प्रतापगढ़ में मिले 11 फीट लंबे नर कंकालों का 'महाभारत' कनेक्शन!

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: January 24, 2018 07:50 PM2018-01-24T19:50:56+5:302018-01-24T19:55:17+5:30

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में मध्य पाषाण युगीन संस्कृति के कई महत्वपूर्ण स्थल हैं। यहां से खुदाई में 10 हजार पुराने मानव के अवशेष मिले हैं। 11-12 फीट लंबे नर कंकालों से जुड़ी पौराणिक और लोककथाओं से परिचय करा रहे हैं प्रिय रंजन पांडेय।

Pratapgarh Mesolithic period: 'Mahabharata' connection of 11 feet long skeleton | प्रतापगढ़ में मिले 11 फीट लंबे नर कंकालों का 'महाभारत' कनेक्शन!

प्रतापगढ़ में मिले 11 फीट लंबे नर कंकालों का 'महाभारत' कनेक्शन!

Highlightsखुदाई में 11-12 फीट लंबे नर कंकाल मिले जो कि करीब 10 हजार साल पुराने हैं।प्रतापगढ़ से 30 किमी दूर पट्टी के बारडीह गांव में मशहूर राजा विराट का किला है।लोककथाओं के अनुसार बारडीह के विराट महल से दमदमा तक एक सुरंग गयी है।

9000 साल पहले लोग कैसे दिखते थे? वैज्ञानिकों ने इस सवाल का जवाब खोज निकाला है। उन्होंने मध्यपाषाण कालीन युवती के कंकाल को दोबारा आकार दिया और पाया कि उस समय के इंसानों के फीचर आज के समय से काफी अलग थे। ये तो रही विदेशी अनुसंधान की बात। अब देशी प्रसंग पर आते हैं। उत्तर प्रदेश में प्रतापगढ़ नाम का एक जिला है। वहां सराय नाहर राय, चोपन माण्डो, महदहा, दमदमा व बारडीह का विराट महल नाम के पाषाण युगीन संस्कृति के महत्वपूर्ण स्थल हैं। माना जाता है कि वहां खुदाई में 11-12 फीट लंबे नर कंकाल मिले जो कि करीब 10 हजार साल पुराने हैं। इन नर कंकालों और ऐतिहासिक स्थलों की पौराणिक कड़ियां जोड़ते इस लेख को प्रियरंजन पांडेय ने लिखा है।

#1
महदहा में साल 1977-78 और 1978-79 में उत्खनन कार्य कराया गया। उत्खनन में प्राप्त अवशेषों में कब्रें उल्लेखनीय हैं। इन कब्रों से मिले अस्थि-पंजर (शव) पूर्व-पश्चिम दिशा में दफनाये गए थे और इनके सिर पश्चिम दिशा कि ओर थे। दो कब्रों में स्त्री पुरुष को साथ दफनाया गया था। अस्थि-पंजरों में से कुछ के गले में हड्डी के बने हुए हार भी पाये गये।

खुदाई में मिले अस्थि-पंजरों में से पुरुष कि औसत ऊँचाई 1.92 मीटर और स्त्रियों कि औसत ऊँचाई 1.78 मीटर मापी गयी। उत्खनन से लघु पाषाण उपकरण (छोटे पत्थर के औजार) के हड्डियों के बने हुए आभूषण वाणाग्र तथा जानवरों कि हड्डियों के अतिरिक्त बड़ी संख्या में चूल्हे भी पाये गये। जिनमें जानवरों एवं पक्षियों आदि कि जली-अधजली हुई हड्डियां भी पायी गयी। प्रश्नगत अवशेष मध्य पाषाण युगीन माने जाते हैं।

लोक कथाओं के अनुसार, महदहा नहर कि खुदाई के दौरान एक मजदूर का फावड़ा किसी कठोर वस्तु से टकराया तो वो हैरान रह गया। उसने बारीकी से खुदाई तो वहां पर एक सामान्य से बहुत ज्यादा बड़े आकार कि खोपड़ी निकली जिसको उसने वहीं फावड़े से उठाकर फेंक दिया।

वहां से गुजर रहे एक चरवाहे ने उस खोपड़ी को खेल-खेल में अपनी लाठी में फंसा लिया और घर ले आया। जब गांव में इसकी चर्चा हुई तो गांव के ही चौकीदार ने पुलिस को सूचना दे दी। बाद में पुलिस बल, जिलाधिकारी और पुरातत्व विभाग आया और मशीन से जांच के बाद वहां उत्खनन शुरू हुआ। खुदाई में अधिकतम 11 से 12 फुट के नर कंकाल, उनके मुकुट, आभूषण व हीरे जड़ित मुकुट-बन्द व तलवारें आदि मिले। बताते हैं कि खुदाई में निकले नरकंकालों की उंगलियां किसी युवा बच्चे कि कलाई कि मोटाई के बराबर थीं।

#2
प्रतापगढ़ से 30 किमी दूर पट्टी के बारडीह गांव में मशहूर राजा विराट का किला है। गोखुर झील के बीच बने इस किले के अवशेष आज भी मिलते हैं। किले के ऐतिहासिक महत्व कि जानकारी हासिल करने के लिये पुरात्व विभाग कि टीम यहाँ आ चुकी है।

पुरातत्व विभाग को जांच में किले के आसपास कुषाण व पूर्व मध्यकालीन सांस्कृति के अवशेष मिले हैं। यहाँ ग्रामीणों को आज भी भारी बारिश के कारण या ऐसे भी आए दिन मृदभांड, प्राचीन ईंटो की बनी दीवार, मिट्टी के खिलौने, बर्तन आदि मिलते हैं। इसके अलावा मानव व पशुओं की अस्थियां टीले के ऊपरी हिस्से में दबी नज़र आती है।

#3
दमदमा में कीचक व उनके भाइयों के महल बताये जाते हैं। पुरातत्व विभाग के अनुसार वो जले पाये गए हैं। लोककथाओं के अनुसार बारडीह के विराट महल से दमदमा तक एक सुरंग गयी है।

अब आते हैं पौराणिक कथा पर...

अगर महाभारत के अध्याय 14 से 24 तक का संदर्भ लें तो वहां पांडवों के अज्ञातवास का जिक्र है। अज्ञातवास के समय पांडव राजा विराट के महल में छद्मवेश धारण कर रहते थे। महल में ही द्रौपदी, सैरंध्री का छद्म भेष धरकर रानी सुदेष्णा की सेवा करती थी।

उसी दौरान कीचक, जो कि राजा विराट का सेनापति था। उसने सैरंध्री (द्रौपदी) के साथ अभद्र व्यवहार कर दिया। जिसके चलते वल्लभ (भीमसेन) ने कीचक का वध कर दिया। कीचक के वध से नाराज उपकीचकों (कीचक के संबंधियों) ने सैरंध्री को श्मशान में भस्म करने की ठानी। वल्लभ (भीमसेन) ने महल (दमदमा में) जलाया और उपकीचकों को उसी में डाल दिया। कुछ उपकीचक भाग खड़े हुए जिन्हें भीमसेन ने दौड़ा कर (महदहा में) वध किया। उन स्थानों पर आज भी अवशेष मिलते रहते हैं।

Web Title: Pratapgarh Mesolithic period: 'Mahabharata' connection of 11 feet long skeleton

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