ब्लॉग: खिलाड़ियों के राज्य मणिपुर में बंद हो हिंसा का तांडव
By आरके सिन्हा | Published: May 17, 2023 12:21 PM2023-05-17T12:21:28+5:302023-05-17T12:23:04+5:30
मणिपुर में ताजा हिंसा चूरचंद्र जिले में हुई है. इस जिले का नाम उस महान शख्स के नाम पर है जिसने मणिपुर में खेलों को बढ़ावा देने की नींव रखी थी.
अभी गृह युद्ध में फंसे सूडान से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश में वापस लाने संबंधी खबरें आनी बंद ही हुई थीं कि मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा के कारण वहां पर रहने वाले अन्य राज्यों के हजारों नागरिकों ने अपने प्रदेशों में जाना शुरू कर दिया.
करीब-करीब सब राज्य सरकारें अपने–अपने नागरिकों को मणिपुर से निकालने के लिए विशेष विमानों की व्यवस्था कर रही हैं. सड़क मार्ग से कोई भी अपनी मंजिल तक नहीं जाना चाहता. सड़क मार्ग फिलहाल असुरक्षित माने जा रहे हैं. बेशक, ये बेहद दु:खद स्थिति है कि भारत के ही नागरिक अपने ही देश के एक भाग में भड़की खूनी हिंसा के कारण वहां से जान बचाकर भाग रहे हैं.
नॉर्थ ईस्ट का यह छोटा सा राज्य खेलों में सारे देश के लिए उदाहरण पेश करता रहा है. यहां से महिला और पुरुष खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में देश का नाम रोशन कर रहे हैं. मणिपुर भारत के फुटबॉल के गढ़ के रूप में उभर रहा है. भारत में साल 2017 में अंडर-17 विश्व कप फुटबॉल चैंपियनशिप आयोजित हुई थी. उस भारतीय टीम में आठ खिलाड़ी मणिपुर से थे. मणिपुर से देश को मेरी कोम तथा डिंको सिंह जैसे महान मुक्केबाज मिले हैं.
पिछले टोक्यो ओलंपिक खेलों में भारतीय खेमे से मणिपुर के खिलाड़ियों के अभूतपूर्व प्रदर्शन की गूंज को सारा देश गर्व से देख-सुन रहा है. वेटलिफ्टिंग में चानू मीराबाई के शानदार प्रदर्शन से खेलों के पहले ही दिन भारत की बोहनी भी हो गई थी. उन्होंने देश की झोली में सिल्वर मेडल डाला. सब जानते हैं कि मुक्केबाज मेरी कोम भी मणिपुर से हैं. वह छह बार विश्व चैंपियन रहीं और एक बार भारत को ओलंपिक पदक भी जितवा चुकी हैं. मणिपुर के पहले नामवर मुक्केबाज डिंको सिंह थे उन्होंने 1997 में बैंकॉक में किंग्स कप जीता. वह भारतीय नौसेना में थे. उन्हें 1998 में थाईलैंड में बैंकाक एशियाई खेलों में मुक्केबाजी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने के लिए जाना जाता है.
मणिपुर में ताजा हिंसा चूरचंद्र जिले में हुई है. इस जिले का नाम उस महान विभूति के नाम पर है जिसने मणिपुर में खेलों को बढ़ावा देने की नींव रखी थी. राजा चूरचंद्र सिंह ने खेलों को बढ़ाने के लिए कई स्तर पर प्रतियोगिताओं का आयोजन किया और मुफ्त में खेल के पुरस्कार भी बांटे.
मणिपुर के खून में खेल है. इस तरह के आदर्श राज्य में हिंसा का होना दु:खद है. मणिपुर में शांति की बहाली तुरंत होनी चाहिए. राज्य में 1993 के बाद इतनी भीषण हिंसा हुई है. तब एक दिन में 100 से ज्यादा लोगों को मार दिया गया था. राज्य के सभी प्रमुख समुदायों के नेताओं को अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए प्रदेश में शांति बहाल करने में सरकार को साथ देना होगा.