रहीस सिंह का ब्लॉग: इंडो-पैसिफिक में आकार ले रही नई रणनीति

By रहीस सिंह | Published: September 9, 2020 03:06 PM2020-09-09T15:06:01+5:302020-09-09T15:06:01+5:30

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में मिनीलैटरल्स का निर्माण इस बात का संकेत है कि भारत उसे घेर का परास्त करना चाहता है, युद्ध के जरिये नहीं.

Rahis Singh's blog: New strategy taking shape in Indo-Pacific | रहीस सिंह का ब्लॉग: इंडो-पैसिफिक में आकार ले रही नई रणनीति

सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो)

Highlights

इस समय भारत-चीन संबंध अनिश्चितता और अविश्वास के एक ऐतिहासिक संकट से गुजर रहे हैं. यह संकट 1962 के संघर्ष के बाद ‘सबसे गंभीर’ संकट है (जैसा कि विदेश मंत्री जयशंकर व्यक्त भी कर चुके हैं) और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अभूतपूर्व संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती हो चुकी है.

फिर भी अभी हमें इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए कि भारत-चीन समस्या डॉयलॉग डिप्लोमेसी से वॉर टैक्टिस के फ्रंट पर पहुंच चुकी है या फिर इसके लिए काउंटडाउन शुरू हो चुका है.

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में मिनीलैटरल्स का निर्माण इस बात का संकेत है कि भारत उसे घेर का परास्त करना चाहता है, युद्ध के जरिये नहीं. लेकिन एक सवाल यह है कि पैसिफिक क्षेत्र में बनने वाले मिनीलैटरल क्या क्वैड (स्ट्रैटेजिक क्वाडीलैटरल) की तरह काम करेंगे या फिर इनकी रणनीति भिन्न होगी? इन सब के बीच शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की मॉस्को बैठक में भारतीय उपस्थिति को किस नजरिये से देखा जाए?

एक संशय भी है जिसका समाधान जरूरी है, अर्थात कुछ वर्ष पहले भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने क्वैड अरेंजमेंट के जरिए चीन को घेरने की योजना (छुपे रूप में ही सही पर) बनाई थी, जिसकी प्रगति लगभग शून्य पर है, तो मिनीलैटरल्स कितना कमाल दिखा पाएंगे?

हाल ही में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने कहा है कि विवाद का हल नहीं निकलने पर भारत सैन्य कार्रवाई के विकल्प को आजमा सकता है. इसे देखते हुए आज सभी के मन में एक सवाल है कि भारत किस तरह की कार्रवाई करेगा? हालांकि मेरा अपना मानना है कि किसी भी प्रकार का निर्णय लेने से पहले यह देखना होगा कि चीन का असल चेहरा कैसा है.

दरअसल, चीन एक अविश्वासी राष्ट्र है और वह न तो भारत की सहअस्तित्व के सिद्धांतवाली विदेश नीति से इत्तेफाक रखता है और न ही भारत की संसदीय उदारवादी लोकतांत्रिक परंपराओं का आदर करता है. इसलिए इस बात की उम्मीद भी कम है कि चीन के साथ अपनाई जा रही डायलॉग डिप्लोमेसी का कोई सार्थक परिणाम आ पाएगा.

फिलहाल भारत और ऑस्ट्रेलिया इंडो-पैसिफिक रणनीति पर फोकस करते हुए ओवरलैपिंग ट्रैंगल्स का संजाल बनाने की ओर बढ़ रहे हैं और इस क्षेत्र के समुद्री मार्गो के एक प्रभावी ऑपरेटिंग सिस्टम में इंडोनेशिया एक निर्णायक भूमिका निभाने के लिए तैयार हो रहा है. तो यह माना जा सकता है कि इंडो-पैसिफिक आने वाले समय में बड़ी रणनीतिक तस्वीर पेश करेगा.

Web Title: Rahis Singh's blog: New strategy taking shape in Indo-Pacific

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