राम ठाकुर का ब्लॉग: राष्ट्रवाद की कसौटी पर भारतीय क्रिकेट
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 26, 2019 01:03 PM2019-02-26T13:03:02+5:302019-02-26T13:03:02+5:30
राष्ट्रवाद की कसौटी पर क्रिकेट को परखा जा रहा है. यह बात अलग है कि जब रिश्ते जोड़ने की बात होती है तो क्रिकेट को याद किया जाता है और तोड़ने की बात भी क्रिकेट से ही हो रही है.
पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद आईसीसी वर्ल्ड कप-2019 के तहत भारत और पाकिस्तान के बहुप्रतीक्षित मैच को लेकर अटकलों का दौर जारी है. देश में जोर-शोर से मांग उठ रही है कि पाकिस्तान जिस तरह से आतंकवाद को संरक्षण देकर भारत में हमले करा रहा है, उसे देखते हुए भारतीय टीम को 16 जून को होने वाले वर्ल्ड कप मैच का बहिष्कार करना चाहिए.
अधिसंख्य दिग्गज क्रिकेटर भी पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए मैच का बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं. गेंद सरकार के पाले में है और इस मामले में अंतिम फैसला भी उसे ही करना है. इस बीच, बुधवार को हो रही आईसीसी की बैठक में भी बीसीसीआई इस मामले को जोर-शोर से उठाएगा.
पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत के पास दो विकल्प हैं. पहला, 16 जून को होने वाले मुकाबले का बहिष्कार किया जाए. चूंकि इस बार का फॉर्मेट ‘ऑल प्ले ऑल’ का है इसलिए प्रत्येक टीम को नौ मुकाबले खेलने हैं और पाकिस्तान के साथ मुकाबला नहीं खेलने से उसकी संभावनाओं पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है. लेकिन, आईसीसी उसे ऐसा निर्णय करने से रोकना चाहेगी.
द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज में यह संभव है, लेकिन वर्ल्ड कप जैसे बड़े आयोजनों में इस तरह के फैसले मुश्किल होते हैं. फिर भी यदि बीसीसीआई ऐसा करता है तो आईसीसी अनुशासन के नाम पर जुर्माना लगा सकता है. कड़ी कार्रवाई के रूप में बैन करने के बारे में भी सोच सकता है. ऐसे में भारत दूसरे विकल्प पर विचार कर सकता है. इसके तहत वह विश्वकप से बाहर होने के बारे में सोच सकता है.
हालांकि, इसकी आशंका कम ही नजर आ रही है. फिर भी ऐसा होता है तो भारत के अलावा आईसीसी को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. क्रिकेट का संचालन करने वाली संस्था को इससे आर्थिक नुकसान ङोलना पड़ सकता है. जानकारों की मानें तो भारत के विश्वकप से बाहर होने पर आईसीसी को 500 मिलियन डॉलर (करीब 36 अरब रुपए) का नुकसान उठाना पड़ सकता है.
सब जानते हैं कि आईसीसी की तिजोरी में सबसे बड़ा शेयर भारत का होता है. विश्वकप से भारत के बाहर होते ही भारतीय दर्शक की रुचि खत्म हो जाएगी. चूंकि क्रिकेट के महाकुंभ के लिए तीन-चौथाई दर्शकों की संख्या भारत से होती है. ऐसी स्थिति में ब्रॉडकास्टर आईसीसी को शुल्क का भुगतान करने से इनकार कर देगा.
हालांकि, ये सारी ‘अगर-मगर’ की स्थितियां हैं. 30 मई को इंग्लैंड की मेजबानी में विश्वकप का आगाज होना है और इसमें अभी लंबा वक्त है. लेकिन, मामला देश से जुड़ा होने के कारण क्रिकेट की अहमियत गौण हो जाती है.
फिलहाल राष्ट्रवाद की कसौटी पर क्रिकेट को परखा जा रहा है. यह बात अलग है कि जब रिश्ते जोड़ने की बात होती है तो क्रिकेट को याद किया जाता है और तोड़ने की बात भी क्रिकेट से ही हो रही है.