ब्लॉग: परीक्षाओं में धांधली से विश्वसनीयता पर उठ रहा सवाल

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: June 10, 2024 10:36 IST2024-06-10T10:34:05+5:302024-06-10T10:36:06+5:30

दरअसल इन दिनों परीक्षा कोई भी हो, गड़बड़ी की अपनी जगह बनी रहती है। चाहे मामला शिक्षक चयन परीक्षा का हो या फिर मेडिकल-इंजीनियरिंग प्रवेश का, सभी धांधलियों की शिकार हैं।

Question are being raised on credibility due to rigging in examinations | ब्लॉग: परीक्षाओं में धांधली से विश्वसनीयता पर उठ रहा सवाल

फाइल फोटो

Highlightsदेश में परीक्षाओं में होने वाली धांधली रुकने का नाम नहीं धांधली की आशंका को लेकर देशभर में विद्यार्थी और उनके अभिभावक गुस्से में हैंउन्होंने मामले में सीबीआई जांच तक की मांग की है

देश में परीक्षाओं में होने वाली धांधली रुकने का नाम नहीं ले रही है। कोई भी राज्य हो या किसी भी तरह की परीक्षा, बिना विवाद के पूरी नहीं हो पाती है। ताजा प्रकरण मेडिकल प्रवेश परीक्षा (नीट) का विवाद सभी के सामने है। कुछ दावों के अनुसार इस साल नीट की परीक्षा में पेपर लीक की खबरें सुनी गई थीं, जिन्हें दबा दिया गया। लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि परीक्षा के सवालों में गड़बड़ी के चलते कुछ छात्रों को ग्रेस अंक दिए गए, जिससे उनके अंक बढ़ गए। अब यदि अंक बढ़े भी तो रिकॉर्ड संख्या में 67 अभ्यर्थियों ने सर्वोच्च स्थान यानी पूरे अंकों को प्राप्त किया, जिनमें से छह विद्यार्थी एक ही परीक्षा केंद्र के हैं।

अब इस धांधली की आशंका को लेकर देशभर में विद्यार्थी और उनके अभिभावक गुस्से में हैं। उन्होंने मामले में सीबीआई जांच तक की मांग की है। हालांकि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के अधिकारी शुरू से परीक्षा में किसी भी तरह की गड़बड़ी से पल्ला झाड़ते रहे हैं। यह मामला यहीं शांत नहीं हुआ है, इसमें राजनीति भी आरंभ हो गई है। सभी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को लेकर आक्रामक हैं। 

दरअसल इन दिनों परीक्षा कोई भी हो, गड़बड़ी की अपनी जगह बनी रहती है। चाहे मामला शिक्षक चयन परीक्षा का हो या फिर मेडिकल-इंजीनियरिंग प्रवेश का, सभी धांधलियों की शिकार हैं। इन दिनों छद्म लोगों से पेपर दिलवाने, परीक्षा केंद्र की व्यवस्था और परिणामों में हेर-फेर आदि धंधे का रूप ले रहे हैं। देखने में यह भी आता है कि अधिकतर परीक्षाओं में घपला लगभग एक जैसा ही होता है, जिसे संयोग मात्र बताने की कोशिश की जाती है। 

वहीं सच्चाई यह भी है कि सरकार के कानून और परीक्षाओं की एक अलग इकाई बनाने के बावजूद सुधार कहीं नजर नहीं आ रहा है। इसके पीछे की एक वजह परीक्षा के आयोजकों के बीच सतर्कता का अभाव, अयोग्य कर्मचारियों से संवेदनशील कार्य करवाना, कर्मचारियों में ईमानदारी और निष्ठा की कमी है। फिलहाल गड़बड़ियों के बाद कहीं किसी कर्मचारी-अधिकारी को किसी बड़ी सजा की खबर सामने नहीं आई है। इसलिए भय भी कम होना स्वाभाविक है। 

मध्यप्रदेश के पुराने व्यापमं घोटाले तक का नतीजा आज सामने नहीं है। किंतु यह भी सच है कि परीक्षा देने वाला युवा परीक्षाओं के खोते विश्वास से हताश है। उसे अदालतों के चक्कर लगाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। हालांकि फैसले आने तक काफी समय बीत जाता है, जिससे विद्यार्थियों को अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाते हैं। वहीं सभी के मन में यह प्रश्न है कि अनेेक प्रकार की तकनीक आने के बावजूद सरकार परीक्षाओं को लेकर क्यों गंभीर नहीं है? असल सूरत में इस मामले पर राजनीति से ऊपर उठकर कार्रवाई होनी चाहिए। परीक्षा केवल अवसर मात्र ही नहीं, विश्वास से जुड़ा विषय है जो लगातार कम हो रहा है।

Web Title: Question are being raised on credibility due to rigging in examinations

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