शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे राम मंदिर के मुद्दे को भाजपा से छिनने में सफल हो पाएंगे?
By विकास कुमार | Published: January 13, 2019 02:35 PM2019-01-13T14:35:44+5:302019-01-13T14:35:44+5:30
उद्धव ठाकरे ने हाल ही में संघ पर भी निशाना साधा था और कहा था कि भाजपा और संघ दोनों राम मंदिर पर तमाशा कर रहे हैं. ऐसा पहली बार हुआ कि शिवसेना की तरफ से राम मंदिर को लेकर संघ पर निशाना साधा गया.
उद्धव ठाकरे आज कल बीजेपी पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ते. अब तो उन्होंने सीधे-सीधे नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधना शुरू कर दिया है. एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा कहती है कि हम राम मंदिर बनाना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस बीच में आ जाती है. उन्होंने आगे कहा, ''कांग्रेस बीच में आई तो जनता ने उसे सजा सुनाया और सत्ता से बाहर कर दिया. लेकिन क्या इसके बाद भी राम मंदिर बना?" हमने अभी तक राम मंदिर नहीं देखा.
उद्धव ठाकरे ने कहा कि जब वो अयोध्या गए तो लोगों ने कहा कि बाल ठाकरे का लड़का आया है और ये राम मंदिर बनवा के ही वापस जायेगा. शिव सेना राम मंदिर मुद्दे को लेकर हाल के दिनों में आक्रामक होती हुई दिख रही है. इसलिए इस मुद्दे पर सीधे नरेन्द्र मोदी और संघ पर निशाना साधा जा रहा है. उद्धव ठाकरे ने हाल ही में संघ पर भी निशाना साधा था और कहा था कि भाजपा और संघ दोनों राम मंदिर पर तमाशा कर रहे हैं. ऐसा पहली बार हुआ कि राम मंदिर को लेकर संघ पर निशाना साधा गया.
शिवसेना बनी चुनौती
शिव सेना ने पहले ही एलान कर दिया है कि वे लोकसभा का चुनाव अकेले लड़ेंगे. और खबर यह भी है कि बीते दिन महाराष्ट्र के बीजेपी सांसदों के साथ बैठक में अमित शाह ने भी उन्हें लोकसभा चुनाव में अकेले उतरने के लिए तैयार रहने को कहा है. इसका मतलब है कि बीजेपी को भी अंदाजा है कि अब शिवसेना के साथ उनके गठबंधन की आशा धूमिल होती जा रही है, क्योंकि शिवसेना और उद्धव ठाकरे मोदी सरकार को हर मोर्चे पर घेरने का काम कर रहे हैं.
मोदी सरकार में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी शिवसेना और भाजपा के रिश्तों पर पूछने पर अक्सर एक मराठी कहावत का उदाहरण देते हैं. ''तेरी-मेरी बनती नहीं लेकिन तेरे बिना मेरी चलती नहीं.'' लेकिन अब पानी कुछ सर के ऊपर से निकल रहा है. शिवसेना मोदी सरकार की अब आलोचना नहीं बल्कि खुलेआम चुनौती दे रही है.
'मेरे राम' की भावना उफान पर
उद्धव ठाकरे ने तय कर लिया है कि वो इस लोकसभा चुनाव में राम मंदिर के मुद्दे को ही हथियार बनायेंगे. अगर भाजपा इस मुद्दे पर आगे बढ़ी तो अपनी जीत का एलान करेंगे और यदि स्थिति पहले जैसी ही रही तो जनता के बीच में लेकर जायेंगे ताकि हिन्दू वोटबैंक के स्वाद को चखा जा सके. भारतीय जनता पार्टी के भीतरखाने भी अब राम मंदिर को लेकर सुगबुगाहट बढ़ गई हैं. उत्तर प्रदेश में बुआ-बबुआ गठबंधन के काट के रूप में राम मंदिर ही एक अंतिम विकल्प के रूप में दिख रहा है, अन्यथा पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
लेकिन फिलहाल भाजपा और शिवसेना के बीच राम मंदिर के मुद्दे को हड़पने को लेकर जंग शुरू होने वाली है. इस बीच प्रयागराज में हिंदूत्व का महासंगम शुरू हो चुका है. धर्मसंसद में राम मंदिर को लेकर साधू-संतों की तरफ से भी कोई फैसला सुनाया जा सकता है. अब देखना ये होगा कि इस बार संतों का आशीर्वाद अकेले भाजपा ले जाती है या शिवसेना भी उसमें सेंधमारी कर पाने में सफलता पाती है?