Qatar court News: भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को सुनाई गई मौत की सजा कम, कतर मामले से नजर आ रहा है दुनिया में भारत का प्रभाव
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: December 30, 2023 11:05 AM2023-12-30T11:05:38+5:302023-12-30T11:07:08+5:30
Qatar court News: मामले को संवेदनशील बताते हुए भारत के इन पूर्व कर्मियों पर लगे आरोपों के बारे में कतर द्वारा विशेष जानकारी नहीं दी गई, लेकिन माना जाता है कि वर्ष 2022 में कथित जासूसी मामले में इन्हें गिरफ्तार किया गया था.
Qatar court News: कतर की अदालत द्वारा भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को सुनाई गई मौत की सजा को कम किए जाने को निश्चित रूप से भारत की कूटनीतिक जीत माना जा सकता है.
हालांकि इस मामले को संवेदनशील बताते हुए भारत के इन पूर्व कर्मियों पर लगे आरोपों के बारे में कतर द्वारा विशेष जानकारी नहीं दी गई, लेकिन माना जाता है कि वर्ष 2022 में कथित जासूसी मामले में इन्हें गिरफ्तार किया गया था. कतर से अपनी बात मनवाना भारत के लिए इसलिए भी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि सऊदी अरब और यूएई जैसे भारत के मित्र देशों से कतर के रिश्ते अच्छे नहीं हैं.
लेकिन कहा जा सकता है कि कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत केमिस्ट्री काम आई है. इसी माह एक दिसंबर को मोदी ने दुबई में ‘सीओपी28’ शिखर सम्मेलन के दौरान कतर के अमीर से मुलाकात की थी और दो दिन बाद अर्थात तीन दिसंबर को ही भारतीय राजदूत को मौत की सजा पाने वाले इन सभी भारतीयों से मिलने के लिए कांसुलर पहुंच प्रदान कर दी गई. इसके पहले 30 अक्तूबर को ही विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि ये मामला सरकार की प्राथमिकताओं में शुमार है.
वैसे तो कतर के साथ भारत के संबंध अच्छे ही रहे हैं लेकिन भूलना नहीं चाहिए कि नूपुर शर्मा जैसे मामलों में वह विरोध करने वाले मध्य-पूर्व के देशों में पहले स्थान पर रहा है. दिसंबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने भारत और कतर के बीच सजायाफ्ता व्यक्तियों के स्थानांतरण की संधि को मंजूरी दी थी, जिसके बाद मार्च 2015 में दोनों देशों के बीच संधि पर हस्ताक्षर हुए थे.
इस संधि के बाद से कतर में सजा पाए भारतीय कैदी अपनी बची सजा भारत में पूरी कर सकते हैं और अगर कतर का कोई नागरिक भारत में सजा भुगत रहा है तो वो अपने देश में उस सजा की अवधि को पूरा कर सकता है. ये समझौता उन पर लागू है जिन्हें मौत की सजा न सुनाई गई हो. सरकार जिस तरह से कूटनीतिक सक्रियता दिखा रही है और पूरी दुनिया में जिस तरह से हमारे देश का प्रभाव बढ़ा है.
उससे उम्मीद की जा सकती है कि सजा पाने वाले सभी पूर्व नौसैनिकों को भारत लाने में सफलता मिल सकेगी. सजा पाने वालों के परिजन अभी सजा के खिलाफ ऊंची अदालत में जाने की तैयारी भी कर रहे हैं क्योंकि इन पर लगे जासूसी के आरोप को हटाया नहीं गया है और मामले को संवेदनशील बताते हुए इसके बारे में विस्तृत जानकारी भी नहीं दी गई है. कानूनी लड़ाई तो अपने स्तर पर चलती रहेगी लेकिन भारत की कूटनीति और प्रभाव भी अपना असर दिखा रहे हैं, इसमें संदेह नहीं है.