सारंग थत्ते का ब्लॉग: नौसेना का 14 साल का खत्म हुआ इंतजार
By सारंग थत्ते | Published: February 26, 2020 11:31 AM2020-02-26T11:31:33+5:302020-02-26T11:31:33+5:30
अगुस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर में हुई घूसखोरी के चलते भारत सरकार ने नए विकल्प तलाशे थे. सिकोरस्की की ओर से एमएच-60 रोमियो को अगुस्ता के बदले में अनुबंध मिलना लगभग तय था.2012 में 44 हेलिकॉप्टर की जरूरत नौसेना को थी.
भारतीय नौसेना ने अपने 14 बरस पुराने लक्ष्य को अब पा लिया है. मल्टी रोल हेलिकॉप्टर की सोच 2006 में बनी थी और अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे के दिल्ली पड़ाव में इस डील पर आखिर मुहर लग ही गई है. नौसेना को अपने विमान वाहक पोत के लिए पुराने सी किंग हेलिकॉप्टर के एवज में उन्नत किस्म के हेलिकॉप्टर चाहिए थे.
अगुस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर में हुई घूसखोरी के चलते भारत सरकार ने नए विकल्प तलाशे थे. सिकोरस्की की ओर से एमएच-60 रोमियो को अगुस्ता के बदले में अनुबंध मिलना लगभग तय था. 2012 में 44 हेलिकॉप्टर की जरूरत नौसेना को थी. लेकिन एक असमंजस की स्थिति बनी और दो साल के लिए नौसेना की जरूरत ठंडे बस्ते में बंद कर दी गई. 2015 में लॉकहीड मार्टिन कंपनी ने सिकोरस्की को खरीद लिया था और तब नए सिरे से सौदे की खरीद-फरोख्त शुरू हुई थी.
फिर अचानक 2017 में हेलिकॉप्टर की संख्या में इजाफा करते हुए 123 की जरूरत को फाइलों में दर्ज किया गया. इसके एक साल बाद रक्षा मंत्नालय ने नौसेना की जरूरत को फिर से खंगाला और हम 24 सिकोरस्की एमएच 60आर पर आकर रुक गए. मीडिया में इस सब का हल्ला देखने और सुनने को मिला था. अब तय हुई 2.6 बिलियन डॉलर की इस खरीद में से छह हेलिकॉप्टर और उन्नत किस्म के मिसाइल एवं अन्य संचार उपकरण अगले वर्ष मध्य तक मिलेंगे और बचे हुए 18 हेलिकॉप्टर दो साल की अवधि में भारतीय नौसेना के पास होंगे.
विश्व के सबसे ताकतवर राष्ट्र प्रमुख के साथ रक्षा क्षेत्न में यह रकम कोई विशेष मायने नहीं रखती लेकिन भारतीय नौसेना के लिए यह एक गेम चेंजर साबित होगा.हमारे ये नए हेलिकॉप्टर भारतीय विमान वाहक पोत विक्रमादित्य पर आने वाले दो सालों में पहुंच जाएंगे, तब तक शायद दूसरा विमान वाहक पोत विक्र ांत भी समुद्र में तैरता नजर आएगा. कुछ अन्य लड़ाकू डिस्ट्रायर पर भी यह हेलिकॉप्टर उड़ान भर सकता है.
इन हेलिकॉप्टर्स के साथ उच्च प्रौद्योगिकी के सेंसर, संचार साधन तथा हेलिकॉप्टर पर मौजूद हथियार भी मिलेंगे. मूल डिजाइन सिकोरस्की कंपनी ने बनाया था और एमएच 60 आर इसका उन्नत रूप है. अमेरिकी नौसेना को यह हेलिकॉप्टर 2006 में बेचा गया था. इसमें उन्नत किस्म के सेंसर्स हैं जो सतह के नीचे की खोज में सहायता करते हैं. एएनएपीएस-147 रडार और आईएफएफ दुश्मन या दोस्त को पहचानता है.
डेटा को भेजने के लिए भी प्रौद्योगिकी में बेहतर विकल्प ढूंढा गया है. भारतीय नौसेना में इस किस्म के हेलिकॉप्टर को शामिल करने से एक अभूतपूर्व ताकत हाथों में होगी. विशेष रूप से समुद्र की लड़ाई में हिंद महासागर में मुकाबले का पैमाना विशाल है. विशेषकर इंडो-पैसिफिक इलाके में राजनीतिक हलचल और सामरिक एवं रणनीति की ऊहापोह पिछले कुछ वर्षो में गति पकड़ रही है.
अफ्रीका से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक के कई देशों में इस इलाके के महत्व की वजह से चीन से टकराव की स्थिति उत्पन्न हो रही है. इस बिक्र ी से भारत को एंटी-सरफेस और पनडुब्बी रोधी युद्धक अभियानों को करने की क्षमता में प्रखरता मिलेगी.
इसके अलावा 930 मिलियन डॉलर के 6 बोइंग एएच 64ई अपाचे हेलिकॉप्टर भारतीय थलसेना के लिए भी खरीदे जा रहे हैं. इससे पहले हमने 22 अपाचे भारतीय वायुसेना के लिए खरीदे थे, जिसमें से 17 की आपूर्ति हो चुकी है.