शोभना जैन का ब्लॉग: आतंक के बावजूद सहयोग कब तक!

By शोभना जैन | Published: April 18, 2020 11:34 AM2020-04-18T11:34:10+5:302020-04-18T11:34:10+5:30

सवाल है कि पाकिस्तान आखिर अपनी नापाक हरकतों से बाज क्यों नहीं आता. कौन से ऐसे समीकरण हैं, जबकि ऐसे वक्त उसे अपने देश की जनता को कोरोना की तकलीफों से बचाने की ओर पूरा ध्यान देना चाहिए था, साथ ही क्षेत्रीय सहयोग से इस आपदा से निपटने को प्राथमिकता देनी चाहिए थी. एक तरफ वह भारत से सहयोग की दरकार करता है तो दूसरी तरफ उसकी प्राथमिकता भारत के खिलाफ सीमा पार का आतंक बना हुआ है.

Shobhana Jain blog: How long to cooperate with Pakistan despite terror! | शोभना जैन का ब्लॉग: आतंक के बावजूद सहयोग कब तक!

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान। (फाइल फोटो)

एक तरफ भारत सहित दुनिया कोरोना के वैश्विक संकट से राष्ट्रीय स्तर पर जूझने के साथ इससे सामूहिक सहयोग और सामूहिक प्रयासों से निपटने में लगी है और भारत भी इस लड़ाई में ‘मानवीय आधार’ पर  बिना किसी भेदभाव के सहयोग देने में लगा है. लॉकडाउन की वजह से भारत में फंसे अन्य देशों के नागरिकों की तरह पाक नागरिकों को भी उनके देश पहुंचाने की व्यवस्था कर रहा है.

कोरोना के इलाज में कुछ वर्गों के लिए इस्तेमाल की जा रही हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) दवा जहां 55 देशों को भेज रहा है, वहीं यह दवा पाकिस्तान को दिए जाने के उसके आग्रह पर विचार कर रहा है, लेकिन इस सहयोग के बावजूद ऐसे विकट समय में भी पाकिस्तान भारत के खिलाफ अपनी आतंकी गतिविधियां जारी रखे हुए है और इस आपदा से दक्षेस देशों के एकजुट होकर साझा तौर पर निपटने की भारत की पहल में अपने आचरण के अनुरूप अड़ंगे डाल ही रहा है.

कोरोना संकट काल में पाकिस्तान ने कोरोना से युद्ध लड़ने को प्राथमिकता देने की बजाय नियंत्रण रेखा को युद्ध क्षेत्र बनाने और आतंकी गतिविधियां न केवल बदस्तूर जारी रखने बल्किउन्हें बढ़ाने की प्राथमिकता तय कर ली है. सरहद पर उसकी गोलीबारी जारी है, सीमा पर रहने वाले निर्दोष भारतीय कोरोना से ज्यादा पाक आतंक के शिकार हो रहे हैं.

भारत लगातार इन मामलों में कड़ा विरोध जताता रहा है, रक्षात्मक कार्यवाही करने पर मजबूर भी हो रहा है लेकिन साथ ही जब पाकिस्तान मदद देने की गुहार करता है तो मानवीय आधार पर यह भारत की परंपरा है, वह उसे मदद भी देता है. कोरोना से निपटने में देश की प्राथमिकताओं और जरूरतों को सर्वोपरि रखते हुए भारत दुनिया भर के देशों की जरूरतों के अनुसार उन्हें भी आवश्यक दवाएं वगैरह उपलब्ध करा रहा है, उनके अनुरोध पर लॉकडाउन की वजह से भारत में फंसे नागरिकों को उनके देश भिजवा रहा है, और इनमें पाकिस्तान भी शामिल है.

सवाल है कि पाकिस्तान आखिर अपनी नापाक हरकतों से बाज क्यों नहीं आता. कौन से ऐसे समीकरण हैं, जबकि ऐसे वक्त उसे अपने देश की जनता को कोरोना की तकलीफों से बचाने की ओर पूरा ध्यान देना चाहिए था, साथ ही क्षेत्रीय सहयोग से इस आपदा से निपटने को प्राथमिकता देनी चाहिए थी. एक तरफ वह भारत से सहयोग की दरकार करता है तो दूसरी तरफ उसकी प्राथमिकता भारत के खिलाफ सीमा पार का आतंक बना हुआ है.

यहां बात खास तौर पर कोरोना संकट काल में पाकिस्तान की बढ़ी हुई आतंकी गतिविधियों की करें तो अब भी पाकिस्तान ने कोरोना के खिलाफ युद्ध से ज्यादा अपनी प्राथमिकता आतंकी गतिविधियां, सरहद पर गोलीबारी कर रखी है.

नियंत्रण रेखा पर वह फायरिंग कर रहा है. कश्मीर को लेकर अपना प्रलाप जारी रखे हुए है. पाकिस्तान की इस अमानवीय हरकत से जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) के आसपास रहने वाले लोगों के लिए दोहरा संकट पैदा हो गया है.

पाकिस्तान पिछले महीने से एलओसी और आईबी के आसपास की सैन्य चौकियों और वहां रहने वाले ग्रामीणों पर गोलाबारी कर रहा है, जिसमें कई लोग हताहत हुए हैं और काफी मकान तबाह हो गए. घुसपैठियों ने जम्मू के कुपवाड़ा, पुंछ और राजौरी जिलों में एलओसी के रास्ते भारत में घुसने की कई कोशिशें की हैं. और यह तो वो कर ही रहा है कि एक तरफ भारत से सहयोग की दरकार और दूसरी तरफ कोरोना से निपटने की भारत की दक्षेस देशों की तमाम पहलों पर निहायत ही असहयोगकारी या यूं कहें अड़ंगा भी लगा रहा है.

विदेश मंत्रालय में पूर्व सचिव विवेक काटजू के अनुसार, ‘पिछले एक माह में भारत ने कोरोना से निपटने में सार्क के जरिये क्षेत्रीय स्तर पर सहयोग करने की जो भी पहल की है, पाकिस्तान लगातार उसमें शामिल होने से इंकार करता रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षेस देशों के शिखर नेताओं के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये मिलकर साझा रणनीति बनाने की जो पहल की थी, पाक प्रधानमंत्री इमरान खान उसमें शामिल नहीं हुए और अपने प्रतिनिधि को भेज दिया.

भारत पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों के बावजूद मदद मांगने पर मानवीय आधार पर उसे मदद दे रहा है, लेकिन पाकिस्तान को समझना  होगा कि आतंक के बावजूद सहयोग आखिर कब तक... भारत मानवीय आधार पर खास तौर पर एक पड़ोसी की मदद करता है तो पाकिस्तान को भी एक पड़ोसी देश की अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी.

Web Title: Shobhana Jain blog: How long to cooperate with Pakistan despite terror!

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