रहीस सिंह का ब्लॉगः लैंड बॉर्डर लॉ के पीछे क्या है चीन की मंशा?

By रहीस सिंह | Published: November 23, 2021 12:37 PM2021-11-23T12:37:19+5:302021-11-23T12:39:31+5:30

दरअसल यह चीनी रणनीति का ही एक घटक है जिसके जरिये चीनी सेना सीमाई इलाकों में रह रहे नागरिकों के साथ एक नया कनेक्ट स्थापित करना चाह रही है।

rahees singh blog What is china intention behind the land border law | रहीस सिंह का ब्लॉगः लैंड बॉर्डर लॉ के पीछे क्या है चीन की मंशा?

रहीस सिंह का ब्लॉगः लैंड बॉर्डर लॉ के पीछे क्या है चीन की मंशा?

पिछले एक लंबे कालखंड से भारत-चीन संबंधों में अनिश्चितता और अविश्वास का संकट दिखाई दे रहा है। संभवत: यह संकट 1962 के संघर्ष के बाद का ‘सबसे गंभीर’ संकट है, जैसा कि विदेश मंत्री स्वयं कह चुके हैं और अभी इसके समाधान की गुंजाइश भी नहीं दिखाई दे रही। अगर चीनी गतिविधियों का सूक्ष्म अध्ययन करें तो एक बात साफ नजर आती है कि चीन ‘स्ट्रिंग ऑफ पल्र्स’ रणनीति से लेकर ‘न्यू मैरीटाइम सिल्क रोड’ और फिर डोकलाम से लेकर गलवान तक एक सामरिक जाल बिछाने की कोशिश कर रहा है। यदि हम यह कहें कि चीन भारत के साथ स्टेट ऑफ डायलॉग से बाहर निकलकर ‘स्टेट ऑफ वॉर’ के दौर में पहुंच चुका है, तो शायद पूरी तरह से गलत नहीं होगा।

अभी जिस तरह के अध्ययन सामने आ रहे हैं उनसे चीन के एक बड़े आर्थिक संकट से गुजरने की संभावनाएं बनती दिख रही हैं। यदि ऐसा हुआ तो शी जिनपिंग अपनी डिवाइन इमेज को बचाने की कोशिश करेंगे। ये कोशिशें भी भारत की सीमा पर चीनी हरकतों को नया रूप दे सकती हैं। ऐसे में अहम सवाल यह है कि क्या भारत को अतिरिक्त सामरिक और रणनीतिक प्रबंधन की जरूरत होगी? दूसरा सवाल यह है कि क्या अमेरिका की विशिष्ट मानसिकता के चलते हिंद-प्रशांत रणनीति जिस थके हुए अंदाज में आगे बढ़ रही है, वह पर्याप्त है या फिर यहां पर भी ‘तीव्र गति की आक्रामक रणनीति’ की जरूरत होगी?

चीनी हरकतें यह बता रही हैं कि वह धीरे-धीरे सीमा पर दबाव व युद्ध की रणनीति पर पहुंच चुका है। उसने 23 अक्तूबर को सीमा सुरक्षा से जुड़ा एक नया कानून यानी ‘लैंड बॉर्डर लॉ’ पास किया है। इस कानून के पीछे उसका उद्देश्य राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय सुरक्षा को मजबूत करना और सीमा सुरक्षा से जुड़े विषयों को कानूनी रूप देकर श्रेष्ठ प्रबंधन करना है। यह तो रहा एक सामान्य पक्ष, वास्तविकता तो यह है कि चीन की विस्तारवादी नीतियों का ही एक घटक है जिसके जरिये चीन अपनी आक्रामक विस्तारवादी नीति का एक टूल के तौर पर प्रयोग करना चाहता है। इस कानून के तहत चीन सरकार द्वारा 14 देशों से जुड़ी अपनी जमीनी सीमा को लेकर कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं जो 1 जनवरी 2022 से लागू हो जाएंगे। चीन का दावा है कि ये कानून उसकी सीमा की रक्षा के लिए मिलिट्री और सिविलियन की भूमिका को मजबूत करेगा। औपचारिक तौर पर तो चीनी सरकार इस कानून को अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए सेना व नागरिकों की भूमिका को मजबूत करने तक ही सीमित मानती है जो सीमा से जुड़े इलाकों में सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए ‘मिलिट्री डिफेंस’ को मजबूत करने में भी काम आएगा। 

दरअसल यह चीनी रणनीति का ही एक घटक है जिसके जरिये चीनी सेना सीमाई इलाकों में रह रहे नागरिकों के साथ एक नया कनेक्ट स्थापित करना चाह रही है। दूसरे शब्दों में कहें तो सेना इन इलाकों में रह रहे चीनी नागरिकों को अपनी सुरक्षा अथवा आत्मरक्षा हेतु प्रशिक्षित करना चाह रही है ताकि ये लोग चीनी सेना के लिए ‘फस्र्ट लाइन ऑफ डिफेंस’ के रूप में काम कर सकें।चीन की यह रणनीति एक दोहरी रक्षात्मक दीवार का निर्माण करती दिख रही है। ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि चीन तिब्बत में सीमा से जुड़े क्षेत्रों में टाउंस का निर्माण कर रहा है जो चीन की डिफेंस स्ट्रेटेजी का महत्वपूर्ण घटक बनेंगे। चीन इनका इस्तेमाल वॉच पोस्ट के रूप में करेगा। इसका मतलब यह हुआ कि चीन दोहरी रक्षा दीवार निर्मित कर रहा है जिसके दो अर्थ हैं, चीनी नागरिकों को सैन्य प्रशिक्षण के अधीन लाना और नागरिकों के रूप में सैनिकों को बड़े पैमाने पर सीमा क्षेत्रों में बसाना। 

वैसे तो यह चीनी कानून भारत, रूस, मंगोलिया, उत्तर कोरिया, वियतनाम, लाओस, म्यांमार, भूटान, नेपाल सहित 14 देशों को प्रभावित करेगा लेकिन चीन इसके जरिये असल में भारत पर निशाना साधना चाहता है। इसके बाद उसका इरादा दक्षिण चीन सागर, विशेषकर ‘नाइन डैश लाइन’ पर अपने नियंत्रण को मजबूत करना होगा। इस कानून में नदियों और झीलों की स्थिरता को बनाए रखने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं। माना जा रहा है कि ये प्रावधान भारत को देखते हुए कानून में शामिल किए गए हैं। ध्यान रहे कि ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम स्थल चीन के नियंत्रण में आने वाले ‘तिब्बत ऑटोनॉमस रीजन’ में है। इस कानून के माध्यम से चीन नदी के पानी पर नियंत्रण स्थापित कर सकता है या उसका प्रयोग अपनी सैन्य गतिविधियों के लिए कर सकता है।

हालांकि चीन अभी युद्ध की स्थिति तक तो नहीं पहुंचा लेकिन भारत पर दबाव बनाने के उद्देश्य से सीमा पर प्राय: बेजा सैन्य गतिविधियों को बढ़ावा देता रहता है। भारत उसके इन मंसूबों को पूरा नहीं होने देता है। यही वजह है कि चीन भारत से खीझता है और प्रतिक्रियावश सीमा पर तनाव पैदा करने लगता है। ध्यान रहे कि मई 2015 में चीन ने जब ‘बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव’ के उद्घाटन समारोह में दुनिया भर के देशों को आमंत्रित किया तो उसमें भारत, जापान और अमेरिका ने आमंत्रण अस्वीकार करते हुए इस प्रोजेक्ट पर प्रश्नवाचक चिन्ह लगाया था। भारत ने तो इसे उपनिवेशवादी प्रकृति वाला बताया था। भारत की इस टिप्पणी के लगभग एक माह बाद ही चीन ने डोकलाम में अपनी सेना भेजकर चिकन नेक से भारत को चुनौती देने का काम किया था। गलवान और डेपसांग भी इसी कार्य-कारण की अगली कड़ियां हैं।

Web Title: rahees singh blog What is china intention behind the land border law

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