ब्लॉगः भाजपा संस्कृति का बड़ा हिस्सा है रेवड़ी कल्चर..., इसपर फैसले लेने का मंच न्यायालय नहीं

By कपील सिब्बल | Published: August 31, 2022 02:49 PM2022-08-31T14:49:31+5:302022-08-31T14:50:24+5:30

अक्तूबर 2021 में, मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए बिजली बिलों में 15700 करोड़ रु. से अधिक की सब्सिडी को मंजूरी दी और वर्ष 2021-22 के लिए घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए 4980 करोड़ रु. की सब्सिडी जारी रखी। इसी तरह अप्रैल 2022 में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को 125 यूनिट मुफ्त बिजली के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के बिलों की माफी की घोषणा की गई थी...

Rewari culture is a big part of BJP culture court is not the forum to take dec | ब्लॉगः भाजपा संस्कृति का बड़ा हिस्सा है रेवड़ी कल्चर..., इसपर फैसले लेने का मंच न्यायालय नहीं

ब्लॉगः भाजपा संस्कृति का बड़ा हिस्सा है रेवड़ी कल्चर..., इसपर फैसले लेने का मंच न्यायालय नहीं

सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में राजनीतिक दलों के 'मुफ्त उपहार' के वादे का मामला सामने आया, जो अक्सर राज्य विधानसभाओं या संसद के चुनाव के पहले किया जाता है। अदालत में बहस जोरदार रही। प्रधानमंत्री द्वारा सार्वजनिक रूप से 'रेवड़ी' कल्चर का विरोध करने के साथ, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से एक समिति गठित करने का आग्रह किया। यह बिल्कुल स्पष्ट था कि सरकार केजरीवाल के 'मुफ्त बिजली और मुफ्त पानी' के वादे से चिंतित थी, जिससे उन्हें भरपूर राजनीतिक लाभ मिला। हमारे प्रधानमंत्री ने युवाओं को इस तरह के वादों के बहकावे में न आने के लिए आगाह किया और देश की राजनीति से इस 'फ्रीबी' संस्कृति को हटाने का आह्वान किया। यह चिंता वाजिब हो सकती है, लेकिन प्रधानमंत्री का रुख लचर था।

शायद प्रधानमंत्री यह भूल गए कि जिस 'रेवड़ी' संस्कृति का वह खुले तौर पर विरोध कर रहे हैं, वह भाजपा संस्कृति का बड़ा हिस्सा है। कुछ महीने पहले, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने  ग्रामीण और अर्ध-ग्रामीण क्षेत्रों में 13 लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं को सीधे लाभान्वित करने के लिए कृषि उपयोग पर बिजली की दरों में 50 प्रतिशत की कमी की घोषणा की थी। वास्तव में फरवरी 2022 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना के तहत दो करोड़ टैबलेट या स्मार्टफोन का वादा किया था। साथ ही, भाजपा अध्यक्ष ने घोषणा की थी कि राज्य की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कॉलेज की मेधावी लड़कियों को मुफ्त  स्कूटी दी जाएगी।

पार्टी ने गरीब परिवारों की लड़कियों की शादी के लिए एक लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता देने का भी वादा किया। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत हर साल होली और दिवाली पर दो मुफ्त एलपीजी सिलेंडर देने का आश्वासन दिया गया था। मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के तहत वित्तीय सहायता को 15000 रु. से बढ़ाकर 20000 रु. करने का भी वादा किया गया था। भाजपा ने 60 वर्ष से अधिक उम्र की महिला यात्रियों के लिए सार्वजनिक परिवहन में मुफ्त आवागमन और किसानों को मुफ्त बिजली देने की भी बात कही।

अक्तूबर 2021 में, मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए बिजली बिलों में 15700 करोड़ रु. से अधिक की सब्सिडी को मंजूरी दी और वर्ष 2021-22 के लिए घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए 4980 करोड़ रु. की सब्सिडी जारी रखी। इसी तरह अप्रैल 2022 में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को 125 यूनिट मुफ्त बिजली के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के बिलों की माफी की घोषणा की गई थी, जिससे राज्य के खजाने पर 250 करोड़ रु. का भार पड़ना था।  उसने 18 से 60 वर्ष की आयु की सभी महिलाओं को राज्य परिवहन बसों में किराए में 50 प्रतिशत की छूट और 1500 रु. प्रति माह की वित्तीय सहायता देने की भी घोषणा की थी।

मणिपुर विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, भाजपा ने सत्ता में वापस आने पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की लड़कियों को 'रानी गाइदिनल्यू नुपी महेरोई सिंगी योजना'  के तहत 25000 रु. और  वरिष्ठ नागरिकों के लिए मासिक पेंशन 200 रु. से बढ़ाकर 1000 रु. करने का वादा किया।

इस तरह की सार्वजनिक घोषणाएं क्या 'रेवड़ी' संस्कृति से मेल नहीं खाती हैं, जिसके बारे में प्रधानमंत्री अब बात कर रहे हैं? जाहिर है, प्रधानमंत्री 'रेवड़ी' संस्कृति के विरोधी नहीं हैं, क्योंकि जहां भी भाजपा सत्ता में है, वहां वह इसे अपनाते हैं, चाहे वह उत्तराखंड में हो, मणिपुर में या अब गुजरात में। भाजपा ने 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी इस संस्कृति को अपनाया।

चुनाव के समय जो वादे किए जाने चाहिए, उन्हें कानून द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता क्योंकि वादे करना भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का एक हिस्सा है। अंतत: यह मतदाता को ही तय करना होता है कि किस पर विश्वास करना है और किस पर नहीं। चुनाव का परिणाम यह निर्धारित करता है कि ऐसे वादे करने वाले राजनीतिक दल को लोगों का विश्वास प्राप्त है।  

मेरा मानना है कि अदालत ऐसा मंच नहीं है जहां ऐसे मामलों को सुलझाया जा सके। इस बहस के आर्थिक और राजनीतिक दोनों मायने हैं। ऐसे मुद्दों को हल करना सरकार और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है। अदालत को खुद को उस मामले में शामिल नहीं करना चाहिए जो अनिवार्यत: राजनीतिक रूप से हल किया जाना चाहिए।

Web Title: Rewari culture is a big part of BJP culture court is not the forum to take dec

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे