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शोभना जैन का ब्लॉग: भूटान की पर्यटन नीति में बदलाव से भी नहीं बदलेंगे भारत से रिश्ते

By शोभना जैन | Updated: February 9, 2020 17:06 IST

भूटान सरकार ने पर्यटन नीति में एक बड़े बदलाव के तहत अब भारत, बांग्लादेश और मालदीव के पर्यटकों पर प्रति व्यक्ति 1200 रुपए प्रतिदिन ‘सतत विकास शुल्क’ लगाने का निर्णय लिया है. यह प्रणाली आगामी जुलाई से लागू होगी.

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दशकों तक भारतीय पर्यटकों को पड़ोसी मित्न देश भूटान द्वारा दी जाने वाली निर्बाध और नि:शुल्क प्रवेश करने की सुविधा अब हटाई जा रही है. भूटान सरकार ने पर्यटन नीति में एक बड़े बदलाव के तहत अब भारत, बांग्लादेश और मालदीव के पर्यटकों पर प्रति व्यक्ति 1200 रुपए प्रतिदिन ‘सतत विकास शुल्क’ लगाने का निर्णय लिया है. यह प्रणाली आगामी जुलाई से लागू होगी. इस कदम के साथ ही इस छोटे से प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पर्वतीय देश में लगातार बढ़ती पर्यटकों की भीड़ की वजह से आधारभूत सुविधाओं, पर्यावरण आदि पर पड़ने वाले भार से निबटने के लिए विदेशी वाहनों पर लगभग 2000 रुपये का ‘हरित शुल्क’ लगाए जाने पर भी विचार किया जा रहा है.

भारत ने भूटान की इस पर्यटन नीति के बदलाव पर समझ-बूझ भरी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि भूटान के साथ हमारे खास रिश्ते हैं और इन्हें ‘जैसे को तैसा नीति’ के आधार पर कतई नहीं रखा जा सकता है. भारत ने कहा है कि भूटान सरकार ने भी उसे आश्वस्त किया है कि इससे भारतीय सैलानियों को कोई असुविधा नहीं होगी.

भूटान का भी कहना है कि भारत के साथ अपने प्रगाढ़ तथा विशेष संबंधों के मद्देनजर वह भारत से आने वाले पर्यटकों का अपने यहां स्वागत करेगा. उसने कहा है कि भूटान भारत के साथ निकट सहयोग से मिल कर यह सुनिश्चित करेगा कि इस नियम के  लागू होने के बाद भारतीय पर्यटकों को कोई असुविधा नहीं हो. लेकिन निश्चय ही भारतीय सैलानियों के लिए भूटान घूमना अब काफी महंगा पड़ सकता है और इससे वहां जाने के इच्छुक भारतीय सैलानियों की संख्या में कमी आने का भी अंदेशा है.

हालांकि भूटान सरकार इस शुल्क को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों पर लगाए जाने वाले 65 अमेरिकी डॉलर शुल्क की तुलना में काफी सस्ता मान रही है, यानी क्षेत्न के पर्यटकों के लिए यह शुल्क एक चौथाई बताया गया है. इस कदम को छोटे से पर्वतीय देश में सैलानियों की बढ़ती भीड़ को नियंत्रित किए जाने के इरादे से लाया गया है जो उसकी इस पर्यटन नीति का अंग है कि पर्यटन से आधारभूत सुविधाओं पर कम से कम भार पड़े साथ ही  राजस्व कमाई ज्यादा हो. इसी के मद्देनजर वे सुनिश्चित करेंगे कि कितने विदेशी पर्यटक उनके यहां आ सकते हैं.

भूटान भारत का पड़ोसी मित्न देश है और मोदी सरकार की ‘नेबरहुड फर्स्ट नीति’ का भरोसेमंद साथी. खबर है कि  भूटान ने इस कदम से पहले भारत को इस बाबत जानकारी दे दी थी जिसे भूटान की तरफ से आपसी भरोसा बढ़ाने वाला समझ-बूझ भरा कदम माना जा रहा है. भूटान और चीन में भारत के राजदूत रहे गौतम बंबावले का मानना है कि भारत सरकार के साथ-साथ हमारी जनता भी इस मामले की संवेदनशीलता और अपने प्रगाढ़ पड़ोसी भूटान की दिक्कतें समङो और इसे फायदे-नुकसान के दायरे से बाहर रख कर सोचे. उनका कहना है कि  भारत की सरकार ने भी जिस तरह से इस मामले को जैसे को तैसा नीति से दूर रखा है, ऐसी समझदारी आपसी रिश्तों को मजबूती देती है.

गौरतलब है कि आर्थिक प्रगति के साथ-साथ ‘प्रसन्नता’ को प्रगति का पैमाना मानने वाले लगभग 7.6 लाख की आबादी वाले भूटान में हर वर्ष लगभग दो लाख भारतीय सैलानी घूमने आते हैं और पिछले तीन वर्षो में यानी 2017 के बाद से सैलानियों की संख्या में लगभग 10 प्रतिशत बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.  इस वृद्धि से भूटान के सीमित आधारभूत पर्यटन ढांचे और संवेदनशील इको सिस्टम के साथ पर्यटन नीति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. अकेले वर्ष 2018 में भूटान में कुल 2,74,097 पर्यटक आए जिसमें से 1,91,831 भारत से थे.

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