सारंग थत्ते का ब्लॉग: चीन के सभी पैंतरों को विफल कर रही है सेना
By सारंग थत्ते | Published: January 15, 2021 01:39 PM2021-01-15T13:39:51+5:302021-01-15T13:41:40+5:30
भारत-चीन सीमा पर 23 विवादास्पद और संवेदनशील क्षेत्नों की सूची है. लद्दाख में कई ऐसे स्थान हैं जैसे पैंगोंग त्सो, ट्रिग हाइट्स, डेमचोक, डमशेल, चुमार और स्पैंगुर गैप जहां चीनी सैनिक लगातार भारतीय सीमा पार करने की कोशिश करते रहे हैं.
पिछले लगभग नौ महीनों से देश की उत्तरी सीमा पर चीन की खतरनाक मंशा के बादलों का बवंडर गहराया हुआ है. मई के पहले सप्ताह में शुरू हुआ यह तूफान अपने चरम पर पहुंचा जब 15/16 जून को गलवान घाटी में हमारे सैनिकों के साथ चीनी सैनिकों की हिंसक झड़प हुई.
विश्वास के माहौल में गहरी दरार पड़ गई. विभिन्न स्तरों पर हुई बातचीत के दौर में अब तक कोई हल नहीं निकल पाया है. अब हम नौवें दौर की बातचीत का इंतजार कर रहे हैं. गलवान में हुए नरसंहार के बाद रक्षा मंत्नालय ने रणनीति में बदलाव किया है.
हथियार के इस्तेमाल के लिए मंजूरी देने का जिम्मा फील्ड कमांडरों पर सौंपा गया है. हर भारतीय को इस बात का इल्म हो चुका था कि चीन ने हमारे साथ धोखा किया है, जन आक्रोश का गुबार फूट पड़ा- चीनी सामान को भारत से बाहर करने की सबने ठान ली- चीन को 20 भारतीय सैनिकों की शहादत का जवाब देने के लिए देश एकजुट हुआ था.
15 जनवरी 1949 को जनरल के.एम. करिअप्पा ने भारतीय सेना का जिम्मा संभाला था. ब्रिटिश सेना प्रमुख जनरल बुचर ने भारतीय सेना की कमान संभाली थी. सही मायने में ब्रिटिश राज से मुक्त होकर हमारी सेना भारतीय हो गई थी. इसी विशेष दिन के महत्व को देखते हुए हर वर्ष 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है.
हर वर्ष 15 जनवरी को दिल्ली छावनी में होने वाली सेना दिवस की भव्य परेड एक तरह से गणतंत्न दिवस की ड्रेस रिहर्सल कहलाती है. इस वर्ष गणतंत्न दिवस की परेड का मार्ग 8 किमी से घटाकर 3.5 किमी किया गया है. इसमें शामिल फौजी दस्ते में सैनिकों की संख्या में भी कटौती की गई है.
सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणो ने सेना दिवस से पूर्व अपनी विशेष प्रेस वार्ता में देश और देश के सैनिकों को लेकर अपनी बात कही. उन्होंने चीन के साथ चल रही वार्ता में आगे ठोस नतीजा मिलने की संभावना जताई. लेकिन देश की सेना अपनी पूरी तैयारी के साथ किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
सेना प्रमुख के अनुसार चीन के साथ सैन्य अधिकारियों की बातचीत के उपरांत या पहले राजनयिक स्तर पर भी बातचीत हुई है. यदि आने वाले वार्ता के दौर में कोई नतीजा नहीं निकलता तब हम इंतजार करेंगे, राष्ट्रीय लक्ष्यों और हितों को प्राप्त करने में समय लगता है, लेकिन किसी भी कीमत पर देश की अखंडता और प्रभुता से सौदा नहीं करेंगे.
चीन के साथ जारी ‘नो वॉर नो पीस’ और सेनाओं का एक-दूसरे के आमने-सामने रहना खतरे की घंटी जरूर है, लेकिन इस मौसम में जब तापमान शून्य से 40 डिग्री नीचे है तब यह कहना सही होगा कि चीन किसी किस्म का जोखिम नहीं उठाएगा- हमसे दो-दो हाथ करने के लिए.
मौसम की मार उसे भारी पड़ेगी. हमने अपनी स्थिति मजबूत की हुई है और हमारे जांबाज सैनिक बर्फीले मौसम में देश की खातिर अपने मोर्चो पर मुस्तैदी से डटे हुए हैं.
सेना प्रमुख ने इस बात का भी खुलासा किया कि हमारी सेना समय-समय पर सेना की जिम्मेवारी के इलाके की समीक्षा करती है. लद्दाख से लेकर उत्तराखंड होते हुए अरुणाचल प्रदेश तक हमारी चीन के साथ जुड़ी हुई सीमा की निगरानी हमारे लिए अहम है.
चीनी सेना गर्मी के मौसम में तिब्बती पठार पर हमारी सीमा से 500 से 1500 किमी की दूरी पर अपने प्रशिक्षण के लिए आती रही है और सर्द मौसम में वापस पीछे हट जाती है. इस किस्म की चीनी हरकत पर भारतीय सेना की नजर बरकरार है क्योंकि इन्हीं इलाकों से चीनी सेना अग्रिम मोर्चो तक 24 से 48 घंटों में पहुंचने की काबिलियत रखती है.
भारतीय सेना ने पेंगोंग झील के दक्षिणी किनारे की रेझान ला, रेकुइन पास, गुरुंग हिल, मगर की ऊंचाइयों पर अपना झंडा फहराया है और एक तरह से चीनी सेना को चकमा दिया है. ये वे चोटियां हैं जहां से हमें चीनी सेना की हरकत पर नजर रखने में सुविधा है.
कई जगहों पर चीन ने पिछले कुछ महीनों में अपने संसाधन बेहतर कर सैनिकों के रहने के साधन जुटाए हैं जिसकी खबर भारतीय सेना को है - इसमें चिंता की कोई विशेष वजह नहीं है.
भारत-चीन सीमा पर 23 विवादास्पद और संवेदनशील क्षेत्नों की सूची है. लद्दाख में कई ऐसे स्थान हैं जैसे पैंगोंग त्सो, ट्रिग हाइट्स, डेमचोक, डमशेल, चुमार और स्पैंगुर गैप जहां चीनी सैनिक लगातार भारतीय सीमा पार करने की कोशिश करते रहे हैं.
अरुणाचल में भी तथाकथित फिशटेल 1 और 2, नमखा चू, समदोरोंग चू, अप्सफिला, डिचू, यांग्त्से और दिबांग वैली हॉट स्पॉट हैं. चीन दौलत बेग ओल्डी में भारत के सड़क, पुल बनाने से चिढ़ा है. चीनी सैनिकों का संभावित निशाना दरबुकशियोक - दौलत बेग ओल्डी रोड हो सकता है, जिसे भारत ने पिछले साल बनाया है.
यह रोड सब सेक्टर नॉर्थ के लिए जीवनरेखा की तरह है. हालांकि चीन को किसी भी तरह की हिमाकत करने से रोकने के लिए भारत ने भी पर्याप्त संख्या में सैनिकों की तैनाती की है. अब देखना होगा कि क्या हम बातचीत से चीन की सेना को पीछे धकेल सकेंगे या फिर कोई नया पैंतरा बदल कर चीनी ड्रैगन नई फुंकार मारेगा. इसका जवाब अब हमें देना ही होगा.