सारंग थत्ते का ब्लॉग: कैसे रहे होंगे AN-32 विमान हादसे के आखिरी क्षण?

By सारंग थत्ते | Published: June 16, 2019 06:54 AM2019-06-16T06:54:14+5:302019-06-16T06:54:14+5:30

उड़ान शुरू होने के 35 मिनट के भीतर ही रडार से जहाज गायब हो गया और किसी भी किस्म का संपर्क नहीं हो पाने की सूरत में खोज की कार्रवाई में वायुसेना और थलसेना तुरंत हरकत में आ गई थी.

Saarang Thatta's blog: How can the AN-32 aircraft be the last moment of an accident? | सारंग थत्ते का ब्लॉग: कैसे रहे होंगे AN-32 विमान हादसे के आखिरी क्षण?

सारंग थत्ते का ब्लॉग: कैसे रहे होंगे AN-32 विमान हादसे के आखिरी क्षण?

कि सी भी दुर्घटना की तस्वीरें विचलित करने वाली होती हैं, इसलिए मीडिया में इनके प्रकाशन में एहतियात बरता जाता है. लेकिन इंसान की सोच और हादसे के क्षेत्न के जानकार इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि वे आखिरी पल कैसे रहे होंगे? 3 जून 2019 को भारतीय वायुसेना का एक बदनसीब एएन 32 भारवाहक विमान जोरहाट से अरुणाचल प्रदेश में अग्रिम लैंडिंग ग्राउंड - मेचुका के लिए निकला था.

उड़ान शुरू होने के 35 मिनट के भीतर ही रडार से जहाज गायब हो गया और किसी भी किस्म का संपर्क नहीं हो पाने की सूरत में खोज की कार्रवाई में वायुसेना और थलसेना तुरंत हरकत में आ गई थी. अथक प्रयासों के बाद 11 जून को एक एमआई- 17 हेलिकॉप्टर को इस एएन-32 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के संकेत जमीन पर नजर आए. 12000 फुट ऊंचाई पर पहाड़ी की कगार से 200 फुट नीचे जले हुए पेड़ों के बीच विमान के टूटे-फूटे हिस्से दिखाई दिए.

परिजनों के जेहन में एक उम्मीद थी कि 13 यात्रियों में से शायद कोई अब भी जिंदा हो! लेकिन अनहोनी को कोई दरकिनार नहीं कर पाया. हादसे में सभी 13 एयर वारियर्स मारे गए थे जिसकी पुष्टि अगले दो दिन में हो गई  जब हेलिकॉप्टर से पर्वतारोही दल को हादसे की जगह से करीब उतारा गया. 

हादसे की तस्वीर जो मीडिया में सामने आई है उससे यह साफ है कि विमान उस पहाड़ी को शायद बादलों की वजह से देख नहीं पाया. ग्राउंड प्रॉक्सिमिटी वॉर्निग सिस्टम और टेरेन अवेयरनेस एंड वॉर्निग सिस्टम (जो जमीन की नजदीकी का संज्ञान देने का काम करता है ) के न होने से सामने क्या है यह जानकारी पायलट को डिजिटल आंकड़े और नक्शे नहीं दिखा पाए! इस जहाज का टेक ऑफ वजन 27000 किलोग्राम है.

यह विशाल भारवाहक विमान जब उस पहाड़ी से टकराया होगा तब सामने बैठे पायलट ने अपनी मौत को अपने सामने देखा होगा. विमान के ईंधन को आग पकड़ने में कुछ वक्त लगा होगा लेकिन उस खड़ी पहाड़ी से टकराने के बाद विमान लुढ़ककर जमीन में धंसता चला गया होगा, आग के गोले के बीच से किसी के बचने की संभावना न के बराबर थी, न दरवाजे खुलते न कोई रास्ता निकलता बचने का. बस कुछ ही समय में सब कुछ स्वाहा हो गया होगा. 13 एयर वारियर्स के अवशेष ताबूत में बंद कर लाने में कुछ समय लगेगा लेकिन उन्हें समटने वाले पर्वतारोही दल के सदस्यों के जज्बे को सलाम, जिन्हें क्षत-विक्षत शवों को इज्जत बख्शते हुए पहचान कर रखने का साहसिक कार्य करना पड़ा. 

 9 जून 2009 अर्थात अब से लगभग दस बरस पहले भारतीय वायुसेना का एक एएन-32 मालवाहक विमान अरुणाचल में ही गायब हुआ था. उस विमान में भी 13 व्यक्ति सवार थे.  इससे पहले 2016 में बंगाल की खाड़ी में एक एएन-32 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था जो चेन्नई से उड़ान भर अंडमान निकोबार जा रहा था. उस विमान का कोई पता नहीं लग पाया. भारतीय वायुसेना ने अब तय किया है कि एएन-32 भारवाहक विमान को उत्तर-पूर्व के पहाड़ी क्षेत्न में उड़ान भरने से सुरक्षा की दृष्टि से हटा दिया जाएगा.
 

शायद यह सोच बहुत पहले आनी थी. क्या वायुसेना की आधुनिकीकरण की मांग को अब आने वाले बजट में ज्यादा आवंटन दिया जाएगा? सुरक्षा का मुद्दा सबसे अहम है. आम एयरलाइंस में यात्रियों की सुरक्षा के लिए पानी की तरह पैसा बहाया जाता रहा है क्योंकि कंपनी की साख दांव पर होती है. लेकिन भारतीय वायुसेना की लाख कोशिश के बाद भी मिग-21, चीता हेलिकॉप्टर और एएन-32 भार वाहक जहाजों पर जरूरी आधुनिकीकरण का फैसला होना बाकी है. 

Web Title: Saarang Thatta's blog: How can the AN-32 aircraft be the last moment of an accident?

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे