रविंद्र चोपड़े का ब्लॉगः चैंपियन घोषित करने का अजीब तरीका
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 16, 2019 08:43 AM2019-07-16T08:43:49+5:302019-07-16T08:43:49+5:30
विश्व कप क्रिकेट के 44 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब एक देश बगैर जीते चैंपियन बना जबकि दूसरा बगैर हारे उपविजेता रहा.
विश्व कप क्रिकेट के 44 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब एक देश बगैर जीते चैंपियन बना जबकि दूसरा बगैर हारे उपविजेता रहा. इस खेल का जनक इंग्लैंड पहली बार चैंपियन बना, पर दुख और सहानुभूति है न्यूजीलैंड के लिए. बेचारे कीवी. चैंपियन इंग्लैंड और रनर्स-अप न्यूजीलैंड के प्रयासों में कोई कमी नहीं थी. दोनों ने 50-50 ओवरों में (241-241) और फिर सुपर ओवर में (15-15) एक जैसे रन बनाए मगर मेजबानों को विजेता बनाया बाउंड्री (चौके-छक्के) के ‘पैमाने’ ने.
यह कैसा इंसाफ है? क्रिकेट में अहम है रनसंख्या. जो ज्यादा रन बनाएगा वह जीतेगा यह इस खेल का मूल सिद्धांत है. विश्व कप फाइनल में इंग्लैंड और न्यूजीलैंड दोनों की रनसंख्या सुपर ओवर में भी एकसमान ही थी. इस ‘टाई’ को ब्रेक करने के लिए बाउंड्री की संख्या पर फैसला किया गया. पता नहीं विजेता घोषित करने के लिए आईसीसी के अपनाए इस मापदंड से कितने क्रि केट प्रेमी सहमत हैं. कायदे से दोनों टीमें संयुक्त विजेता होनी चाहिए थीं.
टी-20 क्रिकेट के शुरुआती काल में टाई ब्रेक के लिए बॉल आउट का विकल्प था, जिसमें हर टीम के तीन गेंदबाज स्टम्प पर गेंद करते थे. भारत ने 2007 के टी-20 विश्व कप में पाकिस्तान को बॉल आउट में ही हराया था, मगर यह विकल्प इतना हास्यास्पद था कि चहुंओर आलोचनाओं से घिर गया. इसी को हटाकर सुपर ओवर का विकल्प लाया गया है. अस्सी और नब्बे के दशक में टाई एकदिवसीय मुकाबलों के फैसले दोनों टीमों के 25-25 ओवर के बाद स्कोर देखकर किए जाते थे. यह समान होने पर विकेटों की संख्या देखी जाती थी. जिसके ज्यादा विकेट गिरे वह हारा. अब बाउंड्री की संख्या के आधार पर विजेता का फैसला हुआ और वह भी विश्व विजेता का. यह अतार्किक लगता है.
एक सुपर ओवर में जब निर्णय नहीं हो सका तो दूसरा कराने का नियम हो सकता था और फिर भी स्कोर समान रहा तो संयुक्त विजेता घोषित किया जा सकता था. संयोग से यदि दोनों टीमों की बाउंड्री की संख्या भी अगर समान ही होती तो फिर आईसीसी के पास क्या विकल्प था? सिर्फ चौकों की ही बात करें तो दोनों टीमें एक समान बाउंड्रियां नहीं लगा सकतीं. अहम तो कुल रनसंख्या होती है. भारत के महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि किसी टीम को आप बाउंड्री की संख्या के आधार पर विजेता नहीं घोषित कर सकते. उनकी निगाहों में दोनों टीमें चैंपियन हैं. मतलब इंग्लैंड के विजेता बनने के बाद नई बहस छिड़ गई है कि विश्व कप का फाइनल यदि सुपर ओवर में भी टाई हो जाता है तो विजेता के ऐलान के लिए बाउंड्री की संख्या का पैमाना कितना उचित है?