पर्यावरणीय छतरी को बचाने से ही बचेगा जीवन
By योगेश कुमार गोयल | Updated: September 16, 2025 07:12 IST2025-09-16T07:10:38+5:302025-09-16T07:12:13+5:30
चूंकि इस परत के बिना पृथ्वी पर जीवन संकट में पड़ जाएगा, इसीलिए ऊपरी वायुमंडल में इसकी उपस्थिति अत्यंत आवश्यक है.

पर्यावरणीय छतरी को बचाने से ही बचेगा जीवन
पिछले कई दशकों से वातवरण में उत्सर्जित की जा रही जहरीली गैसों के कारण ओजोन परत में हुए विशाल छिद्र को भरने के प्रयास हो रहे हैं. ओजोन परत का एक बड़ा छिद्र अंटार्कटिका के ऊपर स्थित है, जो पहली बार 1985 में अंटार्कटिका स्थित ‘हेली शोध केंद्र’ में देखा गया था. एक शोध के अनुसार वर्ष 1960 के मुकाबले इस क्षेत्र में ओजोन की मात्रा 40 प्रतिशत तक कम हो चुकी है. वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले करीब सौ वर्षों से ओजोन परत मानव निर्मित रसायनों द्वारा क्षतिग्रस्त हो रही है.
ओजोन परत धरातल से सामान्यतः 20 से 30 किमी की ऊंचाई के बीच पाई जाती है, जो पर्यावरण की रक्षक है. यह वायुमंडल के समताप मंडल क्षेत्र में ओजोन गैस का एक झीना आवरण है, जो सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों से मनुष्य तथा जीव-जंतुओं की रक्षा का कार्य करता है.
ओजोन परत धरती के ऊपर एक ऐसी छतरी के समान है, जो सूर्य की हानिकारक किरणों को पृथ्वी तक आने से रोकती है. पृथ्वी के वायुमंडल, समताप मंडल में ओजोन परत करीब 10 किमी की जगह घेरे हुए है. चूंकि इस परत के बिना पृथ्वी पर जीवन संकट में पड़ जाएगा, इसीलिए ऊपरी वायुमंडल में इसकी उपस्थिति अत्यंत आवश्यक है. यह परत सूर्य की पराबैंगनी किरणों के लिए एक अच्छे फिल्टर का कार्य करती है.
सूर्य विकिरण के साथ आने वाली पराबैंगनी किरणों का करीब 99 प्रतिशत हिस्सा ओजोन मंडल द्वारा सोख लिया जाता है और इसी कारण पृथ्वी पर न केवल मनुष्य बल्कि जल-थल पर रहने वाले समस्त प्राणी और पेड़-पौधे सूर्य के खतरनाक विकिरण और अहसनीय तेज ताप से सुरक्षित हैं. वातावरण में घुलते तरह-तरह के प्रदूषकों के कारण अब पृथ्वी के इस सुरक्षा कवच में छिद्र होते जा रहे हैं, जिससे सूर्य की इन हानिकारक किरणों को पृथ्वी तक पहुंचने से रोक पाना मुश्किल होने लगा है.
ओजोन परत के महत्व को इसी से बखूबी समझा जा सकता है कि यदि वायुमंडल में ओजोन परत न हो और सूर्य से आने वाली सभी पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर पहुंच जाएं तो पृथ्वी पर जीवित हर प्राणी कैंसरग्रस्त हो जाएगा और सभी पेड़-पौधों तथा प्राणियों का जीवन नष्ट हो जाएगा.
पृथ्वी पर ओजोन परत के संरक्षण के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 16 सितंबर को ‘विश्व ओजोन दिवस’ मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1994 से विश्वभर में ओजोन परत के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए ‘विश्व ओजोन दिवस’ मनाए जाने की घोषणा की गई और 2010 तक दुनियाभर में ‘ओजोन फ्रेंडली’ वातावरण बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था लेकिन अभी लक्ष्य दूर है.