पत्थर को सांस देने वाले शिल्पी थे राम सुतार

By विवेक शुक्ला | Updated: December 19, 2025 05:35 IST2025-12-19T05:35:24+5:302025-12-19T05:35:24+5:30

तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने उन्हें भाखड़ा बांध के श्रमिकों की स्मृति में एक और विशाल स्मारक बनाने का कार्य सौंपा. इसके बाद सुतार जी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

Sculptor Ram Sutar Designer Statue Unity Passes Away Ram Sutar was the sculptor who gave life to stone blog Vivek Shukla | पत्थर को सांस देने वाले शिल्पी थे राम सुतार

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Highlightsरचनाएं इतिहास, संस्कृति और राष्ट्रप्रेम को जीवंत करती हैं.सुतार जी की पहली बड़ी रचना 45 फुट ऊंची ‘चंबल माता’ की प्रतिमा थी.मध्यप्रदेश के गांधी सागर बांध पर स्थापित है.

दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ के रचयिता के रूप में अमर हो गए राम सुतार के निधन से भारतीय मूर्तिकला जगत के एक युग का अंत हो गया.  सुतार जी की कला की खासियत उनकी यथार्थवादिता और भावपूर्ण अभिव्यक्ति थी. वे मूर्तियों में ऐसी जीवंतता लाते थे, मानो पत्थर बोल उठेंगे. उनकी रचनाएं इतिहास, संस्कृति और राष्ट्रप्रेम को जीवंत करती हैं.

सुतार जी की पहली बड़ी रचना 45 फुट ऊंची ‘चंबल माता’ की प्रतिमा थी, जो मध्यप्रदेश के गांधी सागर बांध पर स्थापित है. इसने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने उन्हें भाखड़ा बांध के श्रमिकों की स्मृति में एक और विशाल स्मारक बनाने का कार्य सौंपा. इसके बाद सुतार जी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

उन्होंने छह दशकों में 8000 से अधिक मूर्तियां बनाईं, जिनमें से 50 से ज्यादा विशाल स्मारक हैं. उनकी रचनाएं भारत ही नहीं, विदेशों में भी स्थापित हैं. सुतार जी को अपनी संसद भवन परिसर में ध्यानमग्न मुद्रा में स्थापित महात्मा गांधी की 17 फुट ऊंची प्रतिमा  बेहद प्रिय थी. उन्होंने एक साक्षात्कार में इस लेखक से कहा था कि उन्हें इस कृति को देखकर बहुत शांति मिलती है.

इसकी प्रतिकृतियां गांधीनगर, बेंगलुरु और विदेशों में स्थापित हैं. राम सुतार ने भारत और विदेशों में महात्मा गांधी की कई मूर्तियां बनाई हैं, जो उनकी सादगी और संदेश को दर्शाती हैं. वे शुरू से ही महात्मा गांधी से प्रेरित रहे. संसद में छत्रपति शिवाजी महाराज की घुड़सवारी मुद्रा वाली प्रतिमा भी उनकी कृति है.

अन्य उल्लेखनीय कार्यों में अमृतसर में महाराजा रणजीत सिंह की 21 फुट ऊंची प्रतिमा, कुरुक्षेत्र में कृष्ण-अर्जुन रथ स्मारक, बेंगलुरु में केम्पेगौड़ा की 108 फुट ऊंची प्रतिमा और गोवा में भगवान राम की 77 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा शामिल हैं. उन्होंने डॉ. बाबासाहब आंबेडकर, गोविंद बल्लभ पंत, कर्पूरी ठाकुर जैसे नेताओं की मूर्तियां भी बनाईं.

वे कहते थे कि मूर्तिकला केवल कला नहीं, बल्कि इतिहास को संरक्षित करने का माध्यम है.  90 की उम्र पार करने के बाद भी वे सक्रिय रहे. राम सुतार धुन के पक्के थे.  थकते नहीं थे. उम्र के असर से बेखबर वे अपने काम में डूबे रहते थे. दिन और रात के भेद को भूल जाते थे.

वे कहते थे कि किसी भी मूर्तिकार से यह अपेक्षा नहीं करनी चाहिए कि वह तय समय सीमा पर हर हालत में काम पूरा कर लेगा. दरअसल मूर्तिकला एक समय लेने वाली और श्रमसाध्य प्रक्रिया  है. एक अच्छे मूर्तिकार को धैर्यवान और दृढ़ होना चाहिए और अपने काम को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए.

इन गुणों के अलावा, एक अच्छे मूर्तिकार को कला के इतिहास और सिद्धांत का भी ज्ञान होना चाहिए. एक अच्छा मूर्तिकार वह होता है जो तकनीकी रूप से कुशल, रचनात्मक, कल्पनाशील, अवलोकनशील, समस्या-समाधान में कुशल हो.

Web Title: Sculptor Ram Sutar Designer Statue Unity Passes Away Ram Sutar was the sculptor who gave life to stone blog Vivek Shukla

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