस्से के रूप में  एफटीए समझौते की उम्मीद कर रहा है. ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन नए व्यापारिक सहयोगी चाहता है और भारत की अर्थव्यवस्था अगले कुछ वर्षों में दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगी. 

ऐसे में भारत को ब्रिटेन स्वाभाविक तौर पर एक मजबूत सहयोगी के रूप में देख रहा है और निश्चय ही यह रिश्ता दोनों के लिए परस्पर हितों और सरोकारों से जुड़ा है.

वैसे विशेषज्ञों के अनुसार भारत को नहीं अपितु ब्रिटेन को आपसी व्यापारिक सहयोग बढ़ाए जाने की ज्यादा जरूरत है. उनका आकलन है कि भारत के साथ इस तरह के व्यापारिक सौदे में 2035 तक ब्रिटेन के कुल व्यापार को सालाना 28 अरब पाउंड (36.5 अरब डॉलर) तक बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं और उम्मीद है कि महीने के अंत में तीसरे दौर की एफटीए वार्ता के ठोस परिणाम सामने आ सकते हैं. 

इससे ब्रिटेन में आय को तीन अरब पाउंड (3.9 अरब डॉलर) तक बढ़ाया जा सकता है. इस सदी की शुरुआत में ब्रिटेन भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार था लेकिन फिलहाल वह 17वें नंबर पर है. भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार अमेरिका, चीन और संयुक्त अरब अमीरात हैं. उम्मीद की जा रही है कि जॉनसन की भारत यात्रा से एफटीए वार्ता को भी अपेक्षित गति मिलेगी. 

दरअसल विकास और सहयोग के द्विपक्षीय मुद्दों के अलावा पाकिस्तान, कश्मीर जैसे मुद्दों से ब्रिटेन के दोनों दलों की घरेलू राजनीति प्रभावित रही है. ऐसे में जबकि वहां 40 लाख से भी ज्यादा दक्षिण एशियाई मूल के लोगों में बड़ी तादाद में भारतीय मूल के लोग हैं और इस यात्रा से पूर्व जॉनसन ने जिस तरह से दोनों देशों की जनता के बीच संपर्क बढ़ाए जाने पर वहां जाने के लिए भारतीयों के लिए वीजा संख्या बढ़ाए जाने पर जोर दिया है, यह दोनों देशों के बीच रिश्ते और बढ़ने का सकारात्मक संकेत है.  

बहरहाल भारत-ब्रिटेन के बढ़ते रिश्तों के बीच, उपनिवेशवादी व्यवस्था से मुक्त हुए आज के लोकतांत्रिक, विकसित भारत में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की साबरमती आश्रम की दर्शक पुस्तिका में लिखी ये टिप्पणी द्विपक्षीय संबंधों की एक नई इबारत बतौर देखी जा सकती है जिसमें उन्होंने लिखा, ‘यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है, इस असाधारण व्यक्ति के आश्रम में आना और ये समझना कि किस तरह से उस व्यक्ति ने सत्य और अहिंसा के साधारण सिद्धांतों से दुनिया को बदल एक बेहतर दुनिया बना दिया.’

Web Title: Shobhna Jain blog: India UK relations expected to gain new momentum with Boris Johnson India visit

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