राजेश कुमार यादव का ब्लॉग: भारत के जंगलों में चीते की वापसी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 1, 2020 06:31 AM2020-02-01T06:31:22+5:302020-02-01T06:31:22+5:30

पिछले सवा सौ साल में चीता अकेला जंगली जानवर है, जो भारत सरकार के दस्तावेजों में विलुप्त घोषित किया गया. अपनी फुर्ती और रफ्तार के लिए पहचाना जाने वाला चीता आज पूरी दुनिया में सिर्फ अफ्रीका और ईरान में बचा है.

Rajesh Kumar Yadav blog: Tiger returns to Indian forests | राजेश कुमार यादव का ब्लॉग: भारत के जंगलों में चीते की वापसी

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (Image Source: Pixabay)

भारत सरकार के दस्तावेजों में 1952 से विलुप्त प्रजाति घोषित चीता को फिर से देश के जंगलों में बसाए जाने की उम्मीद जगी है. उच्चतम न्यायालय ने अफ्रीकी चीता को भारत में उचित प्राकृतिक वास तक लाने के लिए केंद्र सरकार को 28 जनवरी को अनुमति दे दी.

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने यह कहते हुए उच्चतम न्यायालय में एक आवेदन दायर किया था कि भारतीय चीता देश में विलुप्त है इसलिए नामीबिया से अफ्रीकी चीता लाने की अनुमति दी जानी चाहिए.

पिछले सवा सौ साल में चीता अकेला जंगली जानवर है, जो भारत सरकार के दस्तावेजों में विलुप्त घोषित किया गया. अपनी फुर्ती और रफ्तार के लिए पहचाना जाने वाला चीता आज पूरी दुनिया में सिर्फ अफ्रीका और ईरान में बचा है.

एक वक्त था जब दुनिया का सबसे तेज रफ्तार से दौड़ने वाला जानवर चीता भारत-पाकिस्तान और रूस के साथ-साथ मध्य-पूर्व के देशों में भी पाया जाता था. मगर अब एशिया में सिर्फ ईरान में गिनती के चीते रह गए हैं.

जुओलॉजिकल सोसायटी ऑफ लंदन और पैंथरा एंड वाइल्डलाइफ कंजरवेशन सोसायटी की रिपोर्ट की मानें तो इनकी करीब 91 फीसद आबादी खत्म हो चुकी है. शीर्ष अदालत ने तीन सदस्यों की एक समिति का गठन किया है जिसमें भारतीय वन्यजीव के पूर्व निदेशक रंजीत सिंह, भारतीय वन्यजीव के महानिदेशक धनंजय मोहन और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, वन्यजीव के डीआईजी शामिल होंगे.

यह समिति इस मुद्दे पर फैसला लेने में एनटीसीए का मार्गदर्शन करेगी. मुख्य न्यायाधीश एस.ए.बोबड़े, न्यायमूर्ति बी.आर.गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत परियोजना की निगरानी करेगी और समिति प्रत्येक चार माह में अपनी रिपोर्ट इसको सौंपेगी.

पीठ ने कहा कि विशेषज्ञ समिति के मार्गदर्शन में एनटीसीए देश में चीते को रखने के लिए सर्वोत्तम ठिकाने का सर्वे करेगा. चीते को संभवत: मध्य प्रदेश के नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य में रखा जाएगा.

भारत में फिर से चीता को बसाने की योजना पर वर्ष 2009 में काम शुरू किया गया था. योजना पर अमल के लिये मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश में 10 स्थानों का आरंभिक रूप से चयन भी किया गया.

प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक इस योजना के तहत करीब 12 चीता को लाया जाना है. जिसमें नर और मादा दोनों शामिल होंगे. अफ्रीकी देश नामीबिया भारत को मुफ्त में चीता देने को तैयार है.

फिलहाल दुनिया में मौजूदा समय में सात हजार से ज्यादा चीता हैं. चित्रों से लेकर राजा-महाराजाओं तक भारत में चीता का लंबा इतिहास रहा है. मुगल बादशाह अकबर के पास कम से कम एक हजार पालतू चीते हुआ करते थे, जिनका इस्तेमाल शिकार के लिए होता था. जहांगीर ने लिखा है कि उनके पिता ने अपने जीवनकाल में नौ हजार चीतों को पाला था. पंद्रहवीं-सोलहवीं शताब्दी में भारत में चीतों का यह सुनहरा दौर माना जाता है.

Web Title: Rajesh Kumar Yadav blog: Tiger returns to Indian forests

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