शोभना जैन का ब्लॉग: अफगान शांति प्रक्रिया में भारत की सक्रिय भागीदारी महत्वपूर्ण

By शोभना जैन | Published: April 3, 2021 08:36 PM2021-04-03T20:36:15+5:302021-04-16T13:16:57+5:30

भारत के अफगानिस्तान के साथ रिश्ते सदियों पुराने हैं. सांस्कृतिक और सामाजिक तौर पर भी ये रिश्ते बेहद मजबूत हैं. इसलिए भारत की भूमिका अहम हो जाती है.

Shobhana Jain's blog: India's active participation in Afghan peace process is important | शोभना जैन का ब्लॉग: अफगान शांति प्रक्रिया में भारत की सक्रिय भागीदारी महत्वपूर्ण

अफगान शांति प्रक्रिया में भारत की भूमिका

इस सप्ताह तजाकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शुरू हुई अफगान शांति वार्ता में भारत की ‘आधिकारिक भागीदारी’ करते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने एक अहम बयान में कहा कि अफगानिस्तान को ‘दोहरी शांति’ की जरूरत है, यानी अफगानिस्तान के अंदर और आसपास के क्षेत्र दोनों में ही शांति रहे. 

उन्होंने कहा कि अंतर अफगान वार्ता सहित अफगानिस्तान सरकार तथा तालिबान के बीच वार्ता को आगे बढ़ाने के सभी प्रयासों का भारत सदैव समर्थक है. 

विदेश मंत्री का यह बयान अफगानिस्तान में शांति प्रयासों को लेकर भारत की भागीदारी को लेकर खासा अहम है. भारत के अफगानिस्तान के साथ न केवल सदियों पुराने सांस्कृतिक और सामाजिक रिश्ते हैं बल्कि दोनों ऐसे मित्र पड़ोसी देश हैं जिनकी जनता एक दूसरे से मन के गहरे रिश्तों से जुड़ी हैं. 

ऐसे में अफगानिस्तान में तथा उसके आसपास के क्षेत्र में शांति प्रयासों में भारत की सक्रिय भागीदारी जरूरी है. वैसे भारत अभी तक अफगान शांति प्रयासों में तालिबान का सीधे नाम लेने से बचता रहा है. 

शांति प्रयासों में अब सीझे तौर पर हिस्सा ले रहाहै भारत

भारत के विदेश मंत्री व्यापक शांति प्रयासों में अब सीधे तौर पर हिस्सा ले रहे हैं, शांति प्रयासों में भारत के रुख को बरकरार रखते हुए, जिसमें उसका लगातार यही रुख रहा है कि अफगान शांति प्रक्रिया अफगान नेतृत्व वाली, अफगान-स्वामित्व वाली और अफगान-नियंत्रित चाहिए, जिस पर अफगानिस्तान का नियंत्रण होना चाहिए. 

इस रुख के साथ ही अब शांति प्रयासों से भारत जमीनी वास्तविकताओं के अनुरूप शांति प्रयासों से तालिबान के जुड़ने का भी जिक्र कर रहा है तो उससे जाहिर है अफगानिस्तान और इस क्षेत्र में शांति प्रयासों में भारत की भूमिका और प्रभाव अफगानिस्तान और इसके आसपास के क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. 

जयशंकर ने दुशांबे में हुए हार्ट ऑफ एशिया-इस्तांबुल प्रोसेस के नौवें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में इन शांति प्रयासों में भारत की भूमिका को रेखांकित किया. शांति वार्ता न केवल अमेरिका, रूस, चीन, ईरान और पाकिस्तान के लिए बल्किइस क्षेत्र के अनेक देशों सहित अन्य देशों के लिए भी अहम है. 

इसमें लगभग दो दर्जन से अधिक देशों के नेताओं ने शांति प्रक्रिया की बारीकियों, चुनौतियों पर मंथन किया लेकिन फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती है. तालिबान के सम्मुख झुके बिना वहां हिंसा कैसे थमे. 

ऐसे में शांति प्रयासों से सभी देशों को तालिबान पर दबाव बनाना होगा कि शांति समझौते में अगर उन्हें प्रशासन में हिस्सेदारी चाहिए तो उन्हें संघर्ष विराम का पालन करना होगा, वहां हिंसा थमनी चाहिए.  

अफगानिस्तान में शांति भारत सहित पूरे क्षेत्र के लिए जरूरी

अफगानिस्तान के भीतर शांति केवल अफगानिस्तान के लिए ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है. यह भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर अफगानिस्तान में अस्थिर और हिंसा को प्रश्रय देने वाली सरकार है तो यह भारत की सुरक्षा पर भी विपरीत प्रभाव डालेगी जैसा कि 1999 के दौरान हुई हिंसा जो कि तालिबान द्वारा भारत के खिलाफ की गई थी. 

वैसे तालिबान से अपनी नजदीकियों के सहारे इन शांति प्रयासों की एक अहम कड़ी बनने के दांव-पेंच खेल रहा पाकिस्तान इन शांति प्रयासों से भारत को दूर ही रखना चाहता है. लेकिन भारत भी अब पाकिस्तान को यह संकेत देने की कोशिश कर रहा है कि उसे यह मानना पड़ेगा कि अफगानिस्तान में भारत के वैध हित हैं और भारत अफगान शांति प्रक्रिया का हिस्सा है. 

लेकिन अमेरिका सहित विश्व बिरादरी भी भलीभांति जानती है कि भारत का इस क्षेत्र में प्रभाव है, जो कि  वहां अमेरिका, रूस जैसे देशों के साथ मिल कर शांति बहाली में अहम भूमिका निभा सकता है.

तालिबान एक वास्तविकता,  इससे मानना होगा

तालिबान अब वहां एक वास्तविकता है. अफगानिस्तान के ग्रामीण क्षेत्रों में उन्होंने अपना कब्जा जमा लिया है. एक मई तक आफगानिस्तान से अपनी फौजें  हटाने वाला अमेरिका उनके साथ  पहले ही करार कर चुका है. चीन का भी उनसे संपर्क बना हुआ है. 

रूस तो दो बार दोनों पक्षों के बीच बातचीत करवा चुका है. अनेक यूरोपीय देश भी उनके साथ संपर्क कर रहे हैं. ऐसे में भारत भी जमीनी वास्तविकताओं और नई सामरिक वास्तविकताओं के अनुरूप शांति प्रक्रिया से सीधे तौर पर जुड़ कर शांति बहाली वार्ता में तालिबान के जुड़ने की बात कर रहा है. 

सामरिक हितों के साथ-साथ अफगानिस्तान भी भारत की अनेक विकास परियोजनाओं से जुड़ा है, परियोजनाओं में उसका भारी निवेश है. लगता तो यही है कि भारत के शांति प्रक्रिया में सीधे शामिल होने से अफगानिस्तान सरकार को भी बल मिलेगा. एक स्थिर, प्रभुसत्ता संपन्न तथा हिंसामुक्त अफगानिस्तान क्षेत्र की शांति और प्रगति  का सही मायने में आधार है.

Web Title: Shobhana Jain's blog: India's active participation in Afghan peace process is important

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे