संतोष देसाई का ब्लॉग: ‘न्यू इंडिया’ के विस्तृत होते मायने
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 13, 2020 11:10 AM2020-01-13T11:10:43+5:302020-01-13T11:10:43+5:30
देश भर में महिलाओं के बीच एक नई मुखरता देखी जा रही है, जो उनके आत्मविश्वास व महत्वाकांक्षा से उपजी है तथा जिसे उनके आचरण में देखा जा सकता है. बुनियादी रूप से कुछ बदल रहा है और स्त्री-पुरुष के बीच शक्ति समीकरण को यह नए सिरे से परिभाषित कर रहा है.
‘न्यू इंडिया’ का लेबल अब राजनीतिक संपत्ति बन चुका है. एक ओर यदि इससे सरकार की उस तस्वीर की कल्पना मन में आती है जो वह हिंदू विरासत के गर्व से भरे हुए नागरिकों के रूप में देखती है तो दूसरी ओर इसे युवाओं के बीच पनपने वाले नए प्रतिरोध के रूप में भी देखा जा रहा है. इन दोनों छवियों से अलग एक और भी न्यू इंडिया है जिसे समुचित ढंग से समझा नहीं गया है. नए साल में, राजनीतिक चुनौतियों से परे, उन सकारात्मक परिवर्तनों पर ध्यान केंद्रित करना प्रासंगिक होगा, जिन्हें हम एक समाज के रूप में देख रहे हैं.
देश भर में महिलाओं के बीच एक नई मुखरता देखी जा रही है, जो उनके आत्मविश्वास व महत्वाकांक्षा से उपजी है तथा जिसे उनके आचरण में देखा जा सकता है. बुनियादी रूप से कुछ बदल रहा है और स्त्री-पुरुष के बीच शक्ति समीकरण को यह नए सिरे से परिभाषित कर रहा है.
रचनात्मकता की अभिव्यक्ति विशेष रूप से युवा वर्ग में दिखाई दे रही है. हालिया विरोध प्रदर्शनों के दौरान जिस तरह से काव्यात्मक नारे लगाए गए हैं, स्लोगन का इस्तेमाल किया गया है, मीम्स बनाए गए हैं, उनमें इसे देखा जा सकता है. अभिव्यक्ति की उन्मुक्तता के जरिये वे खुद को प्रकट कर रहे हैं और यह सिर्फ शुरुआत है. डिजिटल प्रौद्योगिकियों विशेषकर स्मार्टफोन के उदय से खासकर युवाओं के बीच खुद सीखने का चलन बढ़ा है. गूगल और यूटय़ूब की दुनिया में, आज सभी सवालों के जवाब हासिल हैं. हमने देखा है कि शिक्षा हासिल करने के बाद, काम पाने में असमर्थ युवा इंटरनेट के माध्यम से कौशल सीख कर अभिनव तरीके से आजीविका हासिल करने के रास्ते खोज रहे हैं.
पारंपरिक करियर से अलग, नए तरह के करियर विकल्पों में भी उछाल आया है, जो कि रोजगार पाने के दबाव को काफी हद तक कम करने में मदद कर रहा है. सोशल मीडिया ढेरों नए तरह के अवसरों को सामने लाया है. हालांकि अभी भी भारत का एक बड़ा हिस्सा सरकारी नौकरियों और पारंपरिक करियर के मार्ग पर ही चल रहा है, लेकिन अपना खुद का कुछ नया काम करने का आकर्षण जोर पकड़ रहा है. इस प्रवृत्ति का एक विशेष आकर्षक पहलू पूरे देश में महिला उद्यमियों का उदय है.
यह पूरी कहानी का केवल एक हिस्सा है. परिवर्तन के कई अन्य पहलू हैं जो उत्साहजनक भी हैं और उदासी पैदा करने वाले भी. कुछ चीजें गलत हैं लेकिन ऐसा भी बहुत कुछ है जो चुपचाप बदल रहा है और भविष्य की बेहतरी के बारे में उम्मीद बंधाता है.