ब्लॉग: ऊटपटांग बयान देने से बचें जनप्रतिनिधि

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: July 17, 2024 12:19 IST2024-07-17T12:18:53+5:302024-07-17T12:19:21+5:30

वाणी संयम पर प्राचीन काल से ही जोर दिया जाता रहा है, क्योंकि आदमी जब ज्यादा बोलने लगता है तो कुछ भी अनाप-शनाप बोल जाता है और उसे होश भी नहीं रहता कि आखिर बोल क्या रहा है.

Public representatives should avoid giving absurd statements | ब्लॉग: ऊटपटांग बयान देने से बचें जनप्रतिनिधि

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

वाणी संयम पर प्राचीन काल से ही जोर दिया जाता रहा है, क्योंकि आदमी जब ज्यादा बोलने लगता है तो कुछ भी अनाप-शनाप बोल जाता है और उसे होश भी नहीं रहता कि आखिर बोल क्या रहा है. राजनीति में तो खासकर हम बड़बोलेपन का उदाहरण देखते रहते हैं और बड़बोले नेताओं को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है. फिर भी वे बाज नहीं आते और बीच-बीच में कोई न कोई नेता ऊटपटांग बयान देता ही रहता है. 

ताजा उदाहरण मध्यप्रदेश के गुना का है, जहां भाजपा के विधायक पन्नालाल शाक्य ने विद्यार्थियों से कहा कि डिग्री हासिल करने से कुछ नहीं होगा और वे ‘मोटरसाइकिल पंचर की दुकान’ खोल लें. ताज्जुब तो यह है कि उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र गुना में ‘पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस’ के उद्‌घाटन के लिए आयोजित समारोह में यह बात कही. 

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को इंदौर में आयोजित एक समारोह में राज्य के 55 जिलों में ‘पीएम काॅलेज ऑफ एक्सीलेंस’ का ऑनलाइन माध्यम से उद्‌घाटन किया था और इस अवसर पर गुना सहित संबंधित जिलों में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए गए थे. गुना में आयोजित कार्यक्रम में शाक्य ने कहा, ‘‘हम आज ‘पीएम काॅलेज ऑफ एक्सीलेंस’ का शुभारंभ कर रहे हैं. 

मैं सभी से अपील करता हूं कि एक बोध वाक्य दिमाग में रखें कि इन महाविद्यालयों की डिग्री से कुछ नहीं होने वाला है. इसके बजाय, कम से कम आजीविका कमाने के लिए मोटरसाइकिल पंचर ठीक करने की दुकान खोलें.’’ उल्लेखनीय है कि पीएम काॅलेज ऑफ एक्सीलेंस को बनाया ही इसलिए गया है कि विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, जो रोजगार दिलाने में सहायक हो. 

ऐसे आयोजन के दौरान ही विधायक का ऐसा बयान कॉलेज की डिग्री का सरासर अपमान करने वाला है. हो सकता है उन्होंने अपनी अतिरिक्त बुद्धिमत्ता दिखाने के चक्कर में ऐसी ऊटपटांग बात कही हो, क्योंकि उसी कार्यक्रम में उन्होंने इंदौर में रविवार को आयोजित विशाल पौधारोपण अभियान का स्पष्ट संदर्भ देते हुए कहा, ‘‘लोग पौधे तो लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें पानी देने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं.’’ 

गौरतलब है कि अभियान के तहत इंदौर शहर में 24 घंटे में 11 लाख से अधिक पौधे रोपे गए जो नया विश्व कीर्तिमान है. बेशक पौधारोपण के बाद उनके संवर्धन पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए लेकिन इसमें लापरवाही का ये मतलब तो नहीं कि पौधारोपण ही न किया जाए! इसी तरह शिक्षा क्षेत्र में जो कमियां दिखें, उन्हें दूर करने की जगह क्या उत्कृष्ट शिक्षा देने की कोशिश ही बंद कर दी जाए? 

शाक्य का बयान एक तरह से सभी नेताओं के लिए सबक है कि हर चीज में नकारात्मकता ढूंढ़ना उचित नहीं है. अगर वे अपना दृष्टिकोण सकारात्मक रखेंगे तो बातें भी अच्छी बोलेंगे और लोगों को भी प्रेरित कर सकेंगे. इसके बजाय हर चीज में मीन-मेख निकालने की प्रवृत्ति से उनके मुंह से बातें भी ऊटपटांग निकलेंगी और समाज में वातावरण भी नकारात्मकता का बनेगा.

Web Title: Public representatives should avoid giving absurd statements

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