ब्लॉगः SC-ST छात्रों की ड्रॉप आउट दर उच्च जातियों की तुलना में दो गुना, शिक्षा को लेकर सामने आए चिंताजनक आंकड़े

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: September 6, 2022 01:08 PM2022-09-06T13:08:49+5:302022-09-06T13:10:27+5:30

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ मुस्लिम और निम्न आय वर्ग के बीच स्कूल छोड़ने की ऊंची दर का क्या कारण है? 2017-18 के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण में स्कूल छोड़ने वालों से ड्रॉप आउट के कारण के बारे में सीधा सवाल पूछा गया। पता चला कि कुल मिलाकर करीब 16 फीसदी ने आर्थिक दिक्कतों की वजह से बीच में पढ़ाई छोड़ी है।

SC-ST students drop out rate is twice that of upper castes worrying statistics about education | ब्लॉगः SC-ST छात्रों की ड्रॉप आउट दर उच्च जातियों की तुलना में दो गुना, शिक्षा को लेकर सामने आए चिंताजनक आंकड़े

ब्लॉगः SC-ST छात्रों की ड्रॉप आउट दर उच्च जातियों की तुलना में दो गुना, शिक्षा को लेकर सामने आए चिंताजनक आंकड़े

सुखदेव थोरात: यद्यपि महाराष्ट्र में उच्च शिक्षा की दर अखिल भारतीय औसत तथा कई राज्यों से बेहतर है- 2017-18 में नामांकन दर में राज्य सातवें स्थान पर रहा है, लेकिन शिक्षा तक सबकी पहुंच समान नहीं है- सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूह पीछे हैं। पूर्व-प्राथमिक स्तर पर नामांकन को देखते हुए, प्राथमिक स्तर से आगे स्कूल छोड़ना मुख्य समस्या है। इसलिए आइए हम समूहों द्वारा ड्रॉप आउट के स्तर को देखते हैं, ड्रॉप आउट की ऊंची दर के कारणों को समझते हैं और हाल के आंकड़ों के जरिये जानने की कोशिश करते हैं कि नीति में क्या सुधार किया जा सकता है।

महाराष्ट्र राज्य वास्तव में छात्रों के स्कूल छोड़ने की ऊंची दर की समस्या का सामना कर रहा है। स्कूल छोड़ने वालों का लगभग 81 प्रतिशत प्राथमिक और माध्यमिक/उच्च माध्यमिक स्तर पर है। स्कूल छोड़ने वालों में अनुसूचित जाति/ आदिवासी/ मुस्लिम और निम्न आय वर्ग का हिस्सा अधिक है।

2017-18 के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण से पता चला है कि कुल ड्रॉप आउट में एससी/एसटी/ मुसलमानों का हिस्सा अधिक है। लगभग 15 प्रतिशत पंजीकृत छात्र प्राथमिक स्तर के बाद स्कूल जाना छोड़ देते हैं। एसटी (25%), एससी (20%) और ओबीसी/ मुस्लिम (लगभग 15%) छात्रों के बीच में स्कूल छोड़ने की दर उच्च जाति (10.8%) की तुलना में बहुत अधिक है। आंकड़े दिखाते हैं कि एससी/ एसटी छात्रों की ड्रॉप आउट दर उच्च जातियों की तुलना में दो गुना है।

सामाजिक रूप से वंचित समूहों में, निम्न आय वर्ग ड्रॉप आउट की ऊंची दर से पीड़ित है। निचले आय वर्ग के लिए यह 22 प्रतिशत है जबकि शीर्ष आय वर्ग के लिए यह 6 प्रतिशत है। मध्यम आय वर्ग के लिए यह 13 से 16 प्रतिशत के बीच है। दिहाड़ी मजदूरों के बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर सबसे अधिक 25।5 प्रतिशत है।

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ मुस्लिम और निम्न आय वर्ग के बीच स्कूल छोड़ने की ऊंची दर का क्या कारण है? 2017-18 के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण में स्कूल छोड़ने वालों से ड्रॉप आउट के कारण के बारे में सीधा सवाल पूछा गया। पता चला कि कुल मिलाकर करीब 16 फीसदी ने आर्थिक दिक्कतों की वजह से बीच में पढ़ाई छोड़ी है। 14.5 फीसदी को घरेलू कामों और 26 फीसदी को आर्थिक कामों में व्यस्तता के कारण पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी है। इस प्रकार लगभग 55 प्रतिशत छात्रों के स्कूल बीच में छोड़ने का कारण आर्थिक विवशताएं हैं।

सामाजिक समूहों में अनुसूचित जाति के 62% और एसटी/ ओबीसी/ मुस्लिम के 52 से 53% छात्रों ने आर्थिक कठिनाई के कारण बीच में स्कूल छोड़ा, जो उच्च जातियों के 45 % की तुलना में अधिक है। लगभग 13 प्रतिशत ने शिक्षा में रुचि की कमी का उल्लेख किया।

सरकार के लिए इन हालिया रुझानों के नीतिगत निहितार्थ हैं। नई शिक्षा नीति 2020 में राज्य सरकारों और विश्वविद्यालयों/ कॉलेजों / स्कूलों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों का सुझाव दिया गया था, लेकिन सुझाव ड्रॉप आउट पैटर्न के अध्ययन के बिना दिए गए हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि आर्थिक कठिनाई स्कूल बीच में छोड़ने का मुख्य कारण है और आर्थिक मदद की वर्तमान नीतियों की खामियों को दुरुस्त करने की आवश्यकता है। मध्याह्न् भोजन, आंगनवाड़ी, छात्रवृत्ति, शुल्क माफी, छात्रवास और अन्य उपाय अपर्याप्त हैं तथा इनका प्रबंधन ठीक तरह से नहीं होता है। 

उदाहरण के लिए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कॉलेज छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति जो कि प्रमुख योजना है, की राशि कम और अनियमित है। इस छात्रवृत्ति में रखरखाव के लिए निधि - भोजन और आवास का किराया शामिल है। लेकिन फंड हमेशा साल के अंत में जारी किया जाता है। यह विफलता सरकार की ओर से आपराधिक कृत्य से कम नहीं है। उन्हें कॉलेज छोड़ने से रोकने के लिए मासिक छात्रवृत्ति जारी करना आवश्यक है। यदि सरकार मासिक आधार पर कर्मचारियों के वेतन का भुगतान कर सकती है, तो वह छात्रों को मासिक छात्रवृत्ति भी दे सकती है। इसी प्रकार, कम शैक्षणिक क्षमता वाले छात्रों को पढ़ाई छोड़ने से रोकने के लिए शैक्षणिक सहायता में विफलता की दर को कम करना आवश्यक है। सरकार को ड्रॉपआउट की समस्या का अध्ययन करना चाहिए और तद्नुसारनीतियों में सुधार करना चाहिए, जैसा कि नई शिक्षा नीति 2020 से अपेक्षित है।

Web Title: SC-ST students drop out rate is twice that of upper castes worrying statistics about education

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